‘‘भारतीय संस्कारों ने दिलाया दुनिया में भारतवंशियों को सम्मान’’—प्रो. बिमान प्रसाद
May 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

‘‘भारतीय संस्कारों ने दिलाया दुनिया में भारतवंशियों को सम्मान’’—प्रो. बिमान प्रसाद

फिजी के लोग जानते हैं कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है। इसलिए सभी लोगों में, चाहें वे हिन्दू हों, या मुस्लिम, उत्साह का माहौल है। हम यह चाहते हैं कि फिजी में भी भव्य राम मंदिर बने और भगवान राम फिजी के सभी लोगों की भी मनोकामना पूरी करें

by हितेश शंकर
Feb 20, 2023, 12:33 pm IST
in विश्व, साक्षात्कार
फिजी उप प्रधानमंत्री प्रो. बिमान प्रसाद से बातचीत करते पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर

फिजी उप प्रधानमंत्री प्रो. बिमान प्रसाद से बातचीत करते पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

फिजी के उप प्रधानमंत्री प्रो. बिमान प्रसाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण की प्रगति के बारे में सुनते हैं तो उनकी आंखों की कोर गीली हो जाती हैं। कह उठते हैं— ‘एक राम मंदिर फिजी में भी बनना चाहिए’। उनकी बातों में अपने पुरखों की माटी के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का भाव है। हिन्दी के प्रति उनका स्नेह देखते ही बनता है। वे आगे बढ़ते भारत की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहते हैंकि आज दुनिया हर क्षेत्र में भारत की धाक मानती है। भारत के बढ़ते कदम उनके मन को सुकून देते हैं। अपनी भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली स्थित फिजी उच्चायोग में उप प्रधानमंत्री प्रो. बिमान प्रसाद ने पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर से फिजी-भारत संबंधों के विभिन्न पक्षों पर खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

फिजी में एक छोटे भारत के दर्शन होते हैं। साझा सांस्कृतिक विरासत है। पूर्वज साझे हैं। इस साझेपन को आप कैसे देखते हैं?
सबसे पहले मैं पाञ्चजन्य के पाठकों को फिजी की ओर से स्नेह और धन्यवाद व्यक्त करता हूं। भारत आकर बहुत अच्छा लगता है। अब बात फिजी में छोटे भारत के दर्शन की तो निश्चित रूप से फिजी-भारत का एक इतिहास है। सबसे पहले भारत से 1879 में अंग्रेजी राज के अंतर्गत भारतीयों को यहां से अन्य देशों में ले जाया गया था। मॉरीशस, त्रिनिदाद, घाना, लेकिन फिजी इसमें अंतिम देश था। तो उसी समय से भारत और फिजी का संबंध जुड़ा हुआ है, जो आज तक कायम है। विशेष बात यह है कि जब हमारे पूर्वज यहां (भारत) से गए थे तो अपनी संस्कृति, सभ्यता, संस्कार साथ लेकर गए थे। और जब वे फिजी में पहुंचे तो गिरमिट प्रथा थी, उसके तहत उन पर बहुत अत्याचार हुए। इसमें अकेले हिन्दू ही नहीं थे, अन्य मत-पंथों के लोग भी थे। सभी जहाजी भाई बनकर गए थे। और सभी ने फिजी में धर्म-संस्कृति को बरकरार रखा। हमारे पूर्वजों ने बहुत मेहनत की। लगन से काम किया। आज भी हमारी भाषा में हिन्दी प्रमुख है। हमारी संस्कृति और सभ्यता जो है वह धर्म है। एक और बात, हमारे पूर्वज यहां से गए जरूर लेकिन ऐसा कभी नहीं रहा कि कोई संपर्क टूटा हो भारत से। यहां से लोग आते-जाते रहे हैं।

