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स्वार्थ का गठजोड़

बीते जून माह सरे में गुरुद्वारे के बाहर दो नकाबपोशों ने गोली मारकर निज्जर की हत्या कर दी थी। हालांकि ट्रूडो सरकार निज्जर को पांथिक नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है, लेकिन सोशल मीडिया पर निज्जर के कई वीडियो हैं,

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Oct 6, 2023, 12:20 pm IST
in भारत, पंजाब
कनाडा, खालिस्तानी आतंकियों व गैंगस्टरों का गठजोड़ परस्पर स्वार्थ पर टिका है

कनाडा, खालिस्तानी आतंकियों व गैंगस्टरों का गठजोड़ परस्पर स्वार्थ पर टिका है

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कनाडा, खालिस्तानी आतंकवाद और पंजाब के अपराधी गिरोहों का आपसी गठजोड़ परस्पर स्वार्थ से से गुंथा हुआ है। पंजाब के कुछ राजनीतिक तत्व भी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इसमें मददगार हैं। मानव तस्करी के जरिए पंजाब के अर्ध-कुशल युवाओं को कनाडा ले जाया जाता है, जहां वे खालिस्तानी आतंकियों के लिए पैदल सिपाही का काम करते हैं। इधर, पंजाब में सक्रिय अपराधी गिरोहों का इस्तेमाल ड्रग्स और धन हस्तांतरण आदि में किया जाता है। बदले में अपराधियों को कनाडा में शरण मिल जाती है और अत्याधुनिक हथियारों तक उनकी पहुंच हो जाती है। यह स्थिति बहुत कुछ 1990 के दशक की मुंबई जैसी है, जिसमें माफिया गिरोहों ने आईएसआई के साथ मिलकर आतंकवादी हरकतों को अंजाम दिया था

आतंकी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) का सरगना हरदीप सिंह निज्जर और कनाडा में गैंगस्टर-आतंकी सुखदूल सिंह उर्फ सुक्खा दुनेके की हत्या ने एक बार फिर खालिस्तानी अलगाववाद, अपराध और आतंकवाद के गठजोड़ को उजागर कर दिया है। पहले इन दोनों की भूमिका को देखें।

निज्जर का काम केटीएफ के लिए धन जुटाने के इरादे से युवाओं की भर्ती करना और जबरन वसूली करने के लिए आतंकी-अपराधी गिरोह बनाना था। वहीं, निज्जर की हत्या के बाद सुक्खा को केटीएफ को पुनर्जीवित करने का काम सौंपा गया था। इस तंत्र का अभिन्न अंग हैं- हथियारों, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों की सीमा पार तस्करी करवाने वाला गिरोह, मानव तस्करी और आतंकी वित्तपोषण करने वाला एक विस्तृत नेटवर्क।

पिछले कुछ वर्ष से भारत सरकार पूरी शक्ति से इस नेटवर्क की कमर तोड़ने में लगी हुई है। यह नेटवर्क हवाला चैनलों से ही नहीं, औपचारिक धन हस्तांतरण तरीकों और बैंकिंग के माध्यम से भी पैसा एक देश से दूसरे देश लाने-ले जाता है और विदेशों से इस नेटवर्क को पैसा उपलब्ध कराता है। बीते जून माह सरे में गुरुद्वारे के बाहर दो नकाबपोशों ने गोली मारकर निज्जर की हत्या कर दी थी। हालांकि ट्रूडो सरकार निज्जर को पांथिक नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रही है, लेकिन सोशल मीडिया पर निज्जर के कई वीडियो हैं, जिनमें उसे खालिस्तानियों के आतंकी कृत्यों, उनकी वकालत करते, भारतीय हस्तियों की लक्षित हत्या का जश्न मनाते और शूटिंग रेंज में हथियारों के साथ अभ्यास करते देखा जा सकता है। ये ऐसे मामले नहीं हैं, जिनकी अनदेखी की जा सके। यह भारत की सुरक्षा और अखंडता की रक्षा का प्रश्न है। लिहाजा, एनआईए ने खालिस्तानी आतंकवाद से जुड़े लोगों की संपत्तियां जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

