31 अक्टूबर 1984 को उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. उसके बाद दंगे में निर्दोष सिखों की हत्या की गई. दंगे में सिखों के घर को लूट लिया गया . उस दंगे में उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में 127 सिखों की हत्या की गई थी. वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद एसआईटी का गठन किया गया. एसआईटी ने फिर से उस दंगे की परत खंगालनी शुरू की तो उस दंगे के नए अभियुक्त सामने आये. कुछ दिन पहले सिख दंगे के चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था. गत मंगलवार को एसआईटी ने दो और अभियुक्तों को गिरफ्तार किया. एसआईटी की जांच में दंगों के पुराने पाप उभर कर सामने आ रहे हैं. सिख दंगा सिर्फ इस बात पर हुआ था कि इंदिरा गांधी की हत्या का अभियुक्त सिख था. पूरे भारत के सिख परिवारों को निशाना बनाया गया था.
एसआईटी 60 से अधिक अभियुक्तों की पहचान की जा चुकी है. गत सोमवार को अमर सिंह और मोबीन शाह को गिरफ्तार किया गया. इसके कुछ दिन पूर्व एसआईटी ने दंगे के अभियुक्त सफीउल्लाह, विजय नारायण, बब्बन बाबा और अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया था. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगे को कांग्रेसियों ने पीछे से हवा दी थी. सिख विरोधी दंगों के बाद 19 नवंबर 1984 को एक सभा को संबोधित करते हुए राजीव गांधी ने कहा था “ जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी तब हमारे देश में कुछ दंगे – फसाद हुए थे. हमें मालूम है कि भारत की जनता क्रोधित हो उठी थी. कुछ दिन के लिए लोगों को ऐसा महसूस हुआ था कि भारत हिल रहा है. जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है.”
यह कड़वी सचाई है पूरे देश के निर्दोष सिख परिवारों को दंगों का शिकार होना पड़ा था. ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया था ताकि पूरे देश में भय व्याप्त हो. सन 84 के दंगे, कांग्रेस पार्टी के लिए दाग की तरह है जिससे वह कभी मुक्त नहीं हो पाई. राजीव गांधी के करीबी माने जाने वाले नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार सन 84 के दंगे के आरोपी बनाये गए. दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सज्जन कुमार को दंगे का दोषी माना और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सज्जन कुमार को दिल्ली के कैंट इलाके में आपराधिक षड्यंत्र रचने और दंगा भड़काने का दोषी माना गया. कांग्रेस के एक और बड़े नेता जगदीश टाइटलर पर भी दंगा भड़काने के आरोप लगे. उन पर गुरुद्वारा के सामने 3 सिखों की हत्या करने का आरोप लगा था.सिख दंगों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी माफी मांग चुके हैं. उन्होंने कहा था कि “जो कुछ भी हुआ, उससे उनका सिर शर्म से झुक जाता है. इन दंगों की तपिश को आज तक सिख महसूस करते हैं.”
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