भारत के लोग जानना चाहते थे कि वहां गिरमिटिया सिस्टम कैसा है। खबरों के जरिए वे जानते थे कि इसके तहत अत्याचार होता है। तो उसे बंद कराने के लिए प्रयास भी करते रहते थे। इसी कारण भाषा, धर्म, संस्कृति और सभ्यता का आदान-प्रदान होता रहा है। और इसलिए फिजी में आज हमारी सभ्यता-संस्कृति, विशेषकर हिन्दी भाषा को संरक्षित करके रखा गया है और लगातार उसका प्रचार-प्रसार हो रहा है। कभी-कभी जब लोग भारत से फिजी आते हैं तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य होता है कि डेढ़ सौ सालों के बाद भी वही सभ्यता-संस्कृति जीवंत है। आज भी फिजी में जितने भारतीय बुजुर्ग हैं, उनका भारत से बहुत लगाव है। क्योंकि जब भी उन्हें जीवन में मौका मिलता है तो वे भारत के धार्मिक स्थलों-मथुरा, काशी, अयोध्या, ऋषिकेश एवं पूर्वजों के अन्य स्थानों पर जाना चाहते हैं।

करीब 150 वर्ष पहले भारत से गिरमिटिया श्रमिक ले जाए गए थे। उनपर अनेक अत्याचार हुए, पर उन्होंने अपनी सभ्यता और संस्कृति नहीं छोड़ी। आज उन्हीं के वंश वृक्ष में से कोई उप प्रधानमंत्री है तो कोई किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष। भारतवंशी होने के नाते आज आप कैसा महसूस करते हैं?
बिल्कुल, यह हम सभी के लिए गौरव की बात है। और यह सही है कि जब हमारे पुरखे यहां आए थे तो श्रमिक बनकर आए थे, लेकिन आज उन्हीं के वंशज बड़े-बड़े पदों पर विराजमान हैं। ये सभी बड़े मेहनती लोग थे। जब भारत से इन देशों में वे लोग गए थे तो उन्होंने यहां खूब मेहनत की, कुछ लोग तो इनमें ऐसे थे कि घर पर बताकर भी नहीं गए थे। खैर, एक आस्ट्रेलियाई कंपनी ने उन्हें फिजी में छोटे-छोटे भूखंड दिए और मौका दिया कि ये लोग यहीं रह जाएं। ऐसी स्थिति में भारतीय मूल के लोगों ने जी-तोड़ मेहनत करके अपनी पहचान बनाई। हमारे पूर्वजों ने बच्चों को शिक्षा दी, क्योंकि वे जानते थे कि शिक्षा की बदौलत ही सामाजिक परिवर्तन लाते हुए भविष्य को संवारा जा सकता है। इसलिए बच्चों को उन्होंने हर परिस्थिति में पढ़ाया, जबकि उस समय शिक्षा के संसाधन कम थे। कुछ ही स्कूल-पाठशालाएं हुआ करती थीं। कम लोगों को ही शिक्षा मिल पाती थी। लेकिन जो भारतीय मूल के लोग थे, उन्होंने खुद कोशिश की। गांवों में छोटे-छोटे स्कूल बनाए। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज फिजी में जो भी बड़े-बड़े स्कूल हैं, चाहे वह गांव के हों या शहर के, वे सभी उसी समय के बने हुए हैं। यानी शिक्षा एक सीढ़ी बनी और उसी के सहारे लोग उद्योग-धंधे, सरकारी पेशे, राजनीति या अन्य क्षेत्रों में गए। आज शिक्षा और परिश्रम का फल भारतवंशियों को मिल रहा है।

