अन्न के कटोरे के रूप में जाने जाने वाले राज्य पंजाब इस वर्ष पराली के चलते चारों ओर धुआं ही धुआं है। पराली की समस्या वैसे तो पंजाब में नई नहीं है परन्तु अबकी बार सरकार की ढिलाई व लीपापोती की नीति के चलते समस्या ज्यादा गम्भीर हो गई है। पराली जलाने के मामले वर्ष 2021 के मुकाबले ज्यादा है। वर्ष 2021 में 30 अक्टूबर तक पराली जलाने के कुल मामले 10,229 थे। वहीं, इस वर्ष 30 अक्टूबर तक पराली जलाने की घटनाएं 13,873 हैं। यह पिछले साल के मुकाबले 3,644 ज्यादा हैं। दिखावे के तौर पर मुख्यमन्त्री ने चार जिला कृषि अधिकारियों को निलम्बित भी किया है परन्तु दोषी किसानों के प्रति आवश्यकता से अधिक नरमी दिखाई जा रही है।
पंजाब सरकार पराली संकट को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि इसी तरह उदासीन रवैया रहा तो आने वाले दो सप्ताह में पंजाब में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान भले ही दावा कर रहे हों कि सरकार पराली निस्तारण के लिए 8 सूत्रीय एजेंडा पर काम कर रही है, लेकिन जमीन पर इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा। इस सीजन की बात करें तो 31 अक्तूबर सोमवार को पंजाब में पराली जलाने की सबसे ज्यादा 2131 मामले दर्ज किए गए। हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले संगरूर में ही किसानों ने सर्वाधिक 330 स्थानों पर पराली जलाई। इस लिहाज से आने वाले दो सप्ताह बेहद चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं, क्योंकि वर्ष 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि 15 सितंबर से 31 अक्टूबर तक पराली जलाने के कुल 13,124 मामले थे, जबकि एक नवंबर से 15 नवंबर तक इनकी संख्या 67,165 पहुंच गई थी। महज 15 दिनों में ही 54 हजार से ज्यादा केस सामने आए। यानी शुरू के 45 दिनों में 20 प्रतिशत और आखिरी 15 दिनों में 80 प्रतिशत पराली जलाई गई। 15 नवंबर तक किसान गेहूं की बोआई शुरू कर देंगे। इसलिए किसान अब खेत तैयार करने के लिए जल्दी-जल्दी पराली को जलाकर खत्म करेंगे।
किसान सरेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं। फील्ड में जाने वाले कृषि व राजस्व अधिकारियों को बंधक बनाया जा रहा है। खुलेआम पराली जलाने का एलान किया जा रहा है, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई होती नहीं दिख रही। मामूली जुर्माना व रेड एंट्री की जा रही है। पिछली बार सरकार ने किसानों के विरोध को देखते हुए जुर्माना माफ कर दिया था। आठ सूत्रीय एजेंडा के नाम पर भी खानापूर्ति ही की जा रही है। हालांकि, रविवार को चार कृषि अधिकारियों को निलंबित किया गया था, लेकिन किसानों पर सरकार नर्मी ही दिखा रही है।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के चेयरमैन डा. आदर्शपाल विग का कहना है कि कृषि विभाग की तरफ से किसानों को पराली के सही निस्तारण के लिए मशीनें उपलब्ध करवाई जा रही हैं। पराली को फैक्ट्रियों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। पटियाला के गांव सिद्धूवाल के किसान हरपाल सिंह का कहना है कि इस बार वर्षा के कारण धान की कटाई एक सप्ताह देरी से शुरू हुई। मशीनों से निस्तारण कर भी लेते हैं, तो बायोमास प्लांट वाले कई-कई दिन तक पराली खेत से नहीं उठाते। इससे गेहूं की बोआई में देरी हो जाएगी। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ बताते हैं कि अबकी बार पाकिस्तान में भी खूब पराली जली है जिसने हालात और गम्भीर बना दिए हैं।
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