ईरान में बेकाबू होते जा रहे हिजाब विरोधी आंदोलन पर वहां के सबसे बड़े शिया मजहबी नेता अयातुल्ला अली खामेनेई न आखिर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने अपने पहले ही बयान में हिंसक होते जा रहे हिजाब विरोधी आंदोलन पर अमेरिका और इस्राएल को कठघरे में खड़ा किया है। खामेनेई ने इस हिंसा के लिए इन दोनों देशों को जिम्मेदार ठहराया है।
ईरान के सर्वोच्च मजहबी नेता ने अमेरिका और इस्राएल पर ये बहुत गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि इन देशों ने मिलकर 22 साल की महसा की मौत पर उपजे गुस्से को भड़काया और इसे देश भर में फैला दिया। उन्होंने एक तरह से इस आंदोलन को इन दोनों देशों को षड्यंत्र करार दिया है।
खामेनेई ने अपने बयान में आगे कहा, ”मैं साफ कहता हूं, इन हिंसक प्रदर्शनों में अमेरिका और देशद्रोही ईरानियों की भूमिका है।” उन्होंने इस साजिश का मकसद ईरान को अस्थिर करना बताया और हिंसक प्रदर्शनों को विदेशी साजिश ठहराया है।
हिजाब के विरुद्ध ईरान में 22 साल की महसा अमीनी की कथित पुलिस यातना से मौत के बाद अनेक स्थानों पर उपद्रव शुरू हुए थे। अमीनी एक प्रतीक बन गई है और उसकी मौत सालों से हिजाब के विरुद्ध उबल रहे आक्रोश के निकलने की वजह बन गई है। देखते देखते ये 2019 के बाद का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन बन गया। एक अंदाजे के अनुसार, अभी तक इन हिंसक प्रदर्शनों में करीब 92 लोगों की बली चढ़ चुकी है। तेहरान में सुरक्षाबलों ने तेहरान विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों को हिरासत में लिया है।
तेहरान में अ्रमीनी की मौत और प्रदर्शनों के बाद खामेनेई अपनी पहली जनसभा को संबोधित कर रहे थे। 83 साल के खामनेई का कहना है कि पुलिस अपराधियों पर सख्त कार्रवाई करे। जो भी पुलिस पर हमला करता है वह दोषी है। उन्होंने अमीनी के संदर्भ में कहा कि उस “बच्ची की मौत ने हमारा दिल तोड़ा है”, लेकिन कुछ लोगों ने बिना जांच—सबूत के सड़कों पर डरावने हालात पैदा कर दिए हैं। कुरान जलाई गई है, महिलाओं ने हिजाब हटा दिया है, मस्जिदों और कारों में आग लगाई गई है।
उधर ओस्लो में कार्यरत ईरान मानवाधिकार संगठन ने एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में पुलिस मोटरसाइकिल से छात्रों का पीछा करती दिख रही है। उन छात्रों के सिर काले कपड़े के ढके हैं। इधर जर्मनी के विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने ट्वीट करके लिखा है, “ईरान में विश्वविद्यालय में जो हो रहा है, वह असहनीय है। ईरानियों का साहस यकीन से परे है।”
इस सबके बीच मेहर न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट है कि शरीफ यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ने सोमवार से सभी कक्षाएं ऑनलाइन चलाने की घोषणा की है। ऐसा छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए किया गया है। ईरान ने गत सप्ताह यह भी कहा था कि फ्रांस,जर्मनी, इटली, नीदरलैंड तथा पोलैंड के नागरिकों सहित नौ विदेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया है।
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