इजरायल पर हमास के आतंकियों ने हमला करके जो भी कुकृत्य किए हैं, उससे पूरी दुनिया अवाक है, स्तब्ध है। लोग यह सोचकर और देखकर हैरान हैं कि ऐसे भी लोग हो सकते हैं जो पार्टी करते हुए लोगों की हत्या कर सकते हैं, जो बच्चों को उनके अभिभावकों के सामने मार सकते हैं, जो आम नागरिकों को बिना किसी कारण मौत के घाट उतार सकते हैं। लड़कियों का अपहरण “माले गनीमत” के रूप में आज भी कर सकते हैं, या संक्षेप में कहें तो मध्य युगीन बर्बरता आज के समय में कर सकते हैं।
परन्तु जहां आतंकवाद के शिकार रहे भारत की आम जनता इन हमलों के विरोध में सोशल मीडिया पर अपना विरोध व्यक्त कर रही थी। लोग इस संकट की घड़ी में यही प्रार्थना कर रहे थे कि कम से कम लोग इस हमले में मारे गए हों, उसी समय भारत में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा था, जिसके लिए आम नागरिकों पर हुआ यह हमला कोई हमला न होकर एक प्रतिरोध था।
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भारत में रहने वाली और खुद को क्रांतिकारी कहने वालीं, कथित रूप से महिलाओं के अधिकारों की बात करने वाली अभिनेत्रियाँ उन महिलाओं के शवों पर मौन ही नहीं रहीं, जिन्हें हमास के आतंकियों ने मारा या फिर उठाकर ले गए या फिर जैसी अब रिपोर्ट्स आ रही हैं कि लाशों के सामने ही लड़कियों के साथ बलात्कार किया, बल्कि वह इन तमाम घटनाओं को विद्रोह कहकर सही भी ठहरा रही हैं।
संवेदनहीनता और बेशर्मी की पराकाष्ठा
जिस महिला का निर्वस्त्र शरीर घुमाया गया, वह जर्मनी की शानी लौक का शरीर था, जो हमले के समय वहां पर पार्टी कर रही थी। जिस तरीके से वह शरीर घुमाया गया, उसे देखकर भारत में लोगों को वह घटनाएं याद आ गईं जो जौहर के रूप में इतिहास में दर्ज हैं। परन्तु क्या कोई ऐसी भी महिला हो सकती है और वह भी भारत में जो इस हमले को उचित ठहरा दे? जो इसकी भयावहता कम करने की कोशिश करे?
दुर्भाग्य से भारत में ऐसी एक नहीं कई महिलाएं हैं, परन्तु इरेना अकबर नामक एक महिला ने जो ट्वीट किया, वह संवेदनहीनता और घृणा की पराकाष्ठा थी। इरेना ने यह लिखा कि इस्लाम में युद्ध में औरतों पर हमला करना उचित नहीं माना जाता, इसलिए इस घटना की निंदा होनी चाहिए।
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मगर उसके बाद उन्होंने लिखा कि वह महिला पूरी तरह से नग्न नहीं थीं, बल्कि वह बिकनी या देह दिखाने वाले कपडे पहने होगी जैसा उसकी प्रोफाइल से दिखता है। तो हो सकता है कि जब उसे हमास के चरमपंथियों ने मारा हो तो वह वही कपड़े पहने हो और हमास के चरमपंथियों ने उसकी देह से कपडे़ न उतारे हों। हैरानी की बात यह है कि हमास के आतंकियों को यह क्लीन चिट देते हुए कि हो सकता है कि उन्होंने कपडे न उतारे हों, वह शानी की इज्जत की भी बात कर रही है। वह यह भी लिख रही है कि इस्लाम औरतों और आदमियों के लिए इज्जत की बात करता है और मरे हुए लोगों का सम्मान करने की बात करता है तो या तो चरमपंथियों को शानी के शरीर को ढाक देना चाहिए था या फिर उसपर हमला ही नहीं करना चाहिए था।
उसके बाद इरेना ने उन लोगों को अर्थात गैर मुस्लिमों को कोसना आरंभ कर दिया जो शानी की नग्न देह के अपमान को लेकर व्यथित थे। इरेना ने लिखा कि क्या वह लोग यह नहीं चाहते कि लड़कियां बिकनी पहनें? क्या लोगों को समस्या है कि आधी नंगी देह सार्वजनिक रूप से देखी जाए?
