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पंजाब चुनाव के बीच रामरहीम को 21 दिन की पैरोल, 48 सीटों पर सीधा असर डाल सकते हैं डेरा समर्थक

by मनोज ठाकुर
Feb 7, 2022, 11:12 am IST
in भारत, पंजाब
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पंजाब में डेरों का प्रभाव बहुत अधिक है। सरकार बनाने में इनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है। किस पार्टी को समर्थन देना है, यह डेरा की 25 सदस्यीय राजनीतिक कमेटी तय करती है।

रेप और हत्या के आरोप में जेल में आजीवन कैद की सजा काट रहे  डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत रामरहीम को 21 दिन की पैरोल मिल गई है। गुरमीत की इस पैरोल का पंजाब विधानसभा चुनाव में सीधा असर पड़ सकता है, क्योंकि पंजाब की 48 सीटों पर डेरा समर्थकों का प्रभाव है। डेरे को लेकर कांग्रेस, खासतौर पर नवजोत सिह सिद्धू हमलावर रहे हैं। डेरे ने अपनी ताकत दिखाने के लिए समागम भी किया था, जिसमें बड़ी संख्या में डेरा समर्थक आए थे। इसके बाद ही यह माना जाने लगा था कि डेरा इस बार पंजाब की राजनीति में सक्रिय भूमिका अदा करेगा। 

डेरा हालांकि सीधे तौर पर राजनीति गतिविधियों में भाग नहीं लेता। लेकिन चुनाव से पहले किसी न किसी दल को समर्थन देता है। किस पार्टी को समर्थन देना है, यह डेरा की 25 सदस्यीय राजनीतिक कमेटी तय करती है। यह समर्थन मतदान से एक दिन पहले शाम के वक्त दिया जाता है। डेरा समर्थक ही इस संदेश को आगे ले जाने का काम करते हैं। डेरा प्रमुख गुरमीत रामरहीम 25 अगस्त, 2017 से जेल में है। इस बार पंजाब चुनाव में डेरा की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है। राजनीतिक समीक्षक वीरेंद्र भारत ने बताया कि पंजाब के पिछले विधानसभा चुनाव में बेअदबी के मामलों को लेकर डेरा को निशाना बनाया गया। खासतौर पर नवजोत सिंह सिद्धू लगातार बेअदबी का मामला उठा कर डेरा पर निशाना साधते रहे हैं। पिछले दिनों ही बेअबदबी मामले में दायर चार्जशीट में गुरमीत रामरहीम का नाम भी जोड़ा गया। 

कांग्रेस के रुख से डेरा प्रेमीआहत 

डेरा प्रमुख ने तीन बार पैरोल की अर्जी लगाई, लेकिन हर बार नामंजूर हो गई। भले ही गुरमीत रामरहीम को सजा भाजपा सरकार में हुई है, लेकिन डेरा का झुकाव भाजपा की ओर ही रहा है। इस वजह से डेरा का समर्थन भाजपा के लिए खासा मायने रखता है। वीरेंद्र भारत ने बताया कि कांग्रेस की डेरा के प्रति जो नीति रही है, इससे पंजाब के डेरा प्रेमी भी खासे आहत हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि डेरा समर्थक भाजपा को समर्थन दे सकते हैं। डेरा का प्रभाव पंजाब की ग्रामीण सीटों पर सबसे ज्यादा है। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि अब यदि पंजाब में भाजपा को डेरा ने समर्थन दे दिया तो कांग्रेस के बाद इसका सीधा नुकसान आम आदमी पार्टी को होगा, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में आआपा के मतदाता सबसे अधिक हैं।

जानकारों का कहना है कि 2007 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने कांग्रेस को समर्थन दिया था। तब अकाली दल अपनी पकड़ वाली सीटों पर भी हार गया था। हालांकि तब भाजपा के सहयोग से अकाली दल सरकार बनाने में कामयाब रहा था। 2007 में अकाली दल को 48 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। भाजपा को 19 सीटों पर जीत मिली थी। इस वजह से अकाली सरकार बन गई थी। अकाली सरकार बनने के बाद डेरा के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी। इससे डेरा ने सबक लेकर बीच के रास्ते पर चलना तय कर लिया था।  

पंजाब के 25 प्रतिशत लोग डेरों से जुड़े 

पंजाब में 2.12 करोड़ मतदाता हैं। 25 प्रतिशत लोग डेरे से जुड़े हुए हैं। प्रदेश में 12 हजार 581 गांव हैं। यहां डेरों की 1.13 लाख शाखाएं हैं। जाहिर है डेरा का झुकाव जिस ओर भी होगा, उस पार्टी के लिए जीत का गणित आसान हो सकता है। लोग डेरा की बात मानते हैं। लेकिन जब से रामरहीम जेल गया, तब से डेरा समर्थक भी वोट को लेकर किसी न किसी स्तर पर इधर-उधर हो जाते थे।  

गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने का सीधा असर पंजाब की राजनीति में पड़ेगा। वीरेंद्र भारत ने कहा, उम्मीद है, डेरा भाजपा को समर्थन देगा। यदि ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए यह खासा सियासी लाभ होगा। भाजपा को समर्थन देने की वजह यह है कि गुरमीत को जमानत मिली है। डेरा यूं भी भाजपा के प्रति झुकाव रखता है। दूसरा, डेरा को भी पता है कि दिल्ली में भाजपा की सरकार है। इसलिए डेरा भाजपा से सीधे-सीधे टकराव लेना भी नहीं चाहेगा, क्योंकि समर्थन देने में डेरे से भले ही कितनी भी गोपनीयता बरती जाए, लेकिन यह बात बाहर आ ही जाती है। 

बाबा का हुक्‍म माना जाएगा

डेरा समर्थकों का कहना है कि डेरा जिसे समर्थन देगा, उसे बाबा का हुक्‍म माना जाएगा। इस तरह से समर्थकों के वोट बिखरने का अंदेशा बहुत कम है। उम्मीद है कि इस बार यदि डेरा की ओर से समर्थन जिस भी दल को दे दिया गया, उसे कम से कम डेरा के 70 से 80 प्रतिशत समर्थक वोट डालेंगे। इसलिए पंजाब चुनाव के मौके पर गुरमीत की यह पैरोल खास मायने रख रही है।

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