2014 के पहले का भारत और आज यानी 2023 का भारत, क्या अंतर नजर आता है आपको?
देखिए, जब मैं भारत को देखता हूं तो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को देखता हूं। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने फिजी का दौरा किया था। उस समय मैं संसद में था। मोदी जी ने संसद में भाषण दिया। यात्रा के दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों की नींव रखी। मैं उस समय से भारत को देख रहा हूं कि भारत लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 9 वर्षों में बहुत परिवर्तन आया है। विकास की गाथा लिखी जा रही है। भारत की अन्तरराष्ट्रीय ख्याति दिनों दिन बढ़ रही है। पूरी दुनिया में भारत के साख-सम्मान में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। यह हम सभी भारतवंशियों के लिए ही नहीं, जो अलग-अलग देश में बसे हुए हैं, बल्कि पूरे विकासशील देशों यानी ग्लोबल साउथ के भी जितने देश हैं, सभी के लिए एक गौरव की बात है। क्योंकि भारत विश्वोन्मुख दक्षिण का नेतृत्व कर रहा है। भारत के विकास की ओर बढ़ते कदम, आर्थिक क्षेत्र में बनती महाशक्ति, व्यावसायिक क्षेत्र में ऊंचाइयों को छूता हुआ और सामाजिक परिवर्तन के लिए दुनिया में एक उदाहरण बनकर उभर रहा है। आज भारत की बहुत ही सुंदर छवि दुनिया में बन चुकी है। तभी तो मैं कहता हूं कि भारत के बढ़ने से हमारे जैसे देशों को बहुत फायदा मिल सकता है। इसीलिए हमारी सरकार चाहती है कि भारत से हमारा संबंध घनिष्ठ हो। मजबूत हो। प्रगाढ़ हो।

भारत-फिजी के बीच सामान्य दो देशों के संबंध नहीं हैं। यहां रिश्ते बंधुभाव के हैं। आप उप प्रधानमंत्री के तौर पर इन रिश्तों को कैसे देखते हैं?
देखिए, मैंने पहले ही कहा कि भारत और फिजी के बीच संबंध सिर्फ दो देशों के नहीं हैं। यहां पूर्वजों के संबंध हैं, संस्कृति-सभ्यता के संबंध हैं। निश्चित रूप से यहां बंधुभाव के रिश्ते हैं। हमारा जुड़ाव ही अलग है। यहां केवल आर्थिक, सामरिक, राजनीतिक रिश्ते हैं ही नहीं। यहां तो भारतीयता का संबंध है, जिसे हम कभी अपने से अलग कर ही नहीं सकते। क्योंकि भारतवंशी जिन भी देशों में रह रहे हों, वे कभी भी अपने को भारत से, यहां की भाषा से अलग नहीं कर सकते। इसलिए यह सहज संबंध है हमारा। दूसरी बात, आज भारत अपने निकट के देशों की प्रत्येक क्षेत्र में बहुत मदद कर सकता है, करता भी है। विकासशील देश यह समझ भी रहे हैं। यही वजह है कि भारत से जुड़ने के लिए राजनयिक प्रयास दिनोंदिन बढ़ रहे हैं।

उप प्रधानमंत्री प्रो. बिमान प्रसाद को श्रीरामजन्मभूमि पर केंद्रित ‘सबके राम’ कॉफी टेबल बुुक भेंट करते पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर

भारत लगातार आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 9 वर्षों में बहुत परिवर्तन आया है। विकास की गाथा लिखी जा रही है। भारत की अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिनोंदिन बढ़ रही है। यह हम सभी भारतवंशियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विकासशील देशों यानी ग्लोबल साउथ के लिए एक गौरव की बात है। क्योंकि भारत विश्वोन्मुख दक्षिण का नेतृत्व कर रहा है

हाल ही में आपकी सरकार ने चीन के साथ एक सुरक्षा समझौता रद्द कर दिया। आपकी सरकार ने स्पष्ट कहा कि हमें चीन के सरकारी सुरक्षाकर्मी नहीं चाहिए। मसला क्या था? ऐसा क्यों किया आपने?
फिजी का संबंध उन देशों से है, जहां लोकतंत्र है, मीडिया स्वतंत्र है, मानवाधिकार को मान्यता है, कानून-व्यवस्था का पालन किया जाता है। इन्हीं मूल्यों के आधार पर दुनिया के देश चलते हैं। एक तरीके से कहें तो यह सभ्यता है। देश इन्हीं का आधार लेकर चलाए जाते हैं। इसी कारण हमारे संबंध स्वाभाविक तौर पर भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया या अन्य देशों से हैं, जो इनका पालन-पोषण करते हैं। निश्चित रूप से चीन बड़ा देश है। उनके अलग नियम हैं। उनका अपना तरीका है। वह भी दुनिया में अपने प्रभाव को फैलाना चाहते हैं। लेकिन फिजी के लिए ये जो लोकतंत्र को मानने वाले देश हैं, इनसे हमारा संबंध पहले भी था, आज भी है। लेकिन यह भी सत्य है कि पिछले 10-15 वर्षों में दुनिया से लोकतंत्र की छवि कमजोर होती जा रही है, खासकर पैसिफिक क्षेत्र में। हमारे यहां भी चुनाव होता था, लेकिन वास्तविक लोकतंत्र नहीं था। इसलिए जब हमारी सरकार बनी तो उसका मत था कि ऐसे देशों से सुरक्षा सलाह क्यों लें, जहां लोकतंत्र कमजोर है। इसलिए हम जैसे ही सरकार में आए, हमने उसे हटा दिया। क्योंकि शासन चलाने का हमारा जो नियम है, वह लोकतंत्र आधारित है। इसलिए भारत जैसे देशों के साथ हमारा जुड़ाव गहरा है। हम इसे और मजबूत करना चाहते हैं बल्कि सीखना भी चाहते हैं।

