हल्द्वानी लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे और समापन के दिन देश की जानी मानी लोक गायिका पद्म श्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि लोक कला संस्कृति और साहित्य को संजोकर रखना जरूरी है। फेस्ट में कथाकार, साहित्यकार, उपन्यासकार एक मंच में दिखाई दिए। हल्द्वानी लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन जहां कौस्तुभ आनंद चंदोला की दो पुस्तकों का विमोचन किया गया तो वहीं ऋचा अनिरुद्ध के कार्यक्रम में आईएएस रणवीर सिंह चौहान की किताबों पर चर्चा हुई।
हल्द्वानी के डीपीएस स्कूल में आयोजित हल्द्वानी लिटरेचर फेस्टिवल में सुबह प्रथम सत्र में गीतकार विजय अकेला और कवयित्री गौरी मिश्रा ने बॉलीवुड में साहित्य को लेकर विस्तार से चर्चा की। जिसके पश्चात चर्चा नई किताबों की सत्र में लेखक कौस्तुभ आनंद चंदोला, अमृता पांडे, दीपक उपाध्याय, रंजना शाही ने नई किताबों पर चर्चा की। साथ ही कौस्तुभ आनंद चंदोला की गर्म रेत और प्रेत मां किताब का विमोचन भी किया गया।
लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे सत्र में महिलाओं की रुचिकर साहित्य को लेकर प्रख्यात लेखक प्रीतपाल कौर सोनाली मिश्रा और सर्जना शर्मा में महिलाओं द्वारा लिखी गई उपन्यास और किताबों पर विस्तार से चर्चा की और महिलाओं के प्रति नजरिए को विस्तार से सुनाया। वहीं, चौथे सत्र में ‘बात किताबों की’ में वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी, दूरदर्शन के वरिष्ठ एंकर अशोक श्रीवास्तव और वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा देश में चल रहे नैरेटिव सेट करने के एजेंडे पर विस्तार से चर्चा की।
जिसके पश्चात ‘जिंदगी विद ऋचा’ में आईएएस अधिकारी लेखक रणवीर सिंह चौहान की किताबों पर दिलचस्प संवाद हुआ, ऋचा अनिरुद्ध ने रणवीर चौहान की लिखी पुस्तक 84 आलमबाग और कुछ कहना था तुमसे, पर बात की। रणवीर चौहान के द्वारा गाया गीत भी इस अवसर पर लॉन्च किया गया। अगले सत्र में चर्चा करते उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार की पुस्तक खाकी में इंसान पर अशोक कुमार से वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा ने विस्तार से चर्चा की। अशोक कुमार ने बताया कि उनके जीवन में कैसे-कैसे केस सामने आए और उन्होंने पुलिस अधिकारी से पहले एक इंसान के रूप में मदद की।
प्रखर पत्रकारिता के 75 साल सत्र में पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर के साथ वरिष्ठ पत्रकार सतीश शर्मा ने विस्तार से पत्रकारिता के सामने चुनौती को लेकर कई प्रश्न किए जिस पर हितेश शंकर ने कहा कि पाञ्चजन्य ही एक ऐसी पत्रिका है जो सच लिखने का साहस करती है। जिसके पश्चात पद्मश्री मालिनी अवस्थी के साथ पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर द्वारा की गई चर्चा में न सिर्फ कला और साहित्य में बढ़ रही राजनीति को लेकर चर्चा हुई। मालिनी अवस्थी ने कहा कि लोक कला संस्कृति और साहित्य को संजो के रखने की जरूरत है। मालिनी अवस्थी ने कई लोक गीत सुनाएं जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
अंत में मालिनी अवस्थी ने अपनी सुरीली आवाज में वंदे मातरम गीत गाकर हल्द्वानी लिटरेचर फेस्टिवल के समापन की घोषणा की। अंत में कार्यक्रम के आयोजकों में से पाञ्चजन्य के संवाददाता दिनेश मानसेरा की तरफ से आभार प्रकट करते हुए सभी अतिथियों और कार्यक्रम में सहयोग करने वाली टीम का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रीति बिष्ट और स्वाति कपूर ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डीपीएस के भूमेश अग्रवाल, विवेक अग्रवाल, प्रधानाचार्य रंजना शाही, दिनेश मानसेरा, उमंग वासुदेवा, राजीव वाही, अवनीश राजपाल, मनमोहन जोशी, राजीव बग्गा, शिवम अग्रवाल विनय अरोरा आदि ने सहयोग किया।
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