शनिवार शाम को जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जंयती की शोभा यात्रा पर एक कट्टरपंथी समुदाय के व्यक्तियों, महिलाओं और बच्चों ने अपने अपने घरों की छतों और सड़क पर गुट बनाकर अचानक से पत्थराव,गोली व धारदार हथियारों से हमला करके दर्जनों लोगों व पुलिस वालों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। घटना में कुछ दुकानों को भी लूट लिया गया। उपद्रवी अपनी बंगाली भाषा में एक दूसरे को निर्देश देकर उपद्रव करते नजर आ रहे थे। करीब एक घंटे तक उपद्रवियों ने शोभा यात्रा में शामिल श्रद्वालुओं पर हमला किया था।
घटना के वीडियो में श्रद्धालु खुद को बचाने की कोशिश करते नजर आए थे, लेकिन जब उनको लगा की वो नहीं बच पाएंगे। उसके बाद उन्होंने उपद्रवियों द्वारा फैंके पत्थर ही उनकी तरफ फैंकने शुरू कर दिये। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में इंस्पेक्टर इंवेस्टिगेशन राजीव रंजन के बयान पर दस बजकर 40 मिनट पर एक एफआईआर दर्ज की गई है। जिसमें आईपीसी की धारा 147/148/149/186/353/322/307/323/427/436/27 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस हिंसा में पुलिस सूत्रों का कहना है कि दंगा की शुरूआत अंसार ने ही की थी। जब विवाद हुआ तो वह अपने साथियों के साथ कुछ ही कदमों की दूरी पर स्थिति एक ठेके की दुकान में जबरन साथियों के साथ घुस गया और वहां से शराब की बोतलों को लूटा। दुकान के कर्मचारियों व गार्ड के विरोध करने पर उसने उनको धमकी दी। जिसके बाद बोतलों को लेकर श्रद्धालुओं पर फैंकना शुरू किया। उसके बाद सड़कों पर पड़ी ईंट व पत्थर फैंकने शुरू कर दिये। पुलिस को सड़कों पर बोतलों के टुकड़ों का ढेर पड़ा मिला है। पुलिस ठेका मालिक व कर्मचारियों के भी बयान दर्ज कर रही है। ठेके में लगे सीसीटीवी कैमरों की भी फुटेज को कब्जे में लिया है।
खुद को दुकान में बंद कर घरवालों को दी थी हिंसा की खबर
कर्मचारियों ने हिंसा देखकर किसी तरह से अपनी दुकान का शटर बंद करके खुद को अंदर बंद कर लिया। जिसके बाद मालिक व मैनेजर आदी को मामले की जानकारी दी गई। उन्होंने अपने परिवार वालों को भी फोन करके हिंसा होने की जानकारी दी। आधे से पौन घंटे तक उन्होंने खुद को अंदर ही बंद रखा था। जब पुलिस बल आया और दंगाईयों को हटाया गया तब जाकर वह दुकान से बाहर निकले।
दंगा की जगह पर बोतलें, पत्थर, जूता चप्पल ही नजर आए
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दंगे वाली जगह पर पुलिस को सबसे ज्यादा शराब की बोतलों के टूकड़े और पत्थर ही मिले हैं। इसके अलावा जूते चप्पल,कपड़े भी मिले हैं। जिनको साक्ष्य के तौर पर जब्त किया गया है, लेकिन एक ही जगह पर इतने सारे ईंट पत्थर कहां से आए। जांच टीमें भी हैरान हैं। जिससे दंगा सुनियोजित होने का शक जाहिर हो रहा है।
क्या हिंसा करने के बाद दंगाई हुए फरार !
