सूडान से वहां बने हुए लगातार खतरनाक हालातों के समाचार मिल रहे हैं। ताजा समाचार तो दुनिया में एक तरह से चिंता और भय की वजह बन गया है। अगर वहां परिस्थितियां ऐसी ही बनी रहीं तो पूरी दुनिया में पोलियो और खसरे जैसी खतरनाक बीमारियों के फैलने का खतरा पैदा हो जाएगा।
डब्ल्यूएचओ ने दुनिया को चेताते हुए सूचना दी है कि सूडान में युद्धरत लड़ाकों ने ऐसी लैब पर कब्जा कर लिया है जहां जानलेवा वायरस रखे हैं। अगर उनसे छेड़छाड़ होती है तो ये वायरस पूरी दुनिया में फैल सकते हैं।
सूडान में हवंा की फौज तथा अर्धसैनिक बलों के बीच भीषण लड़ाई छिड़ी हुई है। दरअसल यह संघर्ष सूडान के सेना प्रमुख जनरल अब्देल-फतह बुरहान तथा अर्धसैनिक बल आरएसएफ प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दगालो के बीच सत्ता में हिस्सेददारी को लेकर चल रहा है।
दोनों धड़ों के बीच पिछले कई दिनों से जारी हिंसक संघर्ष में सैनिक और अर्धसैनिक एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। इस हिंसा के बीच दूसरे देशों के लोगों ने जान बचाने को वहां से निकलना शुरू कर दिया है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कल एक चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि सूडान में लड़ रहे लड़ाकों ने केन्द्रीय सार्वजनिक प्रयोगशाला में घुसकर उसे अपने कब्जे में ले लिया है। वैश्विक स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, संघर्षरत लड़ाकों ने जिस लैब पर कब्जा कर लिया उसमें पोलियो और खसरे जैसे अनेक गंभीर रोगों के वायरस नमूने के तौर पर रखे गए हैं। चिंता की बात यह है कि अगर लड़ाकों की गलती से ये वायरस लीक हुए तो तबाही भरे हालात होंगे।
इस लड़ाई की वजह से सूडान टूटकर बिखरने की हालत में पहुंच गया है। तबाही मुंहबाए खड़ी है, राजधानी खारतूम में चारों तरफ कहर साफ दिखता है। लोग बदहाल हैं, भूखे—प्यासे हैं, मकान टूट चुके हैं, शहर उजाड़ हो चुका है, वीरानी पसरी है।
डब्ल्यूएचओ की सूडान स्थित प्रतिनिधि नीमा सईद आबिद ने जिनेवा में पत्रकारों से आनलाइन बात करते हुए कहा है कि केंद्रीय सार्वजनिक प्रयोगशाला पर लड़ाकों द्वारा कब्जा करना चिंता पैदा कर रहा है। अगर इस युद्ध को रोका नहीं गया तो हालात काबू से बाहर हो सकते हैं। सईद को डर है कि कहीं उस प्रयोगशाला को कब्जे में लिए लड़ाके वायरसों के नमूनों से छेड़छाड़ कर बैठे तो दुनिया भर के लिए यह एक बड़ा खतरा होगा।
उल्लेखनीय है कि सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर वहां यह लड़ाई सेना तथा अर्धसैनिक बलों के बीच ताकत को तोलने जैसी है। न सूडान के सेनाप्रमुख जनरल अब्देल-फतह बुरहान कदम पीछे लेने को तैयार हैं, न अर्धसैनिक बल के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दगालो ही घुटने टेकने को तैयार हैं। दोनों के बीच चल रही इस लड़ाई की वजह से सूडान टूटकर बिखरने की हालत में पहुंच गया है। तबाही मुंहबाए खड़ी है, राजधानी खारतूम में चारों तरफ कहर साफ दिखता है। लोग बदहाल हैं, भूखे—प्यासे हैं, मकान टूट चुके हैं, शहर उजाड़ हो चुका है, वीरानी पसरी है।
विदेशी दूतावास खाली हो चुके हैं, बाहर से आकर वहां रह रहे लोग अपने अपने देशों को लौटने की आपाधापी में हैं। भारत ने भी आपरेशन कावेरी के माध्यम से सिर्फ भारतीयों को ही वहां से जल और वायु मार्ग से सुरक्षित निकालना शुरू नहीं किया है, बल्कि श्रीलंका आदि देशों के नगारिकों को भी निकालने का आश्वासन दिया है।
दुनिया के अनेक देश सूडान की परिस्थितियों पर चिंता जाहिर कर चुके हैं, सूडान से लगते अफ्रीकी देशों को भय है कि हिंसा का असर उनके यहां भी पड़ सकता है। इस हिंसा में अब तक 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, हजारों लोग घायल हैं।
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