बगुला भगत
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बगुला भगत

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Oct 19, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 19 Oct 2013 15:33:12

एक बगुला था। वह बहुत बूढ़ा हो गया था, इतना कि उसको अपने लिए मछली-केकड़े पकड़ना भी कठिन हो गया। तब वह उस तालाब पर गया, जहां नगर के लोग नहाने आते थे। एक दिन एक पण्डित जाप करने की अपनी माला तालाब पर ही भूल गया। बगुले ने वह माला उठा ली और दिखावा करने के लिए उसे अपने पंजे से नचाने लगा। यह देखकर मछलियों ने समझा-बगुला जाप कर रहा है, इसीलिए हमें न तो पकड़ता है न खाता है। कई दिनों तक उस तालाब के किनारे बैठकर वह माला पंजों से फेरता रहा, नचाता रहा। तब तालाब की मछलियों में यह विश्वास जम गया कि सच ही यह बूढ़ा बगुला पक्का भक्त बन गया है, मांस नहीं खाता, न किसी जीव की हत्या करता है।
अब वे बिल्कुल निडर होकर उसके पास ही उछलती-तैरती रहती थीं। तब एक दिन बगुले ने बड़ी चिन्ता करते हुए मछलियों से कहा-देखो! आज एक पंडित ने, जो सबको आगे की बातें बताता रहता है, अपनी पोथी-पत्रा देखकर एक सेठ को बताया कि इस बार बरसात होगी ही नहीं। भीषण अकाल पड़ेगा। सब नदी-तालाब सूख जाएंंगे। यह सुनकर मैं चिन्ता में पड़ गया कि सूखा पड़ने पर तुम सबकी क्या दशा होगी।
मछलियों ने सुना तो उनके प्राण सूख गए। बोलीं- अब आप ही कोई उपाय करिये। हमारी आयु ही क्या है। आप अनुभवी हैं, अवश्य कोई मार्ग खोज सकते हैं। बगुले ने कहा- एक उपाय है। इसी जंगल में पुष्कर नाम की एक झील है जहां कमल खिलते हैं। वह कभी सूखती नहीं। बहुत गहरी हैै। वहीं तुम लोग जाकर रहो। मछलियां बोलीं- काका! भला हमारी औकात क्या, जो वहां पहुंच सकें। बगुले ने कहा- ठीक है, वहां पहुंचाने का काम मेरा। लेकिन मैं एक बार में एक को ही ले जा सकूंगा।
बगुला एक-एक कर मछली पंजों में दबाकर उस तालाब से ले जाता। बहुत सी मछलियां उस तालाब से चली गईं तो एक दिन एक केकड़े ने हठ किया, कहा- काका! मुझे भी पहुंचा दो वहां। बगुला उसे भी ले चला पंजों में दबाकर। उड़ते-उड़ते एक टीला आया, तो वहां वह उतरने लगा। केकड़ा बड़ा चालाक था। उसने जो नीचे देखा तो दंग रह गया। यहां तो खायी हुई मछलियों के अंजर-पंजर के ढेर हैं! वह समझ गया कि यह दुष्ट बगुला आज मुझे भी चट कर जायेगा। जैसे ही बगुला नीचे उतरने को हुआ कि उस केकड़े ने उसके पंजों से छुटकारा पाते ही बगुले का गला दबोच लिया और जब तक उसे काट नहीं डाला, छोड़ा नहीं। केकड़े ने तालाब की शेष मछलियों को बगुला भगत के पेट में जाने से बचा लिया। संसार में ढोंगियों की कमी नहीं। दूसरों की भलाई करने वाले बिरले ही मिलते हैं। 

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