इजरायल हमास युद्ध के बीच अब इजरायल ने अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। इसी के तहत वह पड़ोसी देश मिश्र से सटे राफा बॉर्डर और फिलाडेल्फी कॉरिडोर में अपनी सेना को भेजने जा रहा है। इसको लेकर जब उसने मिस्र को सूचित किया तो मिस्र ने इसका कड़ा विरोध करते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।
इस बात का दावा स्काई न्यूज अरेबिया ने अपनी रिपोर्ट के जरिए किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्र की राज्य सूचना सेवा की प्रमुख दीया राशवान ने इजरायल को चेतावनी दी है कि अगर वो इस मामले में किसी भी तरह का अप्रत्याशित कदम उठाता है तो इससे दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ेंगे।
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वहीं शनिवार को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कतर और मिस्र के साथ इजरायल के संबंधों को लेकर कहा कि मिस्र के साथ हर सरकार में हमारे संबंध सामान्य ही रहे हैं। हम सभी के अपने-अपने हित हैं। मिस्र मिस्र कुछ कहना चाहता है। वो अपने हितों का बखूबी ध्यान रखते हैं औऱ हम अपने। मारीव की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली डिफेंस फोर्स के पूर्व प्रवक्ता ने एवी बेन्याहू ने इस बात का संकेत दिया था कि अब आईडीएफ दक्षिण की तरफ कूच करके राफा बॉर्डर तक पहुंच सकता है।
इसको लेकर अरब की मीडिया में इन बातों को इस तरीके से प्रचारित किया कि जल्द ही आईडीएफ राफा और फिलाडेल्फिया कॉरिडोर की तरफ कूच करने वाली है और अब मिस्र की ओर के सैनिकों को कॉरिडोर को खाली कर देना चाहिए।
पहले से ही तनावपूर्ण हैं दोनों देशों के रिश्ते
गौरतलब है कि इजरायल और मिस्र के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण और जटिल हैं। जब से इजरायल हमास युद्ध शुरू हुआ है, तभी से मिस्र समेत मिडिल ईस्ट के कई देश इजरायल पर युद्ध रोकने का दबाव बना रहे हैं। इन देशों ने कई बार इजरायल को धमकियां भी दीं। हालांकि, इजरायल को ये डिगा नहीं सके। मिस्र इन्हीं देशों में से एक है। मिस्र गाजा के लोगों के मानवाधिकारों की बात तो करता है, लेकिन उसने गाजा के लोगों को अपने देश के अंदर शरण नहीं दी।
अमेरिका की वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कई सप्ताह से इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मिस्र के अपने समकक्ष अब्देल फतह अल-सिसी से बात तक नहीं की है।
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