नई दिल्ली। पराली के मुद्दे के बाद केजरीवाल सरकार को अब सुप्रीम कोर्ट ने रीजनल रैपिट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) को लेकर जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि उसे अपने हिस्से का पूरा पैसा देना ही होगा। सर्वोच्च न्यायालय को मंगलवार को सूचना दी गई थी कि केजरीवाल सरकार की ओर से बकाया रकम का आंशिक भुगतान किया गया है।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस आदेश पर पूरी तरह से अमल सुनिश्चित होना चाहिए। आंशिक भुगतान का कोई औचित्य नहीं बनता है। दिक्कत ये है कि दिल्ली सरकार पर उस पैसे के भुगतान के लिए कोर्ट को दबाव बनाना पड़ रहा है, जो पैसा देना उसकी जिम्मेदारी बनती है। न्यायालय ने पूरा पैसा भुगतान करने को कहा। मामले में अब अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।
21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली सरकार के फंड न देने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि आपके पास विज्ञापन का पैसा है, जरूरी काम के लिए नहीं है। हम विज्ञापन बजट जब्त करने का आदेश देते हैं। कोर्ट ने कहा था कि एक हफ्ते तक आदेश स्थगित रहेगा। तब तक कदम उठा लें यानी एक हफ्ते में 415 करोड़ रुपये रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए दे दें।
इसके पहले भी 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए 2 हफ्ते में 415 करोड़ रुपये देने कहा था। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि आपने तीन साल में विज्ञापन पर 1100 करोड़ खर्च किए, लेकिन आम लोगों से जुड़ी अहम परियोजना के लिए हिस्सा नहीं दिया। क्या हमें एक साल का विज्ञापन बजट जब्त करने का आदेश देना होगा।
तीन जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए धन उपलब्ध कराने में असमर्थता व्यक्त करने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम जैसे प्रोजेक्ट्स फंड के कारण रुकने नहीं चाहिए। कोर्ट ने प्रोजेक्ट के लिए फंड मुहैया ना कराने पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली सरकार से तीन सालों के विज्ञापनों पर खर्च का विस्तृत ब्यौरा देने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 अप्रैल को दिल्ली सरकार को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर को 500 करोड़ रुपये का योगदान देने का निर्देश देते हुए सरकार से पर्यावरण मुआवजा शुल्क के फंड से यह राशि मुहैया कराने को कहा था। दिल्ली सरकार के असमर्थता जाहिर करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार द्वारा पिछले तीन साल में दिए गए विज्ञापन की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
उल्लेखनीय है कि सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर के जरिए दिल्ली से मेरठ के बीच 82.15 किमी की दूरी 60 मिनट में तय होगी। 24 स्टेशनों वाला रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर दिल्ली में सरायकाले खां से मोदीपुरम, मेरठ तक का बनाया जा रहा है। इसकी अनुमानित लागत करीब 31,632 करोड़ रुपये है।
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