कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों को यह मशीन बहुत ही मदद कर रही है। अब तक हजारों ‘स्कूटर’ बिक चुके हैं। एक ‘स्कूटर’ की कीमत है- 75,000 रु.। इस ‘स्कूटर’ ने महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा का भी ध्यान खींचा है।
कर्नाटक स्थित मंगलौर के गणपति भट्ट का ‘स्कूटर’ सड़क पर नहीं, बल्कि पेड़ पर दौड़ता है। यह पढ़कर अजीब लगा ना! लेकिन यह सच है। भौतिक विज्ञान से स्नातक कोमाले गांव के गणपति ने एक ऐसे ‘स्कूटर’ (एरेका नामक चढ़ाई मशीन) का आविष्कार किया है, जो 60 से 70 फीट के सुपारी और नारियल के पेड़ों पर सरसराते हुए चढ़ जाता है। 28 किलो वजनी यह स्कूटर 60 से 80 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से 80 किलो वजन लेकर पेड़ों पर चढ़ सकता है और औसतन एक लीटर पेट्रोल में 80 से ज्यादा पेड़ों पर चढ़ा जा सकता है। हाइड्रोलिक ड्रम ब्रेक, हैंड गियर, एक डबल चेन और एक सुरक्षा बेल्ट से मिलकर बनी गणपति की इस मशीन ने सुपारी किसानों की मुश्किलों को काफी हद तक कम कर दिया है।
दरअसल, नारियल और सुपारी की खेती करना किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके बावजूद अधिकतर किसान इसकी खेती करने से कतराते हैं। वजह है कि नारियल और सुपारी के पेड़ों पर चढ़ना मुश्किल होता है, क्योंकि ये पेड़ सीधे और चिकने होते हैं।
बरसात के दिनों में इन पेड़ों के फलों पर कीड़े लगने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में उनके रख-रखाव के लिए फलों पर कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ता है। लेकिन बिना चढ़े यह संभव ही नहीं है और कीटनाशक आदि की मशीन लेकर चढ़ना और भी जटिल। यही वजह है कि किसान इनकी खेती से कतराते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। गणपति द्वारा बनाया गया स्कूटर किसानों को महज 30 सेकंड में पेड़ की फुनगी (शिखर) तक पहुंचा देता है, जबकि बिना ‘स्कूटर’ के इन पेड़ों पर चढ़ने में उन्हें 4 से 5 मिनट तक लगते थे।
गणपति खुशी-खुशी बताते हैं कि जैसे-जैसे किसानों को इसके बारे में जानकारी हो रही है, वे मुझसे संपर्क कर इसे खरीदने की कोशिश कर रहे हैं।
60 वर्षीय गणपति बताते हैं, ‘‘आज तकनीकी हर क्षेत्र में मानव जीवन को सरल बना रही है। ऐसे में सुपारी किसानों का जीवन कठिन रहे, यह मुझे खटकता था। मैं हर दिन इसे देखता था और खुद भी चढ़ता था तो बहुत कष्ट होता था। तभी विचार आया कि इस परेशानी को तकनीक के सहारे कैसे दूर किया जाए। विज्ञान से स्नातक हूं तो स्वाभाविक है कि दिमाग में विचार आया।
हमने उस पर काम किया और एक ‘स्कूटर’ बनाया जो आज मुझे ही नहीं, बल्कि कई राज्यों के किसानों को मदद करता है।’’ गणपति खुशी-खुशी बताते हैं कि जैसे-जैसे किसानों को इसके बारे में जानकारी हो रही है, वे मुझसे संपर्क कर इसे खरीदने की कोशिश कर रहे हैं।
कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों को यह मशीन बहुत ही मदद कर रही है। अब तक हजारों ‘स्कूटर’ बिक चुके हैं। एक ‘स्कूटर’ की कीमत है- 75,000 रु.। इस ‘स्कूटर’ ने महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा का भी ध्यान खींचा है। उन्होंने ट्वीट कर इस नए आविष्कार की तारीफ की। उन्होंने लिखा, ‘‘ये कितनी कूल है? ये डिवाइस बड़ी प्रभावी है। इसे बेहतरीन तरीके से डिजाइन किया गया है।’’
गौरतलब है कि सुपारी के उत्पादन में कर्नाटक भारत में और भारत विश्व में शीर्ष देशों में है। ऐसे में गणपति का यह आविष्कार यकीनन सुपारी और नारियल किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
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