केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2002 में गुजरात दंगों को लेकर समाचार एजेंसी ANI को इंटरव्यू दिया। करीब 40 मिनट के इस साक्षात्कार में केन्द्रीय गृह मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले, मीडिया की भूमिका, गैर सरकारी संगठनों के राजनीतिक दलों, न्यायपालिका में मोदी के विश्वास पर बात की है। उन्होंने कहा कि 18-19 साल की लड़ाई, देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर सहन कर लड़ता रहा और आज जब अंत में सत्य सोने की तरह चमकता हुआ आ रहा है, तो अब आनंद आ रहा है। गृह मंत्री ने कहा कि मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे.. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है।
गुजरात दंगे के मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है। आप कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ये सिद्ध कर दिया है कि सभी आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित थे। मोदी जी से भी पूछताछ हुई थी, लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था और हमने कानून को सहयोग दिया और मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी, तब भी कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ था। जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए।
#WATCH via ANI Multimedia | 2002 में हुए गुजरात दंगों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिया एक्सक्लूसिव इंटरव्यू।https://t.co/ajWGF6v2Wl
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 25, 2022
गुजरात दंगों में सेना को नहीं बुलाने के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था। गुजरात सरकार ने एक दिन की भी देरी नहीं की थी और कोर्ट ने भी इसका प्रोत्साहन किया है, लेकिन दिल्ली में सेना का मुख्यालय है, जब इतने सारे सिख भाइयों को मार दिया गया, 3 दिन तक कुछ नहीं हुआ। कितनी SIT बनी? हमारी सरकार आने के बाद SIT बनी। ये लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं?
गुजरात दंगों को रोकने के लिए पुलिस और अधिकारियों के कथित कुछ न कर पाने के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा कि BJP विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ विचारधारा के लिए राजनीति में आए पत्रकार और NGO ने मिलकर आरोपों का इतना प्रचार किया और इसका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि लोग इनको ही सत्य मानने लगे। उन्होंने कहा कि मोदी जी SIT के सामने कोई नाटक करते हुए नहीं गए थे कि मेरे समर्थन में आओ और धरना दो। हमारा मानना था कि हमें कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए। अगर SIT सीएम से सवाल करना चाहती है तो सीएम खुद सहयोग करने को तैयार है तो फिर आंदोलन किस चीज का? गृह मंत्री ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी। एनजीओ ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई यूपीए की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है। गुजरात में हमारी सरकारी थी, लेकिन यूपीए की सरकार ने NGO की मदद की है। सब जानते हैं कि ये केवल मोदी जी की छवि खराब करने के लिए किया गया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दंगे होने का मुख्य कारण गोधरा की ट्रेन को जला देना था। 16 दिन की बच्ची को उसकी मां की गोद में बैठे हुए जिंदा जलते हुए मैंने देखा है। 60 लोगों को जलते मैंने देखा है और अपने हाथ से मैंने अंतिम संस्कार किया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन में आग लगने के बाद की घटनाएं पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वप्रेरित थीं और तहलका द्वारा स्टिंग ऑपरेशन को भी खारिज कर दिया क्योंकि इसके आगे-पीछे का जब फुटेज आया तब पता चला कि ये स्टिंग राजनीतिक उद्देश्य से किया गया था।
2002 के गुजरात दंगों पर गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी ने उदाहरण पेश किया कि कैसे संविधान का सम्मान किया जा सकता है। उनसे पूछताछ की गई, लेकिन किसी ने धरना नहीं दिया और कार्यकर्ता उनके साथ एकजुटता के साथ खड़े नहीं हुए… अगर आरोप लगाने वालों में अंतरात्मा है, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए। साथ ही कहा कि गुजरात मॉडल जरूर बना है, हमने देश के हर गांव में सबसे पहले 24 घंटे बिजली पहुंचाने का काम किया है। देश के अंदर 12 साल में शून्य ड्रॉपआउट अनुपात और प्राथमिक शिक्षा में 99% से अधिक बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया। जहां तक दंगों का सवाल है तो आप 5 साल बीजेपी और कांग्रेस के शासन काल की तुलना करें तो पता चल जाएगा कि किसके शासन में अधिक दंगे हुए।
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