एनआईए के निशाने पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) का कथित कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नू है। निज्जर की संपत्तियों को भी जब्त करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। ये कार्रवाई पंजाब के मोहाली में स्थित सीबीआई-एनआईए विशेष अदालत द्वारा जारी आदेश पर की जा रही हैं। चंडीगढ़ के सेक्टर 15-सी में स्थित पन्नू की संपत्ति पर जब्ती का नोटिस लग चुका है। एनआईए ने खालिस्तानी नेटवर्क को खत्म करने के लिए 19 खालिस्तानी आतंकियों की संपत्तियों को जब्त करने का फैसला किया है। एनआईए ने घोषित अपराधियों की सूची भी बनाई है, जिसमें वे गैंगस्टर शामिल हैं, जो कनाडा से गिरोहों चला रहे हैं। इस सूची के जरिए एनआईए ने कनाडा से संचालित आतंकी-गैंगस्टर नेटवर्क को दुनिया के सामने ला दिया है। वहीं, भारत ने वीजा पर रोक लगाकर इनमें से कुछ को कनाडा में ही स्थायी रूप से रहने के लिए बाध्य कर दिया है। इस सूची में सुक्खा का भी नाम था।

जिहादी-खालिस्तानी भाई-भाई

खालिस्तानी आतंकी अर्शदीप डल्ला के पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबंध उजागर हो चुके हैं। कनाडा में छिपे इस आतंकी की मंशा पंजाब में हिंदू नेताओं को निशाना बनाने का था, जिससे कनाडा में कट्टरपंथी और आतंकी गतिविधियों का असली स्वरूप सामने आया है। इंटरपोल ने खालिस्तानी आतंकी करणवीर सिंह के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है। करणवीर पाकिस्तान में रहता है और उसका खालिस्तान समर्थक आतंकी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल से संबंध है। इंटरपोल की वेबसाइट पर सूचीबद्ध आरोपों के अनुसार, करणवीर पर आपराधिक साजिश, हत्या, शस्त्र अधिनियम व विस्फोटक पदार्थ अधिनियम से जुड़े अपराध, आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाना और आतंकी गिरोह से जुड़े होने का आरोप है।डल्ला ने जुलाई 2020 में भारत छोड़ दिया था। भारतीय एजेंसियों द्वारा संकलित एक डोजियर में उसकी पहचान कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी समर्थक समूहों से जुड़े लोगों में की गई है।

खालिस्तानी आतंकियों की योजनाओं का खुलासा इस साल की शुरुआत में दो संदिग्ध आतंकियों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के दौरान हुआ था। दिल्ली के जहांगीरपुरी में जनवरी में की गई छापेमारी में जगजीत सिंह जग्गा और नौशाद को गिरफ्तार किया गया था। दोनों के पास से हथियार बरामद हुए थे। लगभग दो महीने पहले अदालत में दाखिल दिल्ली पुलिस के आरोप-पत्र के अनुसार, पूछताछ में जग्गा ने बताया कि वह डल्ला के संपर्क में था। कनाडा स्थित खालिस्तानी आतंकियों ने जग्गा को पंजाब में आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार रहने को कहा था। खुफिया सूत्रों के अनुसार, डल्ला लश्कर-ए-तैयबा के एजेंट सुहैल के संपर्क में था। जग्गा और नौशाद ने पुलिस को बताया है कि सुहैल और डल्ला के कहने पर ही उन्होंने जहांगीरपुरी में एक हिंदू लड़के का सिर धड़ से अलग करने के बाद इसका वीडियो बनाकर उन्हें भेजा था। इसके बदले उन्हें दो लाख रुपये मिले थे।