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इरेना ने जो लिखा था वह निर्लज्जता एवं निकृष्टता की पराकाष्ठा थी और इस बात पर लोगों ने सोशल मीडिया पर उत्तर भी दिया। इस्लामी आतंकवादी गैर इस्लामी लोगों की देह के साथ क्या करते हैं, इस विषय में ऐतिहासिक ही नहीं, बल्कि हाल ही की कई घटनाओं के प्रमाण हैं, लिखित प्रमाण हैं एवं हाल ही में यहूदी लड़कियों के साथ जो किया गया, वह भी अपने आप में प्रमाण हैं!
बॉलीवुड की निर्लज्जता
लेकिन दुख की बात ये है कि ऐसी जघन्य घटना पर भी अपना एजेंडा चलाने वाली इन महिलाओं ने एक बार भी उन इजरायली महिलाओं और बच्चों की हत्या की निंदा नहीं की, बल्कि इस जघन्य घटना को विरोध करार दे दिया। भारतीय अभिनेत्री गौहर खान ने ट्वीट किया, “दमन करने वाला पीड़ित कब से हो गया? दुनिया के लिए बहुत ही सुविधाजनक दृष्टि है और इतने वर्षों के दमन से आँखें मूँद लीं?”
सबा नकवी जैसी कथित पत्रकारों ने हमास के आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले की निंदा नहीं की, लेकिन जब ये तय हो गया कि इजरायल बदला लेने जा रहा है, तो एक ट्वीट किया,“आँख के बदले आँख से दुनिया अंधी हो जाएगी!” सबा को यह उपदेश तब याद नहीं आया था जब हमास के आतंकियों ने इजरायली नागरिकों की चुन चुन कर हत्या की थी!
राना अयूब भी हमास के बचाव में और इजरायल के विरोध में आई और स्वरा भास्कर जैसी अभिनेत्रियों ने भी इसी प्रकार कहा। स्वरा भास्कर ने अपने इन्स्टाग्राम पर लिखा कि “यदि आपको तब बुरा नहीं लगा जब इजरायल ने फिलिस्तीन पर हमला किया, जब इजराइलियों ने फिलिस्तीनों के घर तबाह किए और बच्चों और किशोरों को नहीं बख्शा और दस साल तक लगातार गाजा पर हमला किया, तो मुझे इजराइल पर हुए अटैक पर शोक मना रहे लोगों का ये कृत्य पाखंड भरा लग रहा है।”
सबा नकवी, राना अयूब, स्वरा भास्कर जैसी एजेंडा चलाने वाली औरतें जहां एक ओर फिलिस्तीन और हमास को लेकर दस वर्ष या कुछ उससे अधिक वर्ष पीछे जाकर बात करती हैं, तो वहीं भारत में वह हिन्दुओं द्वारा इस्लामी आतताइयों के इतिहास को यह कहकर शांत करने की कोशिश करती हैं कि इतिहास में नहीं जाना चाहिए।
फिर भी यह बहुत ही हैरानी भरी बात है कि जहां एक ओर पूरी दुनिया इजरायल पर अचानक हुए इस हमले से हैरान और स्तब्ध है तो वहीं भारत, जो कि न जाने कितनी सदियों से ऐसी घटनाओं का भुक्तभोगी रहा है, वहां पर ऐसे लोग हैं जो इन आतंकी घटनाओं और आतंकियों के समर्थन में हैं।
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