भारत में कल शाम खूब धूमधाम से चेन्नै में शतरंज के 44वें ओलंपियाड का उद्घाटन हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री स्टालिन सहित दुनिया के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी और अधिकारी इस मौके पर उपस्थित थे। लेकिन शतरंज क्या, लगभग हर खेल में फिसड्डी पाकिस्तान ने खेल को भी राजनीतिक चश्मे से देखते हुए इस ओलंपियाड में न खेलने का फैसला किया। जबकि भारत ने तो खेल भावना दिखाते हुए पाकिस्तान के खिलाड़ियों को खेलने के लिए बुलाया था।
पाकिस्तान ने बहाना लिया ओलंपियाड की मशाल के भारत के अभिन्न हिस्से जम्मू—कश्मीर से कन्याकुमारी गुजरने का। गत 21 जुलाई को यह मशाल जम्मू—कश्मीर के राज्यपाल ने आगे 75 शहरों के लिए रवाना की थी। बस, पाकिस्तान चिढ़ गया! कसमसाते हुए अपने जिहादी आकाओं को खुश करने के लिए शरीफ सरकार ने कह दिया कि शतरंज ओलंपियाड से हट जाएंगे। पाकिस्तान की ऐसी खेल—विरोधी भावना पर प्रतिक्रिया करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हैरानी की बात है कि पाकिस्तान ने अपनी टीम के भारत पहुंचने के बाद भी, शतरंज ओलंपियाड में भाग न लेने का फैसला किया है।
चिढ़े पाकिस्तान ने एक बार फिर जम्मू—कश्मीर पर अपनी कम अकली का परिचय दिया और ये मामला अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश की। उसने चेस ओलिंपियाड को राजनीतिक चश्मे से ही नहीं देखा बल्कि आखिरी वक्त पर इस प्रतियोगिता से अपना नाम वापस ले लिया। उसके कम अक्ल नीतिकारों ने इसे भारत की ‘खेलों का राजनीतिकरण करने की कोशिश’ बता दिया। हालांकि पाकिस्तान की टीम इस प्रतियोगिता में भाग लेने भारत पहुंची हुई थी। भारत में पहली बार हो रही इस प्रतियोगिता में 188 देश हिस्सा ले रहे हैं।
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर से स्पष्ट किया कि जम्मू—कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पाकिस्तान खेलों में भी राजनीति कर रहा है जो सही नहीं है। जिस प्रतियोगिता में दुनिया के तमाम देश भाग ले रहे हों, उससे इस तरह पीछे हटना पाकिस्तान की दूषित मंशा झलकाता है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने पहली बार किसी खेल का राजनीतिकरण नहीं किया हो।
इससे पहले 2019 में, पुलवामा आतंकी हमले के बाद वहां शहीद हुए जवानों के सम्मान में भारत के खिलाड़ियों ने ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए क्रिकेट मैच में एक खास तरह की टोपी पहनी थी, तब भी पाकिस्तान चिढ़ गया था। उसने यह मुद्दा आईसीसी के सामने उठाया।
भारत के विदेश मंत्रालय ने पुन: स्पष्ट किया है कि पाकिस्तानी कब्जे वाले हिस्से सहित पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसमें किसी तीसरे देश का कोई भी दखल किसी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। इसी तरह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के संदर्भ में बोलते हुए विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि भारत सावधान कर रहा है कि इस परियोजना में कोई कोई तीसरा देश न जुड़े, यह बर्दाश्त नहीं होगा।
पाकिस्तान में जारी गंभीर बिजली संकट पर भी भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि हमने सदा ही पाकिस्तान से व्यापार बढ़ाने की उम्मीद की है, बस शर्त यही है कि वह आतंकवाद पर काबू करे, लेकिन बदकिस्मती से ऐसा हो नहीं सका है।
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