25 सितंबर को पंजाब पुलिस ने फिरोजपुर और आसपास के प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के आतंकी लखबीर सिंह लंडा और उसके सहयोगियों से जुड़े 48 ठिकानों पर छापेमारी कर कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है। सितंबर की शुरुआत में भी पंजाब पुलिस ने लंडा के करीबी सहयोगियों के 297 ठिकानों पर छापेमारी कर कई आपत्तिजनक सामग्री जब्त की थी। यह छापेमारी एनआईए द्वारा अगस्त महीने में तरनतारन में लंडा की जमीन जब्त करने के बाद हुई थी। एजेंसी ने लंडा और रिंदा के बारे में जानकारी देने पर 10 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की थी, जबकि परमिंदर सिंह कैरा उर्फ पट्टू, सतनाम सिंह उर्फ सतबीर सिंह उर्फ सत्ता और यादविंदर सिंह उर्फ यद्दा आदि के लिए 5 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी। लंडा और उसके सहयोगी आतंकी कृत्यों को अंजाम देने, बीकेआई के लिए धन जुटाने, पंजाब में हथियारों व नशीले पदार्थों की तस्करी, जबरन वसूली और राज्य में चुन-चुन कर की गई हत्याओं सहित कई मामलों में एनआईए के रडार पर हैं। लंडा, रिंदा, परमिंदर, सतनाम और यादविंदर पैसे दिलाने का वादा करके बीकेआई के लिए नए आतंकियों की भर्ती करते हैं।

हाल ही में एनआईए ने 54 आतंकियों-अपराधियों की दो सूची जारी की है। एक सूची में 11 लोगों के नाम हैं, जबकि दूसरी सूची में कनाडा या अन्य जगहों पर स्थित खालिस्तानी आतंकियों सहित सर्वाधिक 43 वांछित अपराधियों के नाम थे, जिनमें गोल्डी बराड़, लॉरेंस बिश्नोई, अनमोल बिश्नोई और अर्शदीप सिंह गिल सहित कई गैंगस्टर शामिल थे। भारत में उनके प्रवेश पर रोक लगाने के लिए उनकी ओवरसीज सिटिजनशिप आफ इंडिया (ओसीआई) रद्द करने की भी कार्रवाई चल रही है।

कबूतरबाजी का हथियार

मानव तस्करी या कबूतरबाजी का भी खालिस्तानी नेटवर्क से गहरा संबंध है। मारे गए आतंकी निज्जर और कनाडा में रह रहे अन्य खालिस्तान समर्थक तत्व वीजा प्रायोजित करके पंजाब के युवकों को कनाडा ले जाते हैं। वे इन युवाओं को अपने नियंत्रण वाले गुरुद्वारों में धार्मिक कार्यों सहित मध्यम-कुशल या अकुशल नौकरियों और ‘ठहरने-खाने की व्यवस्था और मामूली मजदूरी’ का लालच देते थे।
इस तरह पंजाब के भोले-भाले युवा इनके जाल में फंसकर कनाडा पहुंच जाते हैं और ‘खालिस्तान समर्थक ब्रिगेड’ के मोहरे बन जाते हैं। इनमें अधिकांश युवाओं को सरे, ब्रैम्पटन, एडमॉन्टन आदि में खालिस्तान समर्थक तत्वों द्वारा नियंत्रित 30 से अधिक गुरुद्वारों में प्लंबर, ट्रक चालक या सेवादार, पंथी और रागी जैसे पांथिक काम दिए जाते हैं। फिर इनका इस्तेमाल अलगाववादी प्रदर्शन, भारत विरोधी प्रदर्शन आयोजित करने और कनाडा में कट्टरपंथी पांथिक सभाएं आयोजित करने में किया जाता है। खालिस्तानी आतंकियों की जाल में अधिकांश फंसने वाले अधिकांश युवा कर्ज में डूबे होते हैं और उनके पास वीजा प्रायोजित करने वालों की बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता है।

मानव तस्करी का तीसरा इस्तेमाल गैंगस्टरों के साथ साठगांठ करने में होता है। फिर इन गैंगस्टरों का इस्तेमाल पंजाब में आतंकी हमलों के लिए किया जाता है। गिरोहों के सदस्यों से हमले और वसूली, तस्करी आदि करवाई जाती है। इसके ऐवज में इन वांछित गैंगस्टरों को कनाडा में शरण या छिपने का ठिकाना मिल जाता है। इस मामले में निज्जर, बुआल व भगत सिंह बराड़ ने पंजाब में दविंदर बंबीहा गैंग, अर्श डल्ला गिरोह, लखबीर लंडा गिरोह जैसे नाम सामने आए हैं।

