बंगाल में अराजकता चरम पर है। राज्य की महिलाएं हमेशा खौफ और घुटन में रहती हैं। वहां लोगों को मार कर पेड़ पर टांग दिया जाता है। महिलाओं से रोजाना बलात्कार होते हैं, परे ये खबरें मीडिया में नहीं आतीं। भाजपा नेता रूपा गांगुली से क्षिप्रा माथुर ने बातचीत की
गुजरात के कर्णावती में साबरमती संवाद में अभिनेत्री और भाजपा की पूर्व राज्य सभा सांसद रूपा गांगुली ने अपने विचार रखे। पश्चिम बंगाल की मौजूदा स्थिति पर उन्होंने कहा कि रक्तरंजित बंगाल में महिलाएं खौफ और घुटन में हैं, लेकिन यह खुली आंखों से नहीं दिखेगा। बंगाल में कोई मां अपने बच्चे को बाजार सामान लाने के लिए भेजने के बाद निश्चित नहीं बैठती। थोड़ी भी देर होने पर उसके मन में बुरे विचार आने लगते हैं, क्योंकि वहां किसी को भी मार कर पेड़ पर टांग दिया जाता है। शव को पहचानना भी मुश्किल होता है। केवल कपड़ों से ही उसकी पहचान की जा सकती है। हम उन्हीं माताओं में से एक हैं, जो यह जानकर भगवान का धन्यवाद करती है कि उसका बेटा जिंदा है।
उन्होंने कहा कि बंगाल की ज्यादातर खबरें लोगों तक चुनाव के दौरान ही पहुंचती हैं, क्योंकि चुनाव के समय देशभर से पत्रकार राज्य में पहुंचते हैं। सामान्य दिनों में तो बड़ी घटनाएं भी खबर नहीं बनतीं। राज्य के कुछ साहसी पत्रकारों की वजह से ही एक-दो खबरें बाहर आ पाती हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद तृणमूल कांग्रेस के गुंडे भाजपा को वोट देने वाले लोगों को पकड़-पकड़ कर मार रहे हैं। जिन लोगों ने भाजपा का झंडा पकड़ा, उनका तो गला ही काट दिया गया। ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुसलमान ही हिंदू को मार रहा है। वहां मुसलमान भी मुसलमान को मार रहा है।
पश्चिम बंगाल मेरी जन्मस्थली है। यदि राज्य की स्थिति ठीक होती तो मैं कभी भी राजनीति में नहीं आती। यहां महिलाएं और बहनें हमेशा खौफ के साये में रहती हैं। यहां की जनता को तय करना पड़ेगा कि अपराधी कौन है?
रूपा गांगुली ने कहा कि ममता बनर्जी ने गुंडों को जेल से निकालकर सिंहासन पर बैठा दिया है, जो बंगाल में चुन-चुन कर भाजपा कार्यकर्ताओं की पत्नियों से बलात्कार करते हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि मोमिनपुर में हिंदुओं को क्यों मारा गया? मुसलमानों ने हिंदुओं के घर क्यों जलाए? अब तक ममता ने किसी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया?
भाजपा नेता को वहां क्यों नहीं जाने दिया? अगर राज्य में कानून-व्यवस्था दुरुस्त होती तो क्या बेगुनाह लोगों को पकड़ कर थाने ले जाते? उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 2021 के बाद ही यह पता चल गया था कि अगर आप टीएमसी के अलावा किसी और को वोट देते हैं तो आपका जिंदा बच कर आना मुश्किल है। वहां रोज एक बेटी से निर्भया जैसी वारदात होती है। यहां तक कि गर्भवती और दिव्यांग महिला को भी नहीं छोड़ा जाता है। लेकिन ऐसी खबरें लोगों के सामने नहीं आ पातीं।
पश्चिम बंगाल में पलायन को लेकर पूर्व सांसद ने कहा, पलायन का दर्द क्या होता है, मैं जानती हूं। जब मैं कक्षा सात में पढ़ती थी, तब मुझे बांग्लादेश से पलायन करना पड़ा था। मेरे पिताजी बांग्लादेश में रहते थे, लेकिन बंटवारे से पहले मां-पिताजी बंगाल आ गए थे। बांग्लादेश की आजादी के बाद वे फिर वहीं चले गए। लेकिन उनकी जमीन-जायदाद पर दूसरों ने कब्जा कर लिया था।
वह भटकते रहे, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। इसके बाद वे दिनाछोर में चले गए। सर्दी की छुट्टियों में पिताजी के पास जाना हुआ। एक दिन हम पढ़ रहे थे, तभी कुछ मुसलमान आए। मां सिलाई के कपड़े इन्हीं लोगों को देती थीं। उन्होंने पिताजी से कहा कि भाभी और रूपा को यहां से जल्दी निकालो। बहुत देर तक हमें यह समझ में नहीं आया कि कौन हमें अगवा करना चाहता था और कौन बचा रहा था? ढाका पहुंचने के बाद ही हमने राहत की सांस ली।
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