काबुल। इजरायल-हमास युद्ध में जहां इस्लामिक देश फिलीस्तीन में मुस्लिमों पर अत्याचार की दुहाई दे रहे हैं, वहीं अपने देश में मुस्लिमों को शरण भी नहीं दे रहे हैं। पाकिस्तान के बाद ईरान ने भी 13,204 अफगान नागरिकों को अपने देश से निकाल दिया है। ईरान का कहना है कि ये लोग अवैध रूप से रह रहे थे। खुरासान रजावी में सीमा सुरक्षा के कमांडर माजिद शोजाई ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अवैध प्रवासियों के निष्कासन पर जोर दिया जा रहा है। इन अफगानियों की पहचान पिछले सप्ताह की गई थी और वे डोघरौन में बारह सीमा क्रासिंग के माध्यम से अपने देश लौट गए।
सीमा सुरक्षा के कमांडर ने कहा कि अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले अफगान नागरिकों को गिरफ्तार कर निष्कासित कर दिया जाता है। खामा प्रेस के अनुसार हाल के महीनों में ईरान और पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों को निकालने की प्रक्रिया तेज हुई है। हाल ही में ईरान के गृह मंत्री ने चार लाख अफगानियों को देश से बाहर निकालने की घोषणा की थी। इससे पहले करमानशाह प्रांत में विदेशी नागरिकों और अप्रवासी मामलों के महानिदेशक ने देश के 16 प्रांतों में अफगान नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
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संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के अनुसार, ईरान में छह प्रतिशत अफगान नागरिक हैं। वहीं, काबुल में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने रविवार को मानवाधिकार दिवस और मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 75वीं वर्षगांठ पर कहा कि तालिबान को अफगानिस्तान में मानवाधिकार दायित्वों को स्वीकार करना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए। 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने बुनियादी अधिकारों और स्वतंत्रता को खत्म किया है, जिसका महिलाओं और लड़कियों पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
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