कबूतरबाजी का दूसरा तरीका है कनाडा में राजनीतिक शरण मांगना। कनाडा के खालिस्तान-समर्थक तत्व, खासतौर से निज्जर, मोनिंदर सिंह बुआल, परमिंदर पंगली और भगत सिंह बराड़ का गिरोह ऐसे हथकंडे आजमाता है। पंजाब का एक राजनीतिक दल इसके लिए सिफारिशी पत्र जारी करता है। हर पत्र के लिए एक से दो लाख रुपये वसूले जाते हैं। पंजाब के युवाओं को सौंपे जाने वाले इस ‘पत्र’ में झूठा दावा किया जाता है कि वे उस पार्टी के कैडर हैं और भारत में पांथिक आधार पर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। फिर इस पत्र के आधार पर कनाडा में राजनीतिक शरण मांगी जाती है।

कनाडा पहुंचने पर इन युवाओं को खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में शामिल होने के लिए बाध्य किया जाता है।मानव तस्करी का यह तरीका कनाडा की एजेंसियों की जानकारी में होता है, लेकिन इससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती है। वास्तव में कनाडा की एजेंसियां यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती हैं कि कम कुशल भारतीयों की आवक कनाडा में बनी रहे, ताकि खालिस्तानी कार्ड को जीवित रखा जा सके। इतना ही नहीं, कनाडा की एजेंसियां यह भी सुनिश्चित करती हैं कि कनाडा के गुरुद्वारों पर सिर्फ खालिस्तान समर्थक तत्वों का नियंत्रण बना रहे।

अर्ध कुशल प्रवासियों को अपराध की दुनिया से जोड़ना भी अपेक्षाकृत सरल होता है। और इसका इस्तेमाल स्थानीय भारतीय हिंदू प्रवासियों को डराने और उनके मंदिरों पर हमले करवाने में किया जाता है। इस मानव तस्करी का हाल ही में एसएफजे के ‘खालिस्तान रेफरेंडम’ अभियान के लिए समर्थन जुटाने में इस्तेमाल किया गया था।

मानव तस्करी का तीसरा इस्तेमाल गैंगस्टरों के साथ साठगांठ करने में होता है। फिर इन गैंगस्टरों का इस्तेमाल पंजाब में आतंकी हमलों के लिए किया जाता है। गिरोहों के सदस्यों से हमले और वसूली, तस्करी आदि करवाई जाती है। इसके ऐवज में इन वांछित गैंगस्टरों को कनाडा में शरण या छिपने का ठिकाना मिल जाता है। इस मामले में निज्जर, बुआल व भगत सिंह बराड़ ने पंजाब में दविंदर बंबीहा गैंग, अर्श डल्ला गिरोह, लखबीर लंडा गिरोह जैसे नाम सामने आए हैं।

आज स्थिति यह है कि पंजाब में आतंकवाद से जुड़े जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें से आधे से ज्यादा का संबंध कनाडा स्थित खालिस्तानी आतंकियों से है। कनाडा इन आतंकियों पर कभी कार्रवाई नहीं करता है। यहां तक कि उनसे साधारण पूछताछ भी नहीं की जाती है। बदले में गैंगस्टरों को अत्याधुनिक हथियार मिल जाते हैं। सबसे संगीन तौर पर इस गठजोड़ का इस्तेमाल पाकिस्तान करता है।
पाकिस्तान से पंजाब में ड्रग्स लाने और यहां खालिस्तानी हरकतों के लिए पैसा उपलब्ध कराने के लिए कनाडा स्थित गैंगस्टरों को इस्तेमाल किया जाता है। स्थिति यह है कि पंजाब के अपराधी गिरोहों की आपसी प्रतिद्वंद्विता अब कनाडा में आम हो चुकी है।

Topics: canadaपंजाबआतंकी वित्तपोषणट्रूडो सरकार निज्जरKhalistani terrorismterrorist financingमानव तस्करीTrudeau government NijjarHuman Traffickingpunjabखालिस्तानी आतंकवादकनाडा
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