जकार्ता। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में दक्षिण चीन सागर के लिए प्रभावी आचार संहिता को जरूरी करार दिया। बता दें कि दक्षिण चीन सागर में चीन घुसपैठ की कोशिश कर रहा है।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को सभी देशों से अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत करने के लिए संयुक्त प्रयास करने को कहा। उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता प्रभावी होना चाहिए और यह संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप होनी चाहिए। साथ ही इसमें उन देशों के हितों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए जो चर्चा का हिस्सा नहीं हैं। क्षेत्र के सभी देशों की हिंद-प्रशांत में शांति, सुरक्षा और समृद्धि में रुचि है। ऐसे में समय की मांग एक ऐसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र की है, जहां यूएनसीएलओएस सहित अंतरराष्ट्रीय कानून सभी देशों पर समान रूप से लागू हो। जहां नौपरिवहन और ऊपर से उड़ान की स्वतंत्रता हो और जहां सभी के लाभ के लिए बेरोकटोक वैध व्यापार हो।
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य कठिन परिस्थितियों और अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है। आतंकवाद, उग्रवाद और भू-राजनीतिक संघर्ष हम सभी के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। इनका सामना करने के लिए बहुपक्षवाद और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह से पालन करना आवश्यक है। साथ ही सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत करने के लिए सभी की प्रतिबद्धता और संयुक्त प्रयास भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि आज का युग युद्ध का नहीं है। वे यह बात पहले भी कह चुके हैं कि बातचीत और कूटनीति ही समाधान का एकमात्र रास्ता है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
टिप्पणियाँ