यह दुनिया बहुत रहस्यमयी है नहीं। डीप वेब में हैं- आपके ईमेल इनबॉक्स, बैंकिंग की सूचनाएं, क्रेडिट कार्ड के डेटा, करोड़ों वेबसाइटों पर बनाए जाने वाले अकाउंटों का डेटा, गोपनीय सरकारी डेटा आदि।
हमारे वर्ल्डवाइड वेब के तीन भाग हैं-सरफेस वेब, डार्क वेब और डीप वेब। आम लोगों का काम सरफेस वेब से ही चल जाता हैं। यहीं पर अरबों वेबसाइटें मौजूद हैं, जो हमारे लिए काफी है। किंतु यह पूरे वेब का सिर्फ 5 प्रतिशत है। इसके दायरे में ऐसी वेबसाइटें आती हैं, जो प्राय: सर्च इंजनों की पहुंच में हैं और पब्लिक डोमेन में हैं। इंटरनेट ब्राउजर (एज, क्रोम, एपल सफारी, ओपेरा, फायरफॉक्स आदि) की मदद से सरफेस वेब को एक्सेस कर सकते हैं, उस पर मौजूद सामग्री को देख-पढ़-सुन सकते हैं।
संवाद, मनोरंजन और लेन-देन भी कर सकते हैं। इन वेबसाइटों के नामों के अंत में .कॉम, .नेट, .इन, .आर्ग आदि (डोमेन एक्सटेंशन) लिखा होता है। सर्च इंजन के नतीजों को क्लिक करके हम वहां तक पहुंच जाते हैं। हालांकि माध्यम और भी हैं, जैसे शेयर किए गए लिंक, वेब निर्देशिकाएं (टेलीफोन डायरी जैसी सूचियां) आदि।
डार्क वेब की, जो सचमुच रहस्यमय है तो कुछ-कुछ डरावना भी। वर्ल्डवाइड वेब का जो 5 प्रतिशत हिस्सा बचा, वह इसके दायरे में आता है। इसकी वेबसाइटें भी डीप वेब पर ही होती हैं और इनका इस्तेमाल वैध तथा अवैध दोनों ही उद्देश्यों से किया जाता है। इंटरनेट पर गुमनाम रहते हुए तमाम तरह की अच्छी-बुरी गतिविधियां चलाने वाले यहां पर विचरण करते हैं।
अगर हम अंतरिक्ष की ओर जाने लगें, तो कई तरह के मंडल आते हैं न? क्षोभ मंडल का दायरा आसमान में महज 10-20 किलोमीटर ही है। समझिए कि यही स्थिति हमारे सरफेस वेब की है। लेकिन फिर कई अन्य मंडल आते हैं, जैसे समताप मंडल, आयन मंडल आदि। सरफेस वेब के दायरे से बाहर डीप वेब है, जहां सामान्य सर्च इंजनों के जरिए नहीं पहुंचा जा सकता। वैसे यह दुनिया बहुत रहस्यमयी है नहीं। डीप वेब में हैं- आपके ईमेल इनबॉक्स, बैंकिंग की सूचनाएं, क्रेडिट कार्ड के डेटा, करोड़ों वेबसाइटों पर बनाए जाने वाले अकाउंटों का डेटा, गोपनीय सरकारी डेटा आदि। तमाम किस्म के डेटाबेस, सोशल मीडिया एप्स का ढांचा, इंट्रानेट, फोरम, सशुल्क कंटेंट आदि भी वहीं हैं।
क्या आप सर्च इंजन पर किसी का नाम डालकर उसके क्रेडिट कार्ड का नंबर, पिन और सीवीवी नंबर जान सकते हैं? बिल्कुल नहीं, बशर्ते किसी नासमझ इनसान ने सोशल मीडिया या किसी वेबसाइट पर यह सब विवरण न डाल दिया हो।
ईमेल सेवाओं के शुरुआती दिनों में बहुत से लोग यह गलती करते थे कि जिसे ईमेल भेजते थे, उसे अपने ईमेल बॉक्स का यूजरनेम और पासवर्ड भी भेज दिया करते थे- शायद संदेश पढ़ने के लिए उसे मेरे अकाउंट में लॉगिन करना होगा! खैर।
गोपनीय सूचनाओं के वेब को डीप वेब के रूप में समझिए जिसकी सूचनाएं तमाम तरह से सुरक्षा इंतजामों की निगरानी में सुरक्षित रहती हैं। इस सामग्री तक पहुंचने के लिए आपको अपनी पहचान साबित करनी होती है और आप बस उतना ही देख पाते हैं, जिसके लिए आप अधिकृत हैं।
अब बात आती है डार्क वेब की, जो सचमुच रहस्यमय है तो कुछ-कुछ डरावना भी। वर्ल्डवाइड वेब का जो 5 प्रतिशत हिस्सा बचा, वह इसके दायरे में आता है। इसकी वेबसाइटें भी डीप वेब पर ही होती हैं और इनका इस्तेमाल वैध तथा अवैध दोनों ही उद्देश्यों से किया जाता है। इंटरनेट पर गुमनाम रहते हुए तमाम तरह की अच्छी-बुरी गतिविधियां चलाने वाले यहां पर विचरण करते हैं।
जासूसी एजेंसियों से लेकर हैकरों तक का सुरक्षित ठिकाना है यह। इस पर भेजे जाने वाले संदेशों पर नजर रखना भी मुश्किल है और उनके उद्गम का पता लगाना भी। यहां सक्रिय व्यक्ति वास्तव में दुनिया के किस हिस्से में है, यह जानना बेहद मुश्किल है। इसकी सामग्री सबके लिए उपलब्ध नहीं है। जिनके लिए उपलब्ध है, वे टोर (Tor) जैसे एप्लीकेशनों के जरिए उस तक पहुंचते हैं, जो एक खास किस्म का ब्राउजर है, लेकिन उसके कामकाज के ढंग जटिल भी हैं और रहस्यमय भी।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट एशिया में डेवलपर मार्केटिंग के प्रमुख हैं)
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