वाराणसी। काशी के मंदिरों में दर्शन-पूजन के साथ यहां के अलौकिक शक्तियों के रहस्यों को समझने व अनुभूति करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। रूस के एंटोन एंड्रीव भी धर्म, कला-संस्कृति से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने गुरु दीक्षा लेकर सनातन धर्म को अपना लिया। एंटोन एंड्रीव से अनंतानंद नाथ बन गए। वाग्योग चेतना पीठम में आयोजित अनुष्ठान के दौरान एंटोन की तंत्र दीक्षा पूरी हुई। उनको गुरु मंत्र और गोत्र कश्यप मिला। एंटोन पेशे से मनोवैज्ञानिक है और अक्सर भारत की यात्रा करते रहते हैं।
अनंतानंद बताते हैं कि वे रूस में साइकोलॉजिस्ट यानी मनोविज्ञानी हैं। जीवन मे उनको शांति की तलाश थी। उनको काशी के पंडित आचार्य वागीश शास्त्री के बारे में पता चला था। तभी से उन्हें तंत्र – मंत्र के बारे में जानने की इच्छा हुई। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध और वहां के हालात से दुनिया के सभी देश परिचित हैं। जीवन को गुण रहस्यों को समझने के लिए उन्होंने विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी को चुना।
जब अनंतानंद भारत पहुंचे तो उन्हें पता चला कि वर्ष 2022 में पंडित वागीश शास्त्री का निधन हो चुका है। वागीश शास्त्री के पुत्र आशापति शास्त्री ने बताया कि अनंतानंद वर्ष 2015 में ही पिताजी के संपर्क में आए थे। समयाभाव के चलते उन्होंने साधना और दीक्षा पूर्ण नहीं की थी। मन में बढ़ते व्याकुलता ने उन्हें पुनः काशी बुला लिया। मेरे सानिध्य में अनंतानंद ने कुंडलिनी साधना की 10 कक्षाएं पूर्ण की।
वाराणसी के आशापति शास्त्री के साथ ही पंडित सत्यम शास्त्री और विनीत शास्त्री ने तंत्र दीक्षा दिलाई। पंडित आशापति ने बताया कि उनके गुरु वागीश शास्त्री और उनके द्वारा दीक्षा देने का यह काम 1980 में शुरू किया गया था। इसके बाद से अब तक कुल 80 देशों के 15 हजार से भी ज्यादा नागरिक दीक्षा ले चुके हैं।
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