जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखराे रेंज में टाइगर सफारी शुरू करने की योजना खटाई में पड़ गई है। यहां पर्यटकों को टाइगर दिखाने के लिए एक बाड़ा बनाया जाना था वहां हरे पेड़ काटे जाने को लेकर कोर्ट कचहरी शुरू हो गई है। जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में आईएफएस में जबरदस्त गुटबाजी हो गई है और इसमें आईएएस लॉबी भी शामिल बताई जा रही है।
जानकारी के मुताबिक कॉर्बेट पार्क के पाखरो टाइगर रिजर्व में, टाइगर सफारी शुरू कराने की सरकार की योजना थी। इससे कालागढ़ और कोटद्वार क्षेत्र से कॉर्बेट में टाइगर देखे जाने के रास्ते खोले जाने थे, उल्लेखनीय है जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अभी तक जो भी पर्यटक आते है उन्हे कुमाऊं क्षेत्र से रामनगर से प्रवेश मिलता है। सरकार की मंशा थी कि गढ़वाल से भी पर्यटकों को प्रवेश मिले तो टाइगर टूरिज्म से क्षेत्र के लोगो को रोजगार मिलेगा। पूर्व धामी सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने इस दिशा में प्रयास भी किए और पाखरो रेंज में टूरिस्ट के लिए विश्राम करने और रास्ते बनाए जाने पर काम भी शुरू हो गया।
इसी दौरान ऐसी खबरे सामने आने लगी कि यहां कार्यरत डीएफओ किशन चंद और अन्य अधिकारियों ने जरूरत से ज्यादा पेड़ काट कर उन्हे ठिकाने लगा दिया। वहां बिना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की अनुमति से पक्के निर्माण कार्य हुए, जिसपर बाघ प्राधिकरण के साथ साथ उत्तराखंड सरकार की विजलेंस जांच, हाई कोर्ट नैनीताल में मामला दर्ज हुआ। आईएफएस किशन चंद के खिलाफ और वन्य जीव प्रतिपालक जे एस सुहाग, पीसीसीएफ राजीव भरतरी सहित कई आईएफएस पर गाज गिरी। ये सभी इन दिनों सरकार की एजेंसियों की जांच का सामना कर रहे है।
जानकारी के मुताबिक कॉर्बेट के पाखरो रेंज में हुई पेड़ो की कटाई के मामले में देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया ने एक जांच रिपोर्ट में बताया कि रिजर्व फॉरेस्ट एरिया के 16.21 हक्टेयर एरिया करीब में 6093 पेड़ काटे गए है।
जानकारी के मुताबिक पाखरों में टाइगर सफारी के लिए करीब 106 हेक्टेयर का एक बाड़ा बनाया जाना था जिसमे बूढ़े और इलाज कर लाए गए बाघों को रखा जाना था ,इसके पीछे मुख्य उद्देश्य ये भी था कि पर्यटकों को यहां शत प्रतिशत बाघों के दीदार होते जोकि कुमाऊं की तरफ कभी कभी नही होते है।
खबर है कि इस बाड़े को लेकर भी सवाल उठाए गए कि इसके डिजाइन को राष्ट्रीय चिड़िया घर प्राधिकरण से अप्रूव नही करवाया गया और काम शुरू करवा दिया गया।
एक और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है वो ये कि उत्तराखंड में आईएफएस लॉबी दो तीन गुटों में बटी हुई है जो एक दूसरे की कमियां निकालते हुए विकास योजनाओं में अड़ंगे लगाती रही है। ऐसी जानकारी भी है इस गुटबाजी में कुछ आईएएस भी शामिल है जो इन मामलो में आग में घी डालने का काम करते है। नतीजा ये है कि जिस टाइगर टूरिज्म से उत्तराखंड सरकार को करोड़ों रु का राजस्व मिल सकता था वो फिलहाल खटाई में पड़ गया है। जबकि राज्य बनने के बाद बीजेपी के जन प्रतिनिधियों ने ये कोशिश बराबर की थी कि टाइगर पर्यटन से सरकार को कमाई हो और साथ ही कोटद्वार कालागढ़ के आसपास पर्यटन उद्योग से लोगो को रोजगार मिले। अभी रामनगर क्षेत्र से ही करीब एक लाख लोगो को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से , होटल रिजॉर्ट, गाइड, जिप्सी और अन्य स्रोतों से रोजगार मिला हुआ है।
बरहाल आईएफएस लॉबी के आपसी मतभेदों के चलते उत्तराखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण रोजगार योजना को पलिंदा लगता दिखाई दे रहा है।
उत्तराखंड वन विभाग के पी सी सी एफ विनोद सिंघल का कहना है कि पाखरो टाइगर रिजर्व में पेड़ काटे जाने की जो संख्या सर्वे आफ इंडिया ने बताई है उसकी रिपोर्ट हमे मिल चुकी है, उनकी गणना सेटेलाइट पर आधारित है और रिपोर्ट में बताया है कि 5765 से 6421 के बीच पेड़ काटे गए है जो रिपोर्ट उन्होंने हमे दी है वो ऐसी संख्या है जो कि औसत बताती है, हमने रिपोर्ट पर पुनः स्पष्ट आख्या भेजने को कहा है। स्पष्ट आख्या आने पर हम उसे स्वीकार करेंगे।
टाइगर टूरिज्म प्रोजेक्ट के बारे में उनका कहना है कि पहले सभी कानूनी बाधाए समाप्त हो जाए तो इसपर काम पूरा करवाया जा सकेगा।
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