अमदाबाद। देश की सेना की गुप्त जानकारी पाकिस्तान की जासूसी संस्था आईएसआई को भेजने के मामले में तीन दोषियों को अमदाबाद सेशन कोर्ट के विशेष कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीन में से दो दोषी सिराजुद्दीन और अय्यूब अमदाबाद के जलालपुर और एक दोषी नौशाद अली राजस्थान के जोधपुर का निवासी है। तीनों को अमदाबाद के जिला क्राइम ब्रांच ने वर्ष 2012 में गिरफ्तार किया था।
जज एआर पटेल ने फैसले में कहा कि आईपीसी 121 के तहत ऐसे दोषियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है, लेकिन इस केस में अब तक देश के किसी नागरिक को नुकसान नहीं हुआ है, इससे इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस नहीं माना जा सकता है। इसलिए मृत्यु दंड नहीं दिया जा रहा है। आरोपितों को आईपीसी की धारा 121, 120 बी, के तहत आजीवन कैद, धारा 123 के तहत 10 वर्ष की सजा, ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 की धारा 3 के तहत 14 साल की कैद और आईटी एक्ट 200 की धारा 66 की तहत सजा सुनाई गई। इसके अलावा 5-5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
सिराजुद्दीन कराची में आईएसआई एजेंट से मिला था
सरकारी वकील भरत पटणी ने बताया कि इस केस में कोर्ट ने कुल 75 साक्षियों की जांच की। जमालपुर निवासी सिराजुद्दीन वर्ष 2007 में पाकिस्तान के कराची में आईएसआई के एजेंट से मिला था। वहीं, राजस्थान का नौशाद अली वर्ष 2009 में पाकिस्तान गया था और वहां हैदराबाद में आईएसआई एजेंट तैमूर और ताहिर से मिला था। क्राइम ब्रांच ने सिराजुद्दीन और अय्यूब उर्फ शाकिर शेख को रुपए लेने जाते वक्त गिरफ्तार किया था। जिन जगहों से इन तीनों ने रुपए निकाले थे उस साइबर कैफे में जाकर क्राइम ब्रांच ने स्क्रीन शॉट लिया था। तीनों दोषी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को देश की सेना की जानकारी भेजते थे, इसके बदले में रुपए लेते थे। इन्होंने वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के जरिए 1.96 लाख और मनीग्राम के जरिए 6 हजार मिलाकर कुल 2 लाख रुपए आईएसआई से प्राप्त किया था।
सिराजुद्दीन के घर से मिला था कैन्टोनमेंट का नक्शा
सिराजुद्दीन के घर की जांच में उसके घर से अमदाबाद कैन्टोनमेंट का नक्शा बरामद हुआ था। वहीं, राजस्थान निवासी नौशाद जोधपुर कैन्टोन्मेंट और बीएसएफ हेडक्वार्टर की जानकारी आईएसआई को भेजकर रुपए प्राप्त करता था। इन तीनों ने राजस्थान, अहमदाबाद और गांधीनगर मिलिट्री कैम्प की रेकी की थी और आईएसआई को 3 साल तक खुफिया सूचनाएं भेजी थी।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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