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पलायन का दर्द क्या होता है, जानती हूं; बुर्का पहनकर भागना पड़ा था : रूपा गांगुली

पश्चिम बंगाल में पलायन को लेकर पूर्व सांसद रूपा गांगुली ने कहा कि मुझे पलायन के दर्द का अहसास है, पलायन का दर्द क्या होता है, मैं जानती हूं। जब मैं कक्षा सात में पढ़ती थी, तब मुझे बांग्लादेश से पलायन करना पड़ा था।

WEB DESK and Masummba Chaurasia by WEB DESK and Masummba Chaurasia
Oct 19, 2022, 10:03 pm IST
in भारत, गुजरात
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https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-254341.mp3?cb=1666234049.mp3

गुजरात के अमदाबाद में हुए, दो दिवसीय साबरमती संवाद में पश्चिम बंगाल में पलायन को लेकर पूर्व सांसद रूपा गांगुली ने कहा कि मुझे पलायन के दर्द का अहसास है, पलायन का दर्द क्या होता है, मैं जानती हूं। जब मैं कक्षा सात में पढ़ती थी, तब मुझे बांग्लादेश से पलायन करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि मेरे पिता जी बांग्लादेश के रहने वाले थे। बंटवारे से पहले मेरे पिता जी और माता जी दोनों पश्चिम बंगाल आ गए थे। लेकिन मेरे पिता जी फिर से भारत के आजाद होने के बाद बांग्लादेश चले गए थे। बांग्लादेश जाने के बाद देखा तो वहां उनकी जमीन जायदात सब खत्म हो चुका था, वो भटकते रहे, कुछ नहीं मिला। फिर बांग्लादेश में एक जगह है, दिनाछोर वो पश्चिम बंगाल का एक अलग साइड है। वहां कुछ सालों के लिए वो वहां रहने लग गए थे।

इस बीच जब सर्दी की छुट्टियां हुईं तो हम पिता जी के पास चले गए थे, वहां मिट्टी का छोटा सा घर था, जहां हम लोग रहते थे। मेरी माता जी सिलाई कढ़ाई का काम करती थी। तो एक दिन हम कमरे में पढ़ रहे थे, कि तभी जिनके पास मेरी मां सिलाई के कपड़े देती थी। वो लोग वहां आए और मेरे पिता जी से बले की भाभी और रूपा को यहां से जल्दी निकालो। जिनके पास मेरी मां सिलाई के कपड़े देती थी वो लोग मुसलमान थे। तो उन लोगों ने दो बुर्का लाकर हमें दिया, और हमें वहां से भागना पड़ा।

इस बीच मैंने देखा कि जो लोग मुझे किडनेप करने आए हैं, उनमें से कुछ लोग मेरे घर को तोड़ रहे हैं। हम जल्दी से बुर्का पहनकर वहां से भागने लगे, और और वहां दूर दूर तक खेत ही खेत थे। मैं और मेरी मां हम बहुत भागे और दिनाजपुर बस स्टॉप पर हम जाकर रुक गए। तब मैंने देखा सामने दो लोग बुर्का पहनकर रिक्शे में बैठे हैं। मैं और मेरी मां एक रिक्शे में बुर्का पहनकर बैठे थे। मेरी नजर पीछे की तरफ गई, तो मैंने देखा कि पीछे भी रिक्शे में दो लोग बुर्का पहनकर बैठे हैं।

अब तीन रिक्शे एक साथ चल रहे थे। तब उस वक्त मेरे मन में ये ख्याल आ रहा था, कि जो लोग घर में किडनैप करने आए थे, वो किडनैपर्स थे, या जो मुझे लेकर बस स्टैंड पहुंचे हैं, वो किडनैपर्स हैं, या पीछे जो रिक्शे में बैठे हैं, वो किडनैपर्स हैं। ये बात मैं और मेरी मां दोनों नहीं जानते थे।

बस से पूरी रात चलने के बाद हम ढाका पहुंचे, जहां हमारे रिश्तेदार रहते थे। तो वहां कुछ दिन मैं और मेरी मां रहे, पिता जी को उन लोगों ने कुछ नहीं किया। मेरी माता जी उस जगह दोबारा कभी नहीं जा पाईं। पिता जी को भी थोड़े समय में वह जगह छोड़कर कहीं और जाकर बसना पड़ा।

उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि मुसलमानों ने जो चार दिन पहले हिन्दुओं के घर जलाएं हैं, उनको ये अन्याय करने का हक किसने दिया। मोमिनपुर में हिंदुओं को क्यों मारा गया, अबतक ममता ने किसी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया ? वहां BJP नेता को क्यों नहीं जाने दिया ? मोमिनपुर इलाके का नेता कौन है, उसे इस अन्याय को करने का अधिकार किसने दिया। अगर लॉ एंड ऑडर सही करते अगर हिम्मत होती तो सही लोगों को पकड़ के थाने ले जाते। क्यों नहीं किया। क्यों बीजेपी के सारे लोगों को रोक दिया जाता है।

Topics: पाञ्चजन्यसाबरमती संवादसाबरमती संवाद 2022Former Rajya Sabha MPFormer Rajya Sabha MP Roopa GangulyRoopa Gangulyपूर्व राज्यसभा सांसद रूपा गांगुलीपश्चिम बंगाल में पलायनबुर्का
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