25 दिसंबर को नई दिल्ली के झंडेवाला मंदिर में विश्व हिंदू परिषद ने धर्म रक्षा दिवस मनाया। इस अवसर पर ईसाई से हिंदू धर्म में वापस लौटे लगभग 250 लोग उपस्थित थे। इनका मार्गदर्शन पूज्य संत रामानुजाचार्य जी ने किया। उनके अलावा कार्यक्रम को विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री सुधांशु पटनायक, दिल्ली प्रांत अध्यक्ष कपिल खन्ना एवं प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने भी संबोधित किया।
स्वामी रामानुजाचार्य ने घरवापसी करने वाले हिंदुओं को आरोग्य एवं समृद्धि का आशीर्वाद दिया और कहा कि ये सभी अन्य मत—पंथ में प्यार से, मन से नहीं गए थे, अपितु भय से, जोर—जबरदस्ती से गए थे। यह हर्ष का विषय है कि आज ये लोग अपने मूल धर्म में वापस आए हैं।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री सुधांशु पटनायक ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि चर्च और जिहादी तत्वों द्वारा हिंदुओं का कन्वर्जन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 1966 में प्रयागराज में हुए विश्व हिंदू परिषद के सम्मेलन में पूज्य संतों ने घरवापसी का यानी परावर्तन का रास्ता बनाया। इसके बाद से अभी तक लगभग 9,00,000 लोगों को वापस लाया गया और लगभग 62,00,000 लोगों को बचाया गया। यानी ये लोग विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं की सक्रियता से ईसाई या मुसलमान बनने से बच गए। उन्होंने सभी को जीवन—पर्यन्त इस कार्य को अनवरत करते रहने की प्रेरणा दी।
दिल्ली प्रांत अध्यक्ष कपिल खन्ना ने उपस्थित लोगों को स्मरण कराया कि पूज्य गुरु गोबिंद सिंह जी, उनके साहिबजादों, गुरु तेगबहादुर जी, स्वामी श्रद्धानंद जी, स्वामी लक्ष्मणानंद जी, कोठारी बंधुओं आदि ने धर्म के लिए बलिदान दे दिया। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज इन बलिदानियों को सदैव याद रखे। इससे कन्वर्जन जैसी समस्याएं दूर होंंगी।
प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि हमें चार सिर वाले राक्षस से जीतना है, जिसका एक सिर साम्यवादी चीन है, एक सिर पूंजीवादी अमेरिका है, एक सिर पाकिस्तान और सीरिया प्रेरित जिहाद है, तो एक सिर ईसाइयत द्वारा किया जा रहा कन्वर्जन है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को साधुवाद दिया जिन्होंने अपने परिश्रम से घरवापसी करवाकर लोगों को दुबारा देवताओं के पाले में ला खड़ा किया। सुरेंद्र गुप्ता ने आगे कहा कि पूरी दुनिया को इस राक्षस से बचाने की जिम्मेदारी हिंदू समाज की है और इस हिंदू समाज को संगठित करने की जिम्मेदारी विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता और कुछ संगठनों के अधिकारी उपस्थित थे।
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