दुनियाभर में आतंक के खिलाफ आवाज मुखर होने लगी है। इसी क्रम में अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को यूएनएससी में मुंबई में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और इजरायल में हमास के बर्बर हमले को समान बताया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद को उन सभी देशों की निंदा करनी चाहिए, जो आतंकियों को फंडिंग करते हैं, उन्हें ट्रेनिंग देते हैं और आतंक के लिए हथियार देते हैं।
ब्लिकंन ने ये बात सुरक्षा परिषद में इजरायल में हमास के हमले के बाद उपजे हालातों पर सुरक्षा परिषद की मंत्रीस्तरीय बैठक के दौरान दिया। इसके साथ ही अमेरिकी विदेशमंत्री ब्लिंकन ने इजरायल का समर्थन करते हुए कहा कि किसी भी देश के अपनी रक्षा के अधिकार का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि भी राष्ट्र खुद पर हुए हमले को बर्दाश्त नहीं कर सकता। संयुक्त राष्ट्र महासभा कई बार इस बात की पुष्ट कर चुका है कि आतंकी घटना कैसी भी हो वो अवैध है। फिर चाहे ये हमला बाली में हो या नैरोबी में, किबुट्ज में हो या मुंबई में हो। इसे लश्कर ए तैयबा का हो या हमास का।
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दरअसल, ब्लिंकन ने हमास और लश्कर ए तैयबा की तुलना इसलिए की, क्योंकि 26/11 मुंबई हमले के दौरान पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा ने भी इसी तरह का नरसंहार किया था, जैसा हमास ने इजरायल में किया था। ब्लिंकन ने कहा कि सुरक्षा परिषद की यह जिम्मेदारी है कि वो सभी तरह की आतंकी गतिविधियों की निंदा करे। हालांकि, सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य चीन ने भारत पर आतंकी हमले करने वाले कई आतंकियों के ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने में अड़ंगा लगाया था।
हमास का हमला 56 वर्षों के घुटन का नतीजा
आतंकवाद और आतंकी हमास के इजरायल में हमले पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने अहम बयान दिया। उन्होंने हमासे के हमले को लेकर ये माना कि ये हमला अचानक ही नहीं हुआ है। हमास का इजरायल पर हमला बीते 56 वर्षों के कब्जे और घुटन का नतीजा है। यूएन चीफ ने कहा कि फिलिस्तीन के लोगों की जमीनों पर लगातार कब्जे किए जा रहे हैं। लोगों के घर तबाह हो रहे हैं, वो अपनी जमीन से ही विस्थापित होने को मजबूर हैं। उनकी समस्या के राजनीतिक समाधान की उम्मीदें दम तोड़ रही हैं। गाजा के युद्ध के पूरे क्षेत्र में फैलने का खतरा बढ़ा हुआ है।
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