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि हिंसा करने के बाद जिस तेजी से पुलिस की जांच शुरू हुई है और दंगाईयों को पकड़ा जा रहा है। उससे दंगाई पकड़े जाने के डर से अपने अपने घरों से फरार हो गए हैं। ऐसे दंगाईयों के परिवार वालों से पूछताछ कर उनके ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। उनके मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगाकर उनकी लोकेशन को ट्रेस करने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में यह भी सामने आ रहा है कि कुछ दंगाई वहां के नहीं रहने वाले थे। जिनको पहचानने की कोशिश की जा रही है।
बच्चों से हिंसा कराने पर बाल संरक्षण आयोग सख्त
हिंसा में कथित रूप से बच्चों के इस्तेमाल को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) सख्त नजर आ रहा है। आयोग ने दिल्ली पुलिस को पत्र कहा है कि रविवार को उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी में एक दिन पहले हुई हिंसा में कई बच्चों को पथराव करते और उस भीड़ में शामिल देखा गया, जिसने हिंसा शुरू की थी। हिंसा के दौरान कथित रूप से बच्चों का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। किशोर न्याय अधिनियम के तहत बच्चों का इस्तेमाल करना एक अपराध है और अधिनियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। आयोग ने पत्र में ये भी लिखा है कि पत्र की प्राप्ति के सात दिनों के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत की जानी चाहिए।
लोगों ने बताई दंगे की आंखों देखी
-एच ब्लॉक के आरडब्ल्यूए प्रेसिडेंट विजय जिंदल
वह परिवार के साथ यहां पर काफी वर्षो से रह रहे हैं। लेकिन ऐसा दंगा कभी भी नहीं देखा। अगर कोई यह बोलता है कि हमने लोगों को बचाया तो वह शायद पूरी तरह से गलत बोल रहे है। क्योंकि वहां पर बचने की कोई जगह नहीं थी। हर तरफ से पथराव हो रहा था बस। काफी डरावना सीन था।
-नवरंग निवासी जहांगीरपुरी
यहां मैं अपने परिवार के साथ सन 76 से रह रहा हूं। कभी भी ऐसा नहीं हुआ है, लेकिन पिछले दो से तीन सालों में यहां के हालत पूरी तरह से बदल गए हैं। बाहरी लोग यहां आकर बस गए हैं। जिससे कई प्रकार का अपराध बड़ा है। लोगों के पास पिस्टल तलवारे देखी गई है। दंगाई शोभा यात्रा को पूरी तरह से नष्ट कर लोगों को भी खत्म करना चाहते थे। लोगों को बचने की जगह तक नहीं मिल रही थी।
-जहांगीरपुरी के विष्णु
कोविड में बिना किसी जाति धर्म को देखकर हमने खाना दिया, उनकी मजबूरियों को देखकर हर प्रकार की सहायता करने की कोशिश की थी। भाई चारा बनाने की कोशिश की थी, लेकिन दंगाईयों ने जो किया है वो सोचने पर मजबूर कर रहा है। उनको सजा तो जरूर मिलनी चाहिए। ये कुछ ही लोग हैं, जो अपनी युवा पीढ़ियों को बढ़ने से पहले ही नरक में धकेलने की कोशिश कर रही है।
-जयराम-जहांगीरपुरी
कश्मीर में जैसा होता था वैसा यहां पर देखा हमने, तलवार,लोहे की रोड,बड़े बड़े चाकू लहराते हुए दंगाईयों को देखा,वो अपने धर्म के नारे लगाकर दहशत मचाने की कोशिश कर रहे थे। जिनमें नाबालिग भी मौजूद थे। उनको देखकर बस डर ही लग रहा था। घरों की बेटियां व महिलाएं कांप रही थी और जल्द से जल्द दंगा बंद होने की प्रार्थना कर रही थी।
-राजेन्द्र यादव-जहांगीरपुरी
कश्मीर में ही लड़कियों को पत्थरबाजी करते हुए देखा था,लेकिन अब अपने ब्लॉक में भी देख लिया। उनको किसने बोला था ऐसा करने के लिये पुलिस को जरूर जांच करनी चाहिए,उनकी छतों पर ईंट पत्थर कहां से और कब पहुंचे,किसी को नहीं पता लगा,लेकिन दंगा सुनियोजित था यह पक्का हो गया है।
-जीतू मालिक-जहांगीरपुरी
अब डर लगने लगा है, हम घर छोड़कर तो बिल्कुल नहीं जाएगें,क्योंकि हमकों हमारी पुलिस पर पूरा भरोसा है। वो भरोसा रात शनिवार से रविवार तक देख भी लिया। बस अब खुद को सावधान रखने के बारे में सोचना पड़ेगा। अब भरोसा पूरा टूट चुका है इनपर से, जहां एक तरफ भजनों का आनंद ले रहे थे। कुछ ही मिनट में इन्होंने सुनियोजित तरीके से यात्रा पर पथराव कर दिया। जिसमें बच्चे,बेटियां व महिलाएं भी थी शर्मनाक हुआ।
ये लोग उपद्रवियों का हुए शिकार
इंस्पेक्टर राजीव रंजन, सब इंस्पेक्टर मेघा लाल, एएसआई ब्रिज भूषण,एएसआई अरुण कुमार, हेड कांस्टेबल प्रीतम सिंह, हेड कांस्टेबल दिनेश, कांस्टेबल दीपक कुमार, कांस्टेबल सुमन कुमार और एक नागरिक उमा शंकर। इन सभी लोगों के हाथ, पैर, चेहरे, नाक, पेट व पीठ पर चोटें लगी थी। इन सभी का उपचार बाबू जगजीवन राम अस्पताल में करवाया गया था।
पुलिस के आला अधिकारियों ने सभी से मुलाकात की और उनको उनकी डयूटी पर जान पर खेलकर शांति बनाने की कोशिश की सरहाना की। पुलिस ने सभी से दंगे के वक्त की जानकारी ली। उनके बयानों को भी नोट करवाया गया था।
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