उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वे शुरू हो चुका है। अब इसके बाद योगी सरकार ने प्रदेश के वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच कराने का आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि एक माह के भीतर वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच करके रिपोर्ट शासन को प्रेषित की जाय। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि प्रदेश सभी जनपदों में वक्फ बोर्ड की जितनी भी भूमि है। उसे वक्फ के नाम से राजस्व अभिलेख में दर्ज कराया जाय।
जानकारी के अनुसार, जांच रिपोर्ट में वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का पूरा विवरण शासन को उपलब्ध कराना होगा। इस जांच के बाद वक्फ संपत्ति के बारे में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। इसके साथ ही वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जे के बारे में स्थिति साफ हो जाएगी। अगर कोई वक्फ की संपत्ति को गलत ढंग से बेचता है तो उस पर रोक लगाई जा सकेगी।
सरकार ने राजस्व विभाग के वर्ष 1989 के शासनादेश को निरस्त कर दिया है और कहा है कि जांच एक माह के अंदर ही पूरा करें। इससे वक्फ के नाम पर बंजर, ऊसर, भीटा जैसी सार्वजनिक सम्पत्ति को हथियाने वालों की मनमानी अब नहीं चल पाएगी।
प्रदेश सरकार के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी की ओर से जारी इस शासनादेश में कहा गया है कि ‘शासन के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि राजस्व विभाग के 7 अप्रैल 1989 के एक शासनादेश के आधार पर प्रदेश में सामान्य भूमि जैसे-बजंर, ऊसर, भीटा आदि को भी वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज करके राजस्व रिकार्ड में दर्ज करवाने की अनियमितताएं हो रही हैं’।
‘जबकि वक्फ अधिनियम 1995 के पूर्व 1960 की व्यवस्था प्रचलित थी जिसे उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ अधिनियम-1960 के रूप में लागू किया था। इस अधिनियम की धारा-3 (11) में वक्फ की परिभाषा दी गई है, जिसका तात्पर्य ‘किसी सम्पत्ति का किसी ऐसे प्रयोजन के लिए स्थाई समर्पण या अनुदान से है जो मुस्लिम विधि या प्रथा के रूप में स्वीकृत हो।
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