छत्तीसगढ़ में गोंड जनजाति का एक व्यक्ति कन्वर्ट होकर मुसलमान बन गया और उसने अपना नाम रख लिया मोहम्मद इमरान। इसके बाद भी वह गोंड जनजाति का प्रमाणपत्र लेकर सरकारी सुविधाओं का उठा रहा है लाभ
गत दिसंबर को झारखंड की राजधानी रांची में जनजाति समाज के हजारों लोगों ने हुंकार भरी कि जो लोग अपने पूर्वजों की संस्कृति को त्यागकर किसी दूसरे मत-मजहब को अपना चुके हैं, उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाए। ये लोग जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले रांची में जुटे थे। इसमें झारखंड के 17 जिले और अन्य राज्यों से भी जनजाति बंधु आए थे। इस आयोजन का नाम ‘उलगुलान डीलिस्टिंग महारैली’ था।
जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मंत्री गणेशराम भगत ने कहा कि देश में 700 से अधिक जनजातियों को मिलने वाली सुविधाओं का 80 प्रतिशत लाभ वे लोग उठा रहे हैं, जो अपनी संस्कृति को छोड़कर ईसाई या मुसलमान बन गए हैं। मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. राजकिशोर हांसदा ने कहा कि सरकार से हमारी मांग है कि कन्वर्जन करने वाले लोगों को आरक्षण की सुविधा न मिले। उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे को आज से 50 वर्ष पूर्व स्व. कार्तिक उरांव ने संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष रखा था।
मंच की केंद्रीय टोली के सदस्य व पूर्व न्यायाधीश प्रकाश सिंह उईके ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान के अनुच्छेद-341 में व्यवस्था की है कि अनुसूचित जाति के जो लोग मुसलमान या ईसाई मत को अपनाएंगे, उन्हें अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिलेगा।
जब मुस्लिम या ईसाई बनने पर अनुसूचित जाति की पहचान मिट जा रही है, तो ईसाई या मुस्लिम मत में जाने पर किसी जनजाति की पहचान भी मिट जानी चाहिए है। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी एक जाति प्रमाणपत्र दिखाया, जिसमें मोहम्मद इमरान नाम के एक व्यक्ति को गोंड जनजाति का बताया गया है।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति, जो इस्लाम अपना चुका है, फिर भी उसे छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जनजाति प्रमाणपत्र प्राप्त हो गया। ऐसे में वह अल्पसंख्यक के साथ-साथ जनजातीय समाज की सुविधाओं और आरक्षण का लाभ भी उठाता रहेगा। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक मामला उजागर हुआ है, लेकिन ऐसे कई मामले हैं, जहां कन्वर्ट हो चुके लोग जनजातीय समाज को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
मंच के एक अन्य पदाधिकारी सत्येंद्र सिंह खेरवार ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. कार्तिक उरांव ने पूरा अध्ययन कर पाया था कि भारत सरकार या राज्य सरकारों के किसी भी अधिनियम में कन्वर्ट ईसाइयों को अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं माना गया है।
झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि जो लोग अपने मूल धर्म में आएंगे, उनका स्वागत किया जाएगा। महारैली को पद्मभूषण कड़िया मुंडा, जगलाल पाहन, संदीप उरांव, ललिता मुर्मू, जगरनाथ भगत, सन्नी उरांव, आरती कुजूर, रोशनी खलखो, देवव्रत पाहन, मनोज लियांगी, हिन्दुवा उरांव, अंजली लकड़ा, राजू उरांव आदि ने भी संबोधित किया।
सभी ने एक सुर में कहा कि राजनीतिक दल अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों पर कन्वर्ट हो चुके किसी व्यक्ति को टिकट न दें। आरक्षित वर्ग की नौकरी हथियाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो, ताकि कन्वर्ट हो गए लोगों को अनुचित लाभ लेने से रोका जा सके।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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