फिजी में 30 फीसदी से अधिक लोग भारतीय मूल के हैं। हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषाएं खूब बोली जाती हैं। इनका संरक्षण हो, इसके लिए सरकार के स्तर पर क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
सबसे पहले तो मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि जब से हमारे पूर्वज फिजी में आए, तब से अब तक हिन्दी भाषा यहां जीवंत है। मैं खुद कक्षा एक से छह तक हिन्दी पढ़ा हूं। क्योंकि उस समय हिन्दी पढ़ाने का जो स्तर था, अध्यापक थे, वे बहुत ही विद्वान हुआ करते थे। यही कारण है कि मैं मात्र कक्षा छह तक हिन्दी पढ़कर भी हिन्दी ठीक-ठाक पढ़ सकता हूं। धार्मिक पुस्तकों का वाचन कर सकता हूं। रामायण, गीता, महाभारत का अध्ययन कर सकता हूं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारत से जिन देशों में श्रमिक गए थे, उन देशों के मुकाबले फिजी में हिन्दी की स्थिति बहुत अच्छी है। कभी-कभी लोग बोली-भाषा में मिलावट कर देते हैं, जबकि ये दोनों अलग-अलग हैं। तो जो फिजी हिन्दी है, वह हिन्दी भारत के बिहार में, उत्तर प्रदेश के काशी क्षेत्र में बोली जाती है। इसलिए मैं कहता हूं कि बोली चलती रहेगी। हम इसको मान्यता भी देते हैं। लेकिन अगर हिन्दी को पढ़ाया नहीं गया, वर्णमाला की शिक्षा नहीं दी, तो भाषा धीरे-धीरे खत्म होती चली जाएगी। और ऐसा हुआ है। मैं ये भी मानता हूं कि एक साजिश थी कि हिन्दी को कमजोर किया जाए। लेकिन हम जैसे ही सरकार में आए, हमने तुरंत घोषणा की कि हिन्दी को पढ़ाने के लिए, इसके प्रचार-प्रसार के लिए सरकार संसाधन देगी, फंडिग देगी, अभियान चलाएगी।

हमने यह भी घोषणा की कि संसद में भी हिन्दी भाषा का प्रयोग होगा। अगर मैं हिन्दी में भाषण देना चाहूं तो दे सकता हूं। यह औपचारिक भाषा है। कुल मिलाकर तीन औपचारिक भाषाएं हैं। हमने ‘आदिवासी’ भाषा को भी पूरा मौका दिया है। यह सब इसलिए किया क्योंकि हम चाहते हैं कि हिन्दी ऊंचाइयां छुए। इस बार के विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन फिजी में होने से हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यह एक ऐतिहासिक सम्मेलन है। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर जी का शामिल होना, हमारे लिए सम्मानजनक है। यह सही समय है, जब हमारी सरकार का भी हिन्दी पर जोर है। निश्चित रूप से हिन्दी सम्मेलन के होने से यह और भी बढ़ेगा और अन्तरराष्ट्रीय फलक पर उसकी छाप पडेगी।

