गत दिनों पड़ोसी इस्लामी देश पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप लगाकर एक के बाद एक, पांच चर्च तोड़े गए थे। इतना ही नहीं, वहां ईसाइयों पर भी मजहबी उन्मादी भीड़ ने हमला बोलकर खूब हिंसा मचाई थी। इस घटना की अमेरिका सहित अनेक देशों ने भर्त्सना की थी। अब इस्लामी देश संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई ने भी चर्च तोड़े जाने को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया है। उसने कहा है कि पांथिक स्थलों, प्रतीकों का सम्मान किया जाना चाहिए।
पाकिस्तान में मंदिरों और चर्चों पर कोई पहली बार हमला नहीं हुआ है। वहां तो हिन्दू—सिख, ईसाई लोगों को हिंसा का निशाना बनाया जाता रहा है। लेकिन इस बार फैसलाबाद में हुई चर्च तोड़ने की इस घटना का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतना प्रसार हुआ कि कई देशों ने अपना विरोध दर्ज कराया। यूएई के विदेश मंत्रालय ने खासतौर पर बयान जारी किया। बयान में यूएई ने पाकिस्तान को एक तरह से पांथिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया है। लिखा है कि नफरत पैदा करने वाले भाषण, वक्तव्य तथा उग्रपंथी तत्व सहिष्णुता, सह-अस्तित्व तथा शांति के मूल्यों के प्रसार के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में अड़चन पैदा करते हैं।
सिर्फ फैसलाबाद में ही नहीं, कराची, लाहौर आदि शहरों में भी पिछले कुछ सालों में अनेक मंदिर, गुरुद्वारे और चर्च मजहबी कट्टरपंथियों की हिंसा का शिकार बने हैं। फैसलाबाद में चर्च पर मुस्लिम भीड़ के हमले की कड़ी निंदा देखने में आई है। संयुक्त अरब अमीरात का यूं पाकिस्तान को सहिष्णुता का सबक सिखाना खास नजर से देखा जा रहा है।
पाकिस्तान के मीडिया ने उक्त घटना को लेकर लंबी रिपोर्ट छापी थीं। बताया गया कि स्थानीय लोग कुरान के अपमान को लेकर गुस्से में थे। ये आक्रोश हिंसा में बदल गया। उन्मादी भीड़ ने फैसलाबाद शहर में ही पांच चर्च तोड़ दिए, आगजनी की। इतना ही नहीं, चर्च के आस-पास की ईसाई कालोनी में भी घरों को जलाया गया। ईसाइयों के साथ मारपीट की गई, उनका माल—असबाब लूटा गया।
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय का बयान आगे कहता है कि पाकिस्तान में मानवीय तथा नैतिक मूल्यों के साथ साथ सिद्धांतों की भी अब कोई हिफाजत नहीं रही है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि आज समय है कि जब दुनिया के स्तर पर हमें सहिष्णुता, शांति तथा सार्वभौमिकता के सिद्धांतों को बनाए रखना होगा, हमें साथ मिलकर काम करना होगा। आज के समय में किसी भी तरह के मजहबी उन्माद पर काबू पाना होगा। हमें पांथिक प्रतीकों को इज्जत बख्शनी चाहिए। हैरानी की बात है कि यूएई ने अपने इसी बयान में फैसलाबाद में हुई दुखद घटना से निपटने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उनकी प्रशंसा भी की है।
पाकिस्तान के मीडिया ने उक्त घटना को लेकर लंबी रिपोर्ट छापी थीं। बताया गया कि स्थानीय लोग कुरान के अपमान को लेकर गुस्से में थे। ये आक्रोश हिंसा में बदल गया। उन्मादी भीड़ ने फैसलाबाद शहर में ही पांच चर्च तोड़ दिए, आगजनी की। इतना ही नहीं, चर्च के आस-पास की ईसाई कालोनी में भी घरों को जलाया गया। ईसाइयों के साथ मारपीट की गई, उनका माल—असबाब लूटा गया।
पंजाब सरकार के सूचना मंत्री अमीर मीर ने इस घटना की निंदा करते हुए, उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए। उन्होंने उपद्रव करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया। मीर ने खुद इसे एक सोची-समझी साजिश करार दिया था।
पाकिस्तानी पुलिस ने अभी तक जिन अपराधियों को पकड़ा है, वे कथित तौर पर अहल-ए-सुन्नत तथा तहरीके-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से जुड़े बताए गए हैं। पुलिस ने लगभग 100 उन्मादियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, मुहम्मद अफजल और चार अन्य मजहबी उन्मादियों ने राजा अमीर मसीह और उसकी बहन राकी मसीह पर कुरान के पमान तथा मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप लगाए थे। राजा और उसकी बहन पर भी पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं।
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