चंडीगढ़ : ‘सेल्फी विद डॉटर’ पहल के जनक सुनील जगलान ने अब भारतीय महिलाओं द्वारा किए जा रहे ‘अवैतनिक घरेलू काम’ को मान्यता देने के लिए अपने 75वें अभियान के रूप में “वुमनिया जीडीपी” लॉन्च किया है।
सुनील जागलान की अभियान को करने की खास बात यह रहती है कि पहले उस अभियान को एक साल तक कुछ गांवों में जमीनी स्तर पर करते हैं और फिर उसको पब्लिक प्लेटफार्म पर लॉन्च करते हैं। इसी तरह एक वर्ष से इन्होंने देश के करीब 500 घरों में इस प्रयास पर कार्य किया। जिसमें से करीब 30 प्रतिशत घरों में सफलता मिली ।
जागलान कहते हैं, “जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) शब्द हमेशा खबरों में रहता है, लेकिन क्या आपने कभी उन वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के बारे में सोचा है जो जीडीपी डेटा संग्रह के दायरे से बाहर हैं, यानी महिलाओं का अवैतनिक घरेलू काम।”
उनका कहना है कि महिलाओं के ‘अवैतनिक घरेलू काम’ ने उन्हें एक दिन बैठकर इस पर सोचने पर मजबूर कर दिया और फिर उन्होंने ‘वुमनिया जीडीपी’ अभियान शुरू करने का फैसला किया। जून 2015 में कुरीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘सेल्फी विद डॉटर’ पहल शुरू करने वाले जींद के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच जगलान कहते हैं, “इस अभियान की जड़ महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता के साथ आगे बढ़ने में मदद करने की मेरी इच्छा में निहित है।” जैसे कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए किए गए प्रयास जो धीरे-धीरे सफल हो रहे हैं ।
इस पहल को व्यापक सराहना मिली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अभियान की सराहना की। उनका कहना है कि पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर उन्होंने “सेल्फी विद डॉटर” अभियान शुरू किया और कुछ ही दिनों में हैशटैग #सेल्फीविदडॉटर के साथ सोशल मीडिया पर हजारों सेल्फी अपलोड की गईं।
जैसे-जैसे उन्होंने महिला सशक्तीकरण से संबंधित विषयों में अधिक शामिल होना शुरू किया, उन्हें पता चला कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिनसे निपटने की आवश्यकता है और इसलिए उन्होंने इन मुद्दों को हल करने के लिए विभिन्न अभियान शुरू किए। उन्होंने कहा कि अपने अभियानों के दौरान वह भारतीय महिलाओं की समस्याओं जैसे घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज संबंधी मौतें और कई अन्य समस्याओं से रूबरू हुए जो उनकी समग्र प्रगति में बाधक हैं।
जागलान ने कहा कि उन्हें पता चला है कि महिलाओं की दूसरों पर वित्तीय निर्भरता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनके सामने आने वाली सभी प्रमुख समस्याओं से जुड़ी हुईं हैं। उन्होंने कहा, ”एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं का अवैतनिक घरेलू काम जीडीपी का लगभग 7.2 प्रतिशत है, जिसका मतलब है कि अगर सभी महिलाओं को उनके घरेलू कामों के लिए भुगतान किया जाए तो यह जीडीपी का 7.2 प्रतिशत हिस्सा होगा।”
उन्होंने कहा कि “वुमनिया जीडीपी” अभियान हरियाणा के हिंसार, जींद, गुरुग्राम जिलों में शुरू किया गया है, जिसका मुख्य ध्यान ग्रामीण महिलाओं पर है, इसके अलावा उतर प्रदेश, महाराष्ट्र के कई जिलों में यह अभियान जमीनीस्तर पर शुरू किया है। उन्होंने कहा, “अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है और इस अभियान में पुरुष सदस्यों को भी शामिल किया गया है ताकि उन्हें यह एहसास कराया जा सके कि वे अपने परिवार में महिलाओं को सशक्त बनाने में कैसे योगदान दे सकते हैं और वित्तीय स्वतंत्रता कैसे उनके जीवन को बदल सकती है।”
“इसका उद्देश्य यह है कि रोजाना घंटों तक घरेलू काम करने के लिए महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाना चाहिए। जब परिवार में पुरुष सदस्य जैसे पति और अन्य सदस्य घरेलू काम करने वाली महिलाओं के खाते में कुछ राशि डालते हैं, तो यह उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता देगा। उन्होंने कहा, “इससे महिला स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में भी सशक्त महसूस करेगी और साथ ही इससे पितृसत्तात्मक मानसिकता में भी बदलाव आएगा।”
हिंसार की एक विवाहित महिला पूजा ने कहा, “इस अभियान ने उनके पति को प्रेरित किया और उन्हें उनके द्वारा किए जाने वाले घरेलू काम के मूल्य का एहसास होने लगा और वह उनके काम के लिए हर महीने उनके खाते में पैसे जोड़ते हैं।” जागलान के विभिन्न अभियानों में कन्या भ्रूण हत्या रोकने, पीरियड चार्ट अभियान, गाली बंद घर, लाडो स्वाभिमान उत्सव, विमेन हैप्पीनैस चार्ट, लाडो पुस्तकालय (गर्ल्स लाइब्रेरी), विमेन फर्स्ट ऐड किट फॉर विमेन, बेटियों की नेमप्लेट, सेल्फी अंगेस्ट डॉवरी, लाडो पंचायत, पैडमित्र, सेल्फी विद डॉटर एंड ट्री, लाडो गो ऑनलाईन, महिला हितैषी पंचायत, बेटी की बधाई, वॉर एंगेस्ट रेप, प्रैस कॉन्फ्रेंस बाई हर, जैसे महत्वपूर्ण अभियान शामिल हैं।
सुनील जागलान ने यह भी उल्लेख किया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं के लिए किए गए सभी प्रयासों की सराहना करते और अपना 76 वां अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महिलाओं के चेहरों पर खुशी लाने के प्रयासों को समर्पित होगा। सुनील जागलान ने बताया कि यह पल मेरी जिंदगी के खुशनुमा पलों में हैं कि कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रयास से शुरू किए गांव से अभियान की यात्रा अब सबसे जरूरी विषय अवैतनिक घरेलू कार्य के वूमनिया जीडीपी तक पहुंच गई है। यह मेरा महिला सशक्तिकरण के लिए 75वां अभियान है।
यह मेरे लिए सपने जैसा है कि देश में महिलाओं के चेहरे पर लाने के लिए 75 प्रयास अभियान के रूप पिछले 12 वर्ष में किए। यह अभियान देश की सभी महिलाओं और उन सकारात्मक सोच रखने वाले पुरुषों को समर्पित है जो महिलाओं के चेहरे पर वूमनिया जीडीपी अभियान में भागीदारी करेंगे।
गौरतलब है कि दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनील जागलान हरियाणा राज्य के जींद जिले के बीबीपुर गांव के वही सरपंच हैं जिन्होंने वर्ष 2012 में बेटी बचाओ अभियान शुरू हुआ एवं उनके द्वारा शुरू किए गए सेल्फी विद् डॉटर अभियान की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 6 बार मन की बात व अमेरिका व इंग्लैंड के कार्यक्रमों में सराहना की। सुनील जागलान पर कई भाषाओं में डॉक्यूमेंटरी फिल्म के अलावा दूरदर्शन पर सीरियल भी बन चुका है। इसके साथ ही आठवीं कक्षा में आईसीएसई बोर्ड में उनका पाठ भी आ चुका है।
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