भारत-फिजी के मध्य द्विपक्षीय व्यापार अपेक्षाकृत कम है। आपके पास उप प्रधानमंत्री के साथ वित्त मंत्री का भी दायित्व है। इसलिए इन संबंधों को गति मिले और दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते मजबूत हों, इसके लिए आपकी सरकार का क्या दृष्टिपथ है?
निश्चित रूप से हम लोग देखेंगे कि क्या कारण है कि भारत और फिजी के बीच व्यापारिक संबंध कम हैं। अब की सरकार दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते बढ़ाना चाहती है। हम चाहते हैं कि यहां के उद्योगपति, तकनीक क्षेत्र की कंपनियां भारत से फिजी आएं। क्योंकि भारत कई क्षेत्रों में मजबूत है। फिजी एक बहुत ही सुंदर देश है। यहां व्यापार की बहुत संभावनाएं हैं। आपके माध्यम से हम भारत के उद्योगपतियों को अपने यहां आमंत्रित करना चाहते हैं। मैं मानता हूं कि आज का भारत बहुत ही समृद्ध भारत है। ऐसे में जब भारतीय फिजी आएंगे तो निश्चित ही हमारे यहां प्रगति होगी, पर्यटन बढ़ेगा और संपन्नता आएगी।

दोनों देशों के बीच संस्कृति एक साझा बिंदु है। पर्यटन में भी सांस्कृतिक पर्यटन एक बहुत बड़ा बिंदु हो सकता है। फिजी के समाज में तीर्थ यात्रा के लिए कैसी रुचि होती है? भारत के बारे में कैसा जिक्र होता है? फिजी घूमने जाना और फिजी के लोगों का भारत आना, उसमें संस्कृति को आप कैसे देखते हैं?
निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक बिंदु एक समान है। भारत उनके लिए अपना घर ही तो है। ऐसे में फिजी में जो भारतीय मूल के लोग हैं, उन्हें दो रास्ते दिखाई देते हैं। पहला, वह भारत जाएं। तीर्थ यात्राएं करें। मंदिरों के दर्शन करें। दूसरा, कैसे भारत से व्यापार और मनोरंजन को अपने यहां ले जाएं। हमारे ‘आदिवासी’ भाई मानते हैं कि भारत बहुत बड़ा देश है। हमारी सरकार कभी ये नहीं देखती कि केवल भारतवंशियों का ही संबंध भारत से है। हम मानते हैं कि पूरे देश का संबंध भारत से है। फिजी के लिए भारत एक बड़ा लोकतंत्र है, एक उदाहरण है। आज भारत की आर्थिक ताकत लगातार बढ़ रही है। भारत से हम काफी मदद ले सकते हैं। भारत की जो टेक्नोलॉजी है, इंडस्ट्री है, इन्वेस्टमेंट है, उससे हम काफी सीख सकते हैं।

भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर से आपकी मुलाकात हुई। इस भेंट में क्या खास रहा?
श्री एस. जयशंकर जी से हमारी मुलाकात बहुत अच्छी रही। हमने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे। उनकी ओर से भी बहुत सार्थक उत्तर मिला। मैं कहना चाहूंगा कि फिजी ने हमेशा भारत से संबंध बनाए रखे हैं और कोशिश की है कि इन संबंधों को और मजबूती दी जाए। पिछले दिनों कुछ ऐसी चुनौतियां रहीं। फिजी की पिछली सरकार में कुछ ऐसे लोग थे, जो भारत से अच्छे संबंध नहीं चाहते थे। लेकिन हमारी सरकार भारत से अच्छे संबंध जोड़ना चाहती है। विदेश मंत्री जयशंकर जी से मुलाकात में हमने 4-5 प्रमुख मुद्दों पर बातचीत की और जो भी बातचीत हुई, वह आने वाले दिनों में फिजी के लिए बहुत लाभकारी साबित होगी।

