भारत और चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ डेप्सांग मैदानों और हॉट स्प्रिंग्स का विवाद नहीं सुलझ पाया है। इस बीच ख़ुफ़िया रिपोर्टों से पता चला है कि चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों की तैनाती पर नजर रखने के लिए दोनों ही जगहों पर अपने कब्जे वाले क्षेत्र में कई सीसीटीवी के साथ कंक्रीट के वॉचटावर बनाए हैं। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है और अतिरिक्त बल तैनात किए जा रहे हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ अग्रिम चौकियों की जिम्मेदारी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के पास है। चीन की सीमा की रक्षा करने वाले आईटीबीपी के एक अधिकारी ने बताया कि जमीनी रिपोर्ट बताती है कि चीन की सेना ने एलएसी के साथ विवादित क्षेत्रों में अपना निर्माण जारी रखा है। भारत का दावा लाइनों के अंदर 18 किमी. तक फैले चीनियों ने हॉट स्प्रिंग्स और डेप्सांग मैदानों में और अधिक वॉचटावर बनाए हैं। इन्हीं दोनों क्षेत्रों का विवाद सुलझाने के लिए पिछले महीने भारत और चीन के बीच 16 वें दौर की सैन्य वार्ता हुई थी। इसमें दबाव बनाने पर भी चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में अप्रैल, 2020 वाली यथास्थिति बहाल करने से इनकार किया था।
भारतीय सैन्य दिग्गजों और खुफिया विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि चीनी सेना अपने कब्जे वाले क्षेत्र के स्वामित्व का दावा करने के लिए सीमा पर एक नई यथास्थिति बनाने की योजना बना रहे हैं। आईटीबीपी के अधिकारी ने कहा कि पिछले साल जुलाई में चीन ने पहली बार भारत के अंदर सीसीटीवी कैमरों से लैस निगरानी चौकियों का निर्माण किया था। हालांकि, भारत ने भी चीनी सेना की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए डिजिटल कैमरों के साथ अस्थायी (मानव रहित) वॉचटावर पोल लगाए हैं। हाल ही में एक खुफिया रिपोर्ट में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ चीन के कब्जे वाले क्षेत्र में नए बंकर बनाए जाने का खुलासा हुआ था। इसके अलावा लद्दाख में भारत के दावा लाइनों (एलएसी) के अंदर चीन के अन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का भी खुलासा हुआ है।
रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र का कहना है कि एलएसी के भारतीय पक्ष में चीनी सेना का निर्माण सीमा समझौते का पूर्ण उल्लंघन है। सीमा गतिरोध हल करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ताओं के बीच चीन के निर्माण कार्य चल रहे हैं। अब तक गलवान घाटी, पैन्गोंग झील के दोनों किनारों और गोगरा पोस्ट से ‘बफर जोन’ बनाने के लिए चीनी सेना ‘आंशिक’ तौर पर पीछे हटी है। हॉट स्प्रिंग्स और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेप्सांग मैदानों से चीन ने हिलने से इनकार कर दिया है। रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन कई महीनों से डेप्सांग मैदानों और अन्य जगहों पर अपने सैनिकों के लिए सड़कों और बस्तियों का निर्माण कर रहा है।
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