मध्य एशियाई देशों में दशकों से जारी हिंसा और मारकाट की वजह से ब्रिटेन सहित यूरोप के अनेक देश अपने यहां मुस्लिम ‘शरणार्थियों’ की बढ़ती तादाद को लेकर चिंतित हैं। इसकी वजह भी है। जिन देशों में भी पाकिस्तानी, सीरियाई, इजिप्ट आदि के ‘शरणार्थी’ ‘आसरे’ की आस में रह रहे हैं वहां उन्होंने उत्पात मचा रखा है उस देश के कायदों की धज्जियां उड़ा रखी हैं, आम नागरिकों की जीना मुहाल किया हुआ है। जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस इन मुस्लिम ‘शरणार्थियों’ की करतूतों से बखूबी परिचित हैं। यूरोप के कई अन्य देश भी इस दंश को झेल रहे हैं। ऐसे में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा है कि इन ‘शरणार्थियों’ से यूरोप को बहुत नुकसान झेलना पड़ सकता है।
सुनक ने न सिर्फ ब्रिटेन में इस्लामवादी घुसपैठियों की बढ़ती तादाद पर चिंता व्यक्त की है बल्कि पूरे यूरोप को आगाह भी किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का कहना है कि यूरोपीय देशों के कुछ ‘दुश्मन’ ‘शरणार्थियों’ को हथियार के नाते प्रयोग करके यहां के लोगों की जीवन मुश्किल में डालना चाहते हैं। उनका साफ कहना है कि बढ़ते ‘शरणार्थी’ यूरोप के देशों के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं।
सुनक सिर्फ आगाह ही नहीं कर रहे हैं बल्कि आह्वान भी कर रहे हैं कि शरणार्थियों की बढ़ती तादाद को काबू करन के उपाय करना बहुत जरूरी हो गया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने पूरे यूरोप में इस्लामी घुसपैठियों के आने पर रोक लगाने की बात की है। उनकी चिंता ऐसी घटनाओं के संदर्भ में साफ समझी जा सकती है जिनमें मुस्लिम घुसपैठियों की ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क जैसे देशों में अपराधों में संलिप्तता के आंकड़े बढ़ते देखे गए हैं।
सुनक ने न सिर्फ ब्रिटेन में इस्लामवादी घुसपैठियों की बढ़ती तादाद पर चिंता व्यक्त की है बल्कि पूरे यूरोप को आगाह भी किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का कहना है कि यूरोपीय देशों के कुछ ‘दुश्मन’ ‘शरणार्थियों’ को हथियार के नाते प्रयोग करके यहां के लोगों की जीवन मुश्किल में डालना चाहते हैं। उनका साफ कहना है कि बढ़ते ‘शरणार्थी’ यूरोप के देशों के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं।
सेकुलर मानवाधिकारियों के दबाव जिन देशों ने भी ‘बड़ा दिल’ दिखाते हुए ‘इंसानियत’ की खातिर मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां बसने दिया है वे आज उन्हें एक बड़ी मुसीबत के नाते देख रहे हैं। इन देशों में ये मुस्लिम अब शरणार्थी जैसा बर्ताव नहीं कर रहे हैं बल्कि कानूनों को शरिया की तर्ज पर बनाने की मांग करने लगे हैं। सड़कें घेर कर नमाज पढ़ना, स्थानीय उत्सवों, रीति—रिवाजों में व्यवधान पैदा करना, समाज में उग्रता के बीज रोपने जैसे कुछ चलन हाल में बढ़ते देखे जा रहे हैं।
सुनक की चेतावनी गौर करने लायक है कि यदि इस मुश्किल को दूर करने के लिए फौरन कार्रवाई नहीं की जाती तो घुसपैठियों की बढ़ती तादाद यूरोप के देशों पर बड़ी मुसीबत बन जाएगी।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने यह वक्तव्य एक कार्यक्रम में खुलकर दिया है। उन्होंने कहा कि अपराधों में लिप्त गुट ‘इंसानियत’ के नाम पर ऐसे काम कर रहे हैं जिससे उस देश के नागरिकों की जान पर खतरा पैदा हो रहा है। इसलिए इस मुश्किल से अगर अभी नहीं निपटा गया तो घुसपैठियों की बढ़ती तादाद यूरोप में एक बड़ी मुसीबत पैदा कर देगी।
तो क्या कदम उठाया जाए? इसका भ खुलासा सुनक ने किया है। उन्होंने कहा है कि ‘शरणार्थी नियमों’ को बदलने की जरूरत है। मुस्लिमों की घुसपैठ रोकनी है तो शरणार्थियों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय कायदों को सुधारना होगा। और ये फौरन करना होगा क्योंकि अब पानी सिर तक आ रहा है। यदि अभी इस मुश्किल को दूर करने के कदम नहीं उठाए गए तो ये घुसपैठिए बोट में बैठकर आते रहेंगे।
सुनक ने दिखाया भी है कि वे सिर्फ बयानों तक सीमित नहीं रहते। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन की सरकार ने घुसपैठियों की आमद बंद करने के लिए एक बड़ी पहल की है। सुनक एक कड़ा आव्रजन विरोधी कानून बनाने की ओर हैं। यह कानून ब्रिटेन के लोगों को यह तय करने का हक देगा कि उनके देश में कौन आ सकता है और कौन नहीं।
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों भी इस समस्या से भलीभांति परिचित हैं। उन्होंने भी अपने देश को इस्लामी कट्टरपंथ से बचाने के कई कदम उठाए हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सराहना भी हुई है। वे भी अपने यहां मुस्लिम घुसपैठियों की हरकतों से परेशान हैं और प्रयास में हैं कि इस घुसपैठ पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।
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