आपने बेंगलुरु में एक बयान दिया कि पिछले 15 वर्ष से भारत-फिजी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जो काम किया जा सकता था, वह नहीं किया गया। इस बयान का क्या अर्थ है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में जब फिजी गए थे, तब उन्होंने फिजी को लेकर बहुत-सी योजनाओं की घोषणा की थी। लेकिन मैंने देखा कि पिछले 8 वर्ष में फिजी की सरकार की तरफ से काफी ढीलापन था। भारत की तरफ से ऐसा बिल्कुल नहीं था। हमें कोशिश करनी चाहिए थी कि भारत से हर तरह की मदद लेते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब हमारी कोशिश यह देखने की है कि हम कैसे फिजी की प्रगति में भारत का साथ ले सकते हैं। स्वास्थ्य, तकनीक, मनोरंजन, पर्यटन, कृषि के क्षेत्रों में भारत हमारी बहुत मदद कर सकता है। निश्चित ही हमारी नई सरकार इस कार्ययोजना को जमीन पर उतारेगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि भारत और फिजी के संबंध बढ़ते ही जाएंगे।

मौजूदा सरकार दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते बढ़ाना चाहती है। हम चाहते हैं कि यहां के उद्योगपति, तकनीक क्षेत्र की कंपनियां भारत से फिजी आएं। फिजी एक बहुत ही सुंदर देश है। यहां व्यापार की बहुत संभावनाएं हैं। आपके माध्यम से हम भारत के उद्योगपतियों को अपने यहां आमंत्रित करना चाहते हैं। मैं मानता हूं कि आज का भारत बहुत ही समृद्ध भारत है

आपने प्रतिद्वंद्वी पार्टी फिजी फर्स्ट को हराया। जबकि आरोप है कि अय्याज कय्यूम जैसे कद्दावर नेता, जिन्हें पाकिस्तान से पूरा सहयोग मिल रहा था, ने काफी गड़बड़ की। एक तरीके से देखें तो आपने चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ को हराया है। आपको ये मजबूती कहां से मिल रही थी? जबकि आपको तो खुद परेशान किया जा रहा था?
मुझे ये नहीं मालूम कि चीन या पाकिस्तान अय्याज को क्या समर्थन दे रहे थे। लेकिन मुझे इतना जरूर मालूम है कि भारत से जो संबंध हमें जोड़ना था, जो अवसर हमें मिला था, उसे पिछली सरकार ने फलीभूत नहीं किया। बात बहुत हुर्इं, बैठकें बहुत हुईं, लेकिन काम कुछ नहीं हुआ। भारत की तरफ से हमें विभिन्न परियोजनाओं के लिए जो भी मदद मिली, उसे तत्कालीन फिजी सरकार की उदासीनता ले डूबी। फिजी फर्स्ट पार्टी एक तानाशाही सरकार चलाती रही।

फिजी ने 16 वर्ष की तानाशाही देखी। भ्रष्टाचार भी खूब रहा। भारत विरोधी एक जमीन भी तैयार होने लगी थी। इस दुरभिसंधि को आप कैसे तोड़ेंगे?
बहुत बड़ी चुनौती थी पिछले 15 वर्षों से हमारे सामने। आपको मालूम होगा कि 2006 से 2013 तक फिजी के प्रधानमंत्री और अटॉर्नी जनरल ने मिलकर सैन्य सरकार चलाई। 2013 में इन दोनों ने अपने हिसाब से कानून में बदलाव किए। लोगों पर कानून थोपे। और 2014 में अपने हिसाब से चुनाव कराया। 2006 से 2013 तक लोगों के अधिकार को खत्म कर दिया था। यानी सारी बागडोर उन्हीं के हाथ में थी। 2019 में भी यही दोहराया गया। विपक्षी पार्टियों के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाता था। महीनों हमें जेल में रखा जाता था। प्राथमिक अधिकार को कानूनी तौर पर कमजोर कर दिया गया था। उस समय हमारे लिए चुनाव लड़ना, योजना बनाना बड़ी चुनौती थी। लेकिन हमने इस चुनौती को स्वीकार किया और चुनाव जीतकर दिखाया।

अब हमारा काम शुरू हुआ है। उन सारी संस्थाओं को ठीक करना, जो 15 वर्षों में भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई थीं। एक तरीके से कहें तो संस्कृति ही भ्रष्टाचार की बन गई थी। उसमें सभी समूहों के लोग शामिल थे। उसे अब हम ठीक कर रहे हैं। मैं कहता हूं कि किसी भी प्रधानमंत्री या सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि हम हमेशा सरकार में रहेंगे। हमारा काम है कि जब तक सत्ता में रहें, तब तक सही कार्य करें और संस्थान को ठीक से चलाएं। हमारी सरकार अभी गठबंधन की सरकार है, तीन पार्टियों की सरकार है। गठबंधन सरकार में भी चुनौतियां होती हैं। लेकिन तीनों पार्टियों का मुख्य उद्देश्य एक ही है कि फिजी को हम उन्नति के रास्ते पर ले जाएं। लोकतंत्र की स्थापना करें, अच्छे नियम-कानून बनाएं, ताकि लोगों की जो स्वतंत्रता है, उस पर किसी तरह की आंच न आए। मीडिया पर किसी तरह का कोई अंकुश ना लगे, मानवाधिकार की रक्षा हो, और जो नियम-कानून का पालन ना करें उन्हें सजा मिले। इससे हमारी सकारात्मक सभ्यता बची रहेगी।

फिजी में छोटे-बड़े कई मंदिर हैं, जो सनातनधर्मियों की आस्था के केंद्र हैं

फिजी के लोग जानते हैं कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है। इसलिए सभी लोगों में, चाहें वे हिन्दू हों, या मुस्लिम, उत्साह का माहौल है। हम यह चाहते हैं कि फिजी में भी भव्य राम मंदिर बने और भगवान राम फिजी के सभी लोगों की भी मनोकामना पूरी करें

भारत आईटी के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है। एक तरीके से कहें तो क्रांति आई हैै। ऐसे में आईटी क्षेत्र में साझेदारी को लेकर क्या योजना है?
इस विषय को लेकर भारत सरकार के साथ हमारी बातचीत हो रही है। आज इस क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं। निश्चित रूप से हम इस क्षेत्र के अवसरों का प्रयोग कर नई दिशा में आगे बढ़ेंगे।

नए फिजी का ‘विजन’ क्या है?
हमारा विजन फिजी के लोगों को एक साथ लाना है। जनता और सरकार के बीच में हम एक साझेदारी स्थापित करना चाहते हैं। हम देश में ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं कि लोगों को लगे कि यह हमारी अपनी सरकार है। हम लोगों के मन में भरोसा पैदा करना चाहते हैं। लोगों से बातचीत करने की जरूरत महसूस करते हंै। जो लोकतंत्र के नियम कानून हैं, उनका पालन करना, उनको अच्छी तरह से लागू करना। यह एक देश के निर्माण और प्रगति के लिए बहुत आवश्यक है। यही हमारा फिजी को लेकर विजन है। फिजी के लोगों में किसी तरह का भेदभाव न हो, लोग स्वतंत्र हों, अपनी भाषा, जाति, धर्म, संस्कृति, सभ्यता का पालन करने के लिए। उनको मानने के लिए, उनमें विश्वास करने के लिए। तभी देश की प्रगति हो सकती है।

किसी भी देश की प्रगति संस्कृति से कट कर नहीं होती और भारत के संदर्भ में कहें तो भारत में बाहर से कुछ आक्रांता आये थे। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के संघर्ष की यात्रा 5 सदी पहले शुरू हुई थी। आज अयोध्या सज रही है। मंदिर बन रहा है। फिजी से रामजी के दर्शन करने वे लोग भी आएं जो अपने सीने से रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, श्रीमद् भागवत गीता लगाकर गए थे। इसके लिए आपकी कोई योजना है?
फिजी में सनातन धर्म के मानने वाले लोग 140 वर्षों से हैं, जब भारत से हमारे पूर्वज फिजी गए थे। उसी समय वह रामायण, गीता लेकर वहां गए थे। आज भी फिजी में भगवान राम और कृष्ण के कई मंदिर हैं। आज भी फिजी में सनातन धर्म को मानने वालों के बीच रामायण, गीता जैसे धर्मग्रंथ काफी प्रचलित हैं। इसलिए यह स्वाभाविक है कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर पर फिजी के लोगों को भी गर्व हो। भारत में सभी पंथों के लोग रहते हैं। फिजी के लोग जानते हैं कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है। इससे फिजी के सभी लोगों में, चाहे हिन्दू हों, या फिर मुस्लिम, सबमें उत्साह का माहौल है। हम चाहते हैं कि फिजी में भी भव्य राम मंदिर बने और भगवान राम फिजी के सभी लोगों की भी मनोकामना पूरी करें। भगवान राम को चाहने वाले और रामायण पढ़ने वाले सभी लोगों में एक उत्साह है अयोध्या में मंदिर बनने से।

