जीत पर कसमसाहट क्यों!
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

जीत पर कसमसाहट क्यों!

by
Mar 20, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 20 Mar 2017 15:26:52

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे बीते हफ्ते आ गए। राजनीतिक दल चुनाव में अपनी हार-जीत की समीक्षा करेंगे। लेकिन वास्तव में मीडिया को भी इसी बहाने अपनी समीक्षा करनी चाहिए। खास तौर पर उत्तर प्रदेश को लेकर मीडिया में बीते कुछ समय से एक खास तरह की रिपोर्टिंग चल रही थी। चुनाव की घोषणा होने के पहले से मुख्यधारा मीडिया में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव का महिमामंडन शुरू हो चुका था। बाद में जब कांग्रेस के साथ गठजोड़ हो गया तो मानो ‘करेला ऊपर से नीम चढ़ा’ जैसी हालत हो गई। वोट बैंकों और जातीय समीकरणों के आधार पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को जीत का सबसे मजबूत दावेदार बताया गया।
किसी भी राज्य का चुनाव वहां की मौजूदा सरकार के कामकाज पर एक तरह का जनमत सर्वेक्षण होता है। मीडिया भी जगह-जगह जाकर यह जांचने की कोशिश करता है कि मौजूदा सरकार ने किन मोर्चों पर अच्छा काम किया और कहां पर वो नाकाम रही। लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश के लिए यह बात लागू नहीं हुई। अखिलेश सरकार ने क्या किया और क्या नहीं किया, यह बहस मुख्यधारा मीडिया से गायब थी। मुख्यमंत्री अपनी रैलियों में केंद्र सरकार से उसके काम पूछ रहे थे और मीडिया भी खुशी-खुशी इसी लाइन को पकड़कर चल रहा था। अखिलेश सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और लखनऊ  मेट्रो को अपनी कामयाबी के तौर पर गिनाया। लेकिन शायद ही किसी चैनल या अखबार ने यह बताने की जरूरत समझी कि दोनों ही अभी तक बनकर तैयार नहीं हुए हैं। कानून-व्यवस्था, बिजली और धार्मिक आधार पर भेदभाव जैसे मुद्दे अगर चर्चा में आए भी तो चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री के भाषणों के कारण।
चुनाव का तीसरा दौर आते-आते क्रांतिकारी चैनल के क्रांतिकारी एंकर ने फैसला सुना दिया कि भाजपा हारी हुई लड़ाई लड़ रही है। नवभारत टाइम्स तो पहले ही दावे से कह चुका था कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की ‘साइलेंट लहर’ चल रही है। लेकिन सबसे संदिग्ध भूमिका रही अंग्रेजी अखबार इकोनमिक टाइम्स की। इस अखबार का उत्तर प्रदेश में यूं तो कोई खास असर नहीं है, लेकिन न जाने क्यों ऐसा लगता रहा कि वह सपा और कांग्रेस के प्रचार अभियान का हिस्सा है। अखबार की कई रिपोर्टर बाकायदा लखनऊ में बैठी रहीं और समाजवादी पार्टी की जीत की भविष्यवाणी जारी करती रहीं। ऐसे भी दिन आए जब इकोनॉमिक टाइम्स के पूरे के पूरे राजनीतिक पेज समाजवादी पार्टी की खबरों से भरे हुए थे।  दरअसल उत्तर प्रदेश में सेकुलर पत्रकारों की एक पूरी जमात चुनावी कवरेज की आड़ में अलग ही काम में जुटी थी। वे पत्रकारिता के नाम पर भाजपा के खिलाफ माहौल बना रहे थे, ताकि उसे सत्ता में आने से रोक सकें। कुछ पत्रकारों ने आखिरी दौर तक यह काम जारी रखा, तो कुछ ने आखिरी दौर आते-आते माना कि उत्तर प्रदेश में हवा का रुख किस तरफ है। सवाल उठता है कि ऐसा क्यों था कि उत्तर प्रदेश चुनाव में मीडिया का एक बड़ा तबका खुद को निष्पक्ष नहीं रख पाया। निजी पसंद-नापसंद क्या इतना हावी हो सकती है कि कोई मीडिया समूह या पत्रकार अपनी सारी विश्वसनीयता दांव पर लगा दे?
भाजपा जीती है लिहाजा इस जीत पर प्रश्नचिन्ह लगाने की कोशिश भी शुरू हो चुकी है। जिस दिन चुनावी नतीजे आए, ठीक उसी दिन बीबीसी ने अपनी वेबसाइट पर मई 2010 का एक लेख शेयर किया जिसमें दावा किया गया था कि भारत में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों को हैक किया जा सकता है। इस लेख के दावे बहुत पहले ही गलत साबित हो चुके हैं। लेकिन बीबीसी ने बड़े ही शरारतपूर्ण तरीके से सात साल बाद उसी पुराने लेख को शेयर करके भारतीय लोकतंत्र पर लांछन लगाने की कोशिश की। बीबीसी का यही लेख अब नकारे गए नेताओं और चिढ़े हुए पत्रकारों की बहसों का आधार बना हुआ है।
खिसियाया और चिड़चिड़ा पत्रकार कभी निष्पक्ष और पेशेवर नहीं हो सकता। ऐसी ही मानसिक अवस्था वाले पत्रकार कभी वोटिंग मशीन को लेकर लोगों के मन में शक बिठाने की कोशिश करते हैं तो कभी मणिपुर और गोवा में राज्यपाल के फैसलों पर सवाल उठाते हैं। जबकि इन दोनों ही मामलों में बिना हो-हंगामे के विषय के किसी जानकार से बातचीत करके सच्चाई को सामने लाया जा सकता था।
विपक्षी नेताओं की तरह कई पत्रकार भी जनादेश को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। ये पत्रकार कौन हैं, यह हर कोई जानता है। बार-बार फेल होने के बावजूद वह हिम्मत नहीं हारते और कोशिश जारी रखते हैं। उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में भाजपा की जीत उनके लिए झटका है। लेकिन इतना तय है कि उनकी साजिशें खत्म नहीं होने वालीं। उत्तर प्रदेश में होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना और गलत-सही दावों को मीडिया का ये तबका खूब तूल देगा। कोशिश यही होगी कि सरकार शांति से काम नहीं करने पाए।
उधर, अमेरिकी चैनल सीएनएन पर हिंदू धर्म को बदनाम करने की नीयत से एक कार्यक्रम दिखाया गया। इसमें हिंदुओं को नरभक्षी बताने की कोशिश की गई। दुनिया भर में फैले हिंदुओं ने इस रिपोर्ट पर सोशल मीडिया के जरिए कड़ा विरोध जताया। यहां तक कि अमेरिकी कांग्रेस की हिंदू सदस्य तुलसी गबार्ड ने इस पर सीएनएन को जमकर खरी-खोटी सुनाई। लेकिन भारतीय मीडिया चुप्पी साधे रहा। क्या यह उसकी जिम्मेदारी नहीं थी कि जिहादी मानसिकता वाले एक अमेरिकी मुस्लिम रिपोर्टर की नीयत के खोट को सामने लाए?

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies