उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लखनऊ के पुराने इलाके में संचालित हो रहे मदरसों का निरीक्षण किया। आयोग ने यह पाया कि मदरसों का संचालन नियम के विरुद्ध किया जा रहा था। मदरसे में रहने वाली बच्चियों का व्यवहार समान्य नहीं पाया गया। आयोग ने जांच में पाया कि मदरसे में रहने वाली बच्चियां काफी डरी हुई थीं। जांच में मदरसे के दस्तावेज भी अधूरे पाए गए।
आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी के अनुसार, मदरसों में रहने वाले बच्चे और बच्चियों का व्यवहार सामान्य बच्चों की तरह नहीं था। उन बच्चों के विचार में कट्टरता दिखाई दे रही थी। मदरसों में रहने वाले अधिकतर बच्चे बिहार, झारखंड समेत अन्य राज्यों के रहने वाले हैं। आयोग की जांच में पाया गया कि मदरसा बोर्ड में बिना पंजीकरण कराए मदरसे संचालित किए जा रहे थे।
इस प्रकार करीब 10 से 12 मदरसे संचालित किए जा रहे थे। इन सभी मदरसों में मानक को पूरा नहीं किया जा रहा था। जांच के दौरान मदरसे के कमरे में काफी गंदगी पाई गई। एक छोटे कमरे में लगभग 11 बच्चियों को रखा गया था। लगभग 10 वर्ष की बच्चियां उस छोटे से कमरे में जमीन पर सोती हैं।
टिप्पणियाँ