इस रपट को भी पढ़ें– तन फिजी में मन भारत में

Topics: S Jaishankarश्रीरामजन्मभूमि मंदिरCultural tourismभारतभारत-फिजीVisit of Little India in FijiPrime Minister Narendra Modiसांस्कृतिक पर्यटनTribalsविदेश मंत्रीफिजी में छोटे भारत के दर्शनIndiaSanatan Dharma in FijiरामायणआदिवासीLord Ram in Fijiforeign ministerआईटीKrishna Templeगीताफिजी में सनातन धर्मShri Ram Janmabhoomi Templeफिजी में भगवान रामRamayanaitकृष्ण के मंदिरप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीGitaHindi Conferenceएस जयशंकरहिन्दी सम्मेलनIndo-Fiji
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तानी फौजी कमांडर जनरल असीम मुनीर

Operation Sindoor: जब भारत के हवाई हमलों से घबराकर जिन्ना के देश का फौजी कमांडर जा दुबका था बंकर में

Operation sindoor

भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच हुई वार्ता, जानें क्या रहे मुद्दे

भारत की सख्त चेतावनी, संघर्ष विराम तोड़ा तो देंगे कड़ा जवाब, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 3 एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

Donald trump want to promote Christian nationalism

भारत-पाकिस्तान में Cease Fire : जानिए क्या बोले राष्ट्रपति Donald Trump..?

प्रतीकात्मक तस्वीर

Fact Check: विदेश मंत्री एस जयशंकर का माफी मांगने का फर्जी वीडियो किया जा रहा वायरल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

CBSE 12वीं रिजल्ट 2025 : 88.39% विद्यार्थी पास, लड़कियों ने मारी बाजी, ऐसे चेक करें स्कोरकार्ड

कुत्ते की मौत मारे गए लश्कर के आतंकी : शोपियां में सुरक्षाबलों ने 3 दहशतगर्दों को ठोंका, ऑपरेशन जारी…

Indian Army Operation in Shopian

शोपियां में सेना की बड़ी कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकी ढेर, मुठभेड़ जारी

पाकिस्तानी फौजी कमांडर जनरल असीम मुनीर

Operation Sindoor: जब भारत के हवाई हमलों से घबराकर जिन्ना के देश का फौजी कमांडर जा दुबका था बंकर में

बीएलए ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर हमले तेज़ कर दिए हैं। बलूच लोगों ने पाकिस्तानी झंडे की जगह अपने झंडे फहरा दिए हैं। (सोशल मीडिया/बीएलए)

ऑपरेशन सिंदूर : खंड-खंड पाकिस्तान!

PM Modi Adampur airbase visit

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पंजाब के आदमपुर एयरबेस पहुंचे पीएम मोदी, जवानों को सराहा

Punjab Khalistan police

खालिस्तानी आतंकियों को हथियार उपलब्ध करवाने वाला आतंकवादी हैरी गिरफ्तार

Donald trump want to promote Christian nationalism

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतर से मिल रहा 3300 करोड़ का गिफ्ट, फिर अमेरिका में क्यों मचा है हड़कंप?

CM Dhami Dol Ashram

मुख्यमंत्री धामी ने डोल आश्रम में श्री पीठम स्थापना महोत्सव में लिया हिस्सा, 1100 कन्याओं का किया पूजन

awami league ban in Bangladesh

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग की गतिविधियां प्रतिबंधित: क्या इस्लामिक शासन की औपचारिक शुरुआत?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies