नेपाल की शालिग्रामी (काली गंडकी) नदी से निकालकर लाई जा रही विशाल शालिग्राम शिला बुधवार को रामनगरी अयोध्या पहुंची। जनपद के पहुंचने पर लोगों ने भव्य स्वागत किया। ट्रक पर रखे शीला को रामसेवकपुरम में रखा गया है। गुरुवार को रामसेवकपुरम में भव्य रूप से पूरे विधि-विधान से शिला पूजन किया जाएगा, जिसमें अयोध्या के संत, महन्त व राम भक्त उपस्थित रहेंगे।
शिलाओं के पहुंचने पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य डॉ अनिल मिश्र, नगर निगम मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और जनकपुर के मेयर ने पुष्पहार से भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर अनेक स्थानों पर लोगों ने जय श्रीराम के नारों के बीच शिलाओं का पुष्पवर्षा से स्वागत किया। गुरुवार को शिलाओं का रामसेवकपुरम में ही अयोध्या के संत, महन्त, राम भक्त पूजन कर उन्हें श्रीराम मंदिर के लिए भेंट करेंगे।
श्रीराम मंदिर इसी साल अगस्त माह में बनकर तैयार हो जाएगा। सन 2024 में मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होते ही भगवान श्री रामलला अपने मूल गर्भ गृह में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। रामलला के गर्भगृह में पहले से एक मूर्ति 1949 से स्थापित है। वहीं, दूसरी मूर्ति के रूप में नई मूर्ति का निर्माण नेपाल की शालिग्राम शिला से होना लगभग तय हो गया है। अस्थायी मन्दिर के गर्भगृह में अभी राम लला अपने चारों भाई के साथ बाल रूप में विराजमान हैं। नेपाल से आ रही दो शिलाओं में दूसरे का इस्तेमाल गर्भगृह के ऊपर की पहली मंजिल पर बनने वाले दरबार में श्रीराम की मूर्ति बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि श्रीराम चारों भाई की मूर्ति गर्भगृह में इस शिला से बनाकर स्थापित की जा सकती है। इस वजह से गर्भगृह में अभी राम चारों भाई बाल रूप में विराजमान हैं। इन प्रतिमाओं के छोटी होने के कारण भक्त अपने आराध्य को निहार नहीं पाते हैं। भक्तों की इसी कसक को दूर करने के लिए राम मंदिर ट्रस्ट श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे ऐतिहासिक भव्य मंदिर के गर्भगृह में रामलला की बड़ी मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया। भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी अभी रामलला की तरह बहुत छोटी हैं। इसीलिए रामलला चारों भाई की गर्भगृह में बड़ी मूर्तियों को लगाने पर मंथन किया गया है। इसको देखते हुए रामलला सहित चारों भाई की शालिग्राम शिला से मूर्ति बनाने पर जोरशोर से मंथन हो रहा है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया है कि ‘ये शालिग्राम शिलाएं छह करोड़ साल पुरानी हैं। विशाल शिलाएं दो अलग-अलग ट्रकों पर नेपाल से अयोध्या पहुंचीं। एक पत्थर का वजन 26 टन और दूसरे का वजन 14 टन है।
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