जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल में एक और नई योजना की शुरूआत की। प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की दृष्टि से स्वावलंबन योजना को शुरू किया गया। योजना के तहत कुल 624 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। 190 करोड़ रुपए की अनुदान राशि प्रदान की गई। इसमें कुल 3758 ईकाइयां स्वीकृत हुईं। 10,253 लोगों को रोजगार मिला।
डबल इंजन की सरकार से किसी राज्य की तस्वीर कैसे बदलती है, इसे देखने का एक बहुत अच्छा उदाहरण हिमाचल प्रदेश है। अगर सिर्फ पिछले सवा चार वर्षों की बात की जाए, तो हिमाचल प्रदेश में 6 योजनाएं ऐसी हैं, जिन्होंने प्रदेश की तस्वीर बदल दी है। और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सारी योजनाएं पहली बार लागू हुई हैं। हिमाचल प्रदेश में पहली बार शुरू हुई इन 6 योजनाओं पर 775 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं और 8.43 लाख से ज्यादा लोग इनसे सीधे तौर पर लाभान्वित हुए हैं। इसमें दो योजनाएं केंद्र सरकार की हैं, जबकि चार योजनाएं जयराम ठाकुर सरकार की ओर से शुरू की गई हैं। इन योजनाओं में केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत और उज्ज्वला योजना शामिल है। जबकि जयराम सरकार की हिमकेयर, गृहिणी सुविधा योजना, सहारा और स्वावलंबन योजना शामिल है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष्मान, हिमकेयर और सहारा जैसी योजनाएं क्रांतिकारी साबित रही हैं।
(आयुष्मान भारत और हिमकेयर योजना के 3.66 लाख लाभार्थी
लोगों के मुफ्त इलाज के लिए केंद्र सरकार की ओर से दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत शुरू की गई थी। हिमाचल प्रदेश में अभी तक हिमाचल में आयुष्मान भारत योजना के तहत 4 लाख 28 हजार परिवार पंजीकृत हैं। योजना के तहत अभी तक 1 लाख 26 हजार मरीजों का निशुल्क इलाज किया जा चुका है। इस पर 154 करोड़ खर्च हुए हैं। हिमकेयर योजना की शुरूआत जयराम ठाकुर सरकार ने विशेष तौर पर उन हिमाचलियों के लिए की थी, जो केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के दायरे में नहीं आ रहे थे। इस योजना के तहत हिमाचल में 5 लाख 39 हजार परिवार पंजीकृत हैं। हिमकेयर के तहत अभी तक 2 लाख 40 हजार मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जा चुका है। इस पर 218 करोड़ खर्च हो चुके हैं। अगर डबल इंजन सरकार की दोनों योजनाओं के माध्यम से नि:शुल्क इलाज प्राप्त करने वाले हिमाचल प्रदेश के सारे लोगों को जोड़ लिया जाए, तो उन पर अब लगभग 372 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं और इससे करीब 3.66 लाख मरीजों को सीधा लाभ पहुंचा है)
मुख्यमंत्री सहारा योजना का 20 हजार से ज्यादा को मिल रहा लाभ
जयराम सरकार ने गंभीर बीमारी के कारण दूसरों पर आश्रित हो चुके जरूरतमंदों की मदद के लिए मुख्यमंत्री सहारा योजना की शुरूआत की। यह योजना भी हिमाचल में पहली बार शुरू की गई। मौजूदा समय हिमाचल में 20 हजार से ज्यादा जरुरतमंदों को इस योजना के माध्यम से हर महीने 3 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। इसके तहत अभी तक लगभग 61 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है।
घरेलू गैस कनेक्शन पर 142 करोड़ रुपये खर्च
इसके अलावा महिलाओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए और उन्हें धुएं से होने वाली बीमारियों से निजात दिलाने के लिए केंद्र की ओर से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरूआत की गई। इसमें महिलाओं को मुफ्त घरेलू गैसे कनेक्शन बांटे गए। इससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिली। इस योजना को शुरू करने का मकसद पर्यावरण संरक्षण भी था। इस योजना के तहत 1 लाख 37 हजार गैस कनेक्शन बांटे गए जिस पर 22.39 करोड़ रुपये खर्च हुए। केंद्र सरकार की उज्जवला योजना से छूटे गरीब परिवारों को मुफ्त घरेलू गैस कनेक्शन देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने गृहिणी सुविधा योजना को लागू किया। हिमाचल सरकार ने योजना के तहत 3 लाख 25 हजार घरेलू गैस कनेक्शन बांटे जिस पर 119.90 करोड़ रुपये खर्च हुए। हिमाचल प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां हर घर में घरेलू गैस कनेक्शन पहुंच चुका है। डबल इंजन की सरकार ने मिलकर इसमें 142 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर घर-घर मुफ्त गैस कनेक्शन पहुंचाया।
स्वावलंबन से 10 हजार से ज्यादा को मिला रोजगार
जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल में एक और नई योजना की शुरूआत की। प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की दृष्टि से स्वावलंबन योजना को शुरू किया गया। योजना के तहत कुल 624 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। 190 करोड़ रुपए की अनुदान राशि प्रदान की गई। इसमें कुल 3758 ईकाइयां स्वीकृत हुईं। 10,253 लोगों को रोजगार मिला।
बेटियों की शादी पर 11 करोड़ से ज्यादा खर्च
बीपीएल परिवार की बेटियों की शादी पर आर्थिक सहायता देने के लिए हिमाचल प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री शगुन योजना की शुरूआत की गई। अब तक योजना के अंतर्गत 3603 बेटियों की शादी के लिए आर्थिक मदद दी जा चुकी है। योजना पर 11.17 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
आयुष्मान और हिमकेयर ने खत्म किया लोगों के मन से इलाज के खर्च का भय
हिमाचलियों की सेहत का ख्याल रख रहीं
आयुष्मान और हिमकेयर योजनाएं
अब तक दोनों योजनाओं से 3 लाख 66
हजार से ज्यादा मरीजों का फ्री इलाज, 372 करोड़ हुए खर्च
केंद्र और हिमाचल प्रदेश की डबल इंजन सरकार की स्वास्थ्य योजनाएं लोगों के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं। हिमाचल में पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान मरीजों के नि:शुल्क इलाज के लिए कोई भी योजना नहीं थी। लेकिन आज हिमाचल प्रदेश में दो योजनाएं हैं और इनका लाभ लाखों लोग उठा रहे हैं। स्वास्थ्य बीमा कवर के लिए शुरू की गईं आयुष्मान और हिमकेयर जैसी योजनाओं ने लोगों के मन से इलाज पर होने वाले खर्च की चिंता को समाप्त कर दिया है। हिमाचल के लाखों लोग आज प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) और मुख्यमंत्री हेल्थकेयर (हिमकेयर) योजना का लाभ ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) और मुख्यमंत्री हेल्थकेयर योजना (हिमकेयर) के माध्यम से अब तक हिमाचल के 3 लाख 66 हजार से ज्यादा मरीजों को नि:शुल्क इलाज की सुविधा मिली है। केंद्र की आयुष्मान योजना के तहत जहां 1 लाख 26 हजार से ज्यादा मरीजों का नि:शुल्क इलाज हुआ है तो जयराम ठाकुर सरकार की हिमकेयर योजना का भी 2 लाख 40 हजार मरीज लाभ उठा चुके हैं। दोनों योजनाओं पर अब तक केंद्र और हिमाचल सरकार 372 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी हैं।
केंद्र सरकार ने लोगों को पांच लाख तक का हेल्थ बीमा कवर देने के लिए विश्व की सबसे बड़ी आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। लेकिन हिमाचल प्रदेश में एक बड़ा वर्ग इस योजना के तहत कवर नहीं हो पा रहा था। ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसी तर्ज पर हिमकेयर योजना की शुरूआत की, ताकि बाकी बचे हिमाचलियों को भी इलाज पर होने वाले खर्च के लिए चिंतित न होना पड़े।
आज हिमकेयर योजना भी लाखों लोगों का सुरक्षा कवच बनी है। हिमकेयर योजना के तहत प्रदेश में अब तक 5.39 लाख परिवार पंजीकृत हुए हैं और 2.40 लाख मरीज इसका लाभ ले चुके हैं। योजना पर अब तक 218 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं। इसमें डे-केयर सर्जरी भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमकेयर योजना की शुरूआत पहली जनवरी, 2019 को की गई थी। हिमकेयर योजना में पंजीकृत परिवार के पांच सदस्यों को पांच लाख रुपए तक का नि:शुल्क इलाज किया जाता है। पांच से अधिक सदस्यों वाले परिवारों को योजना का लाभ लेने के लिए दो कार्ड बनवाने की सुविधा दी गई है।
हिमकेयर में पंजीकरण व अन्य शर्तें
इस योजना के तहत कार्ड बनाने के लिए गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों, मनरेगा कर्मियों व पंजीकृत रेहड़ी-फड़ी वालों को कोई भी प्रीमियम नहीं देना होता। एकल नारी, 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग, 70 वर्ष की आयु से अधिक वृद्धजन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं, आशा व मिड-डे-मील कार्यकर्ता, दिहाड़ीदार, अंशकालिक तथा आउटसोर्स व अनुबंध कर्मचारियों के लिए मात्र 365 रुपये प्रतिवर्ष प्रीमियम निर्धारित किया गया है। अन्य व्यक्ति जो नियमित सरकारी या सेवानिवृत्त कर्मचारी नहीं हैं, उनके लिए प्रीमियम की दर प्रति परिवार प्रति वर्ष 1000 रुपए निर्धारित की गई है। हिमकेयर योजना के तहत पंजीकरण करवाने के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड, मोबाइल नंबर और श्रेणी के प्रमाण की आवश्यकता होती है।
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