- चाणक्य बख्शी के फेसबुक वॉल से
आज मेरी आंखों के सामने नवंबर 2008 में पचमढ़ी में अचानक कर्नल प्रसाद पुरोहित की गिरफ्तारी का पूरा दृश्य घूम गया। लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित पचमढ़ी के विदेशी भाषा प्रभाग में अरबी भाषा सीखने का कोर्स कर रहे थे और सेना में वैश्विक इस्लामिक आतंकवाद के विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते थे। पचमढ़ी नगर के अनेक स्थानीय लोगों से उनके सामान्य मधुर संबंध थे। मेरी बड़ी बेटी और उनका बेटा एक ही कक्षा में पढ़ते थे। मिलिट्री इंटेलिजेंस के सेवारत सैन्य अफसर के साथ ऐसा व्यवहार भौंचक्का करने वाला था और अब उन्हें मालेगांव ब्लास्ट का आरोपी बना दिया गया था।
पचमढ़ी में एक शिविर मालेगांव ब्लास्ट कांड के कोई एक माह बाद संपन्न हुआ था। इस शिविर के आवास व कैटरिंग का व्यवसाय मेरी फर्म ने ही किया था। उस समय भारत स्काउट में कोई केंप साइट खाली न थी और मध्यप्रदेश पर्यटन की वुड लैंड केंप साइट मेरे व्यावसायिक साझेदार योग दत्त की जुनून एडवेंचर के पास थी। एमपीटी प्रबंधन ने इस बिजनेस इंक्वायरी को हमारी ओर मोड़ा था। मैंने डील के हिसाब से दूसरे पक्ष की ओर से बात कर रहे व्यक्ति को अग्रिम जमा करने के लिये बैंक खाता दे दिया था और अग्रिम आने पर बुकिंग कर दी थी।
यहां से मुझे भी इस प्रकरण में लपेटने के षडयन्त्र और हर ऐसे अवसर पर देवतुल्य रक्षक प्रगट होने का अद्भुत घटना चक्र घटा और साक्षात अनुभूति होती रही कि ” संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है।”
केन्द्र के इशारे पर सभी जांच एजेंसियां संघ से संबंधित कार्यकर्ताओं पर चार्ज फ्रेम करने का भरसक प्रयास कर रही थीं। उस समय सब के पूछताछ करने का उद्देश्य भगवा आतंकवाद सिद्ध करना ही था।
परिस्थितिजन्य गंभीरता के अनुकूल संभावित विषम स्थितियों के लिये तैयार रहना पड़ा। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट थी कि इस प्रकरण में चाणक्य बख्शी आरोपी बनाने योग्य है क्योंकि वह संघ का घोषित कार्यकर्ता है होने से भगवा आतंक की योजना से संबद्ध है और कैंप साइट, कैटरिंग व स्थानीय संसाधन का सारा प्रबंधन उसीने किया है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार होने से एटीएस पूरी तरह पूर्व निर्धारित योजना और लक्ष्य कि भगवा आतंकवाद सिद्ध करना है के लिए मसाला जुटाती रही। वे अनधिकृत रूप से मध्यप्रदेश पुलिस की बिना जानकारी के मनमाने ढंग से मध्यप्रदेश से लोगों को उठा कर ले जाना चाहती थी और उसने मैरे साथ भी ऐसा किया जिसे हमने अपनी योजना से विफल किया।
इसी समय यह प्रकरण एटीएस नासिक से नव गठित एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया। एनआईए ने कहा कि एटीएस ने हमें जो फाइल दी है उसके अनुसार आपने कैंप में बंदूकें सप्लाई की हैं। अब तो ये नया फंदा था। साध्वी प्रज्ञाजी और कर्नल पुरोहित जी के साथ थर्ड डिग्री टाॅर्चर एवं यंत्रणा मीडिया में खूब आने लगा था और भगवा आतंकवाद-हिंदू आतंकवाद चर्चित था। एनआईए देश की शीर्ष आतंक निरोधक संस्था और तत्कालीन केन्द्र सरकार की दिशा सर्वथा हिंदू और संघ विरोधी थी।
स्पष्ट दिख रहा था कि एजेंसी कहीं न कहीं योजना में सहभागी बता कर दोषी सिद्ध कर आरोपी बना कर गिरफ्तार करने की तैयारी में हैं। फिर चमत्कार हुआ और ईश्वर कृपा से एनआईए में कुछ विशेष संपर्क निकल आये। जिन्होंने बताया कि चिदंबरम साब का स्पष्ट आदेश है कि हमें चाहे जैसे भी हो भगवा आतंकवाद साबित करना ही है और इस प्रकरण में कहीं दूर से भी कोई आरएसएस वाला संबंधित दिखता हो तो चार्ज फ्रेम कर देना है। वे इस्लामिक आतंकवाद के नैरेटिव को भगवा आतंकवाद साबित करके संतुलित करना चाहते हैं। फाइल में एटीएस नासिक ने बंदूकें सप्लाई करने जैसी असत्य और आपत्तिजनक बातें लिखी थी।
संघ कार्यकर्ता होने मात्र से फंसाने का दुष्चक्र बस ईश्वरीय कृपा से ही विफल हुआ। मुझे पुलिस, एटीएस और एन.आई.ए जैसी एजेंसियों के मध्य से नियति जैसे सुरक्षित निकालकर लायी प्रत्यक्षं किं प्रमाणम है कि नहीं ” संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है।”
मेरे संग तो सुखद सहयोग के चमत्कार हुये पर उस पूरे दौर में पचमढ़ी के अनेक लोगों को पहले एटीएस ने और फिर एनआईए ने तनाव से भर दिया था। वे सभी मेरे चक्कर लगा रहे धे कि भैया बहुत डर लग रहा है कुछ होगा तो नहीं । पचमढ़ी के जितने लोग भी कर्नल प्रसाद पुरोहित जी के संपर्क में किसी भी कारण से आये थे उन सभी से पूछताछ हो रही थी। शिविर की पूर्व तैयारी के लिए उनके कुछ कार्यकर्ता पचमढ़ी कमरा किराये से लेकर रहे थे। आवास ओर कैटरिंग का अनुबंध मेरे पास था, मेरे प्रबंधक जगदीश जाटव पूरे समय शिविर स्थल पर व्यवस्थापक थे और मेरे रिसेप्शनिस्ट योगेश गुप्ता के घर पर एक कमरा किसी ने किराये पर लिया था, शैंकी साहू के होटल में कोई एक रात रुके थे, बंटी पटेरिया ने बस लगायी थी और सगीर भाई ने कर्नल साब से मोटर साइकिल खरीदी थी। किसी ने सिम बेची थीं जिसने भी अपनी सिम से कर्नल साहब से बात की थी उन्हें सूचीबद्ध कर एक एक से एनआईए पूछताछ करती रही।
उस समय पचमढ़ी के एकमात्र जीवित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बालारामजी गुप्ता थे वे जीवन भर समाजवादी रहे पर क्योंकि उनका कमरा 15 दिन के लिये किराये पर था तो उन्हें भी 85 वर्ष की अवस्था में समन दे कर एनआईए ने मुम्बई बुलाया। ऐसे आठ-दस लोग गये ओर जाने के पहले घबराते हुये मेरे पास आते थे और हम हौसला बढ़ा कर भेजते थे कि जब कुछ गलत किया ही नहीं तो डर क्यों रहे हो।
अब प्रकरण में हमें गवाह बना लिया गया था। मैं, जगदीश जाटव, शैंकी साहू , बंटी पटेरिया, संजय श्रीवास, योगेश गुप्ता, सगीर भाई गैरेज वाले, मुश्तकिम आदि सभी को मुम्बई जा कर गवाही देनी पड़ी। हम जिरह में कर्नल पुरोहित को आतंकवाद में संलिप्त बतायें ऐसा प्रयास अभियोजन पक्ष का था। हम सभी ने न तो ऐसा कुछ देखा था न ही हम ऐसा मानते थे। हम जितना जानते थे वह हम सभी ने अदालत के समक्ष कहा और अगले दिन हास्यास्पद ढंग से समाचारों ने छापा कि गवाह पलट गये हैं।
कर्नल पुरोहित से भेंट
इतना सब होने के बाद कर्नल पुरोहित जी से मिलने की इच्छा पूर्ति की। इस भेंट में भयानक तथ्य उभरे। यह सब क्यों हुआ। उस समय देश में और कश्मीर में इस्लामी आतंकवाद चरम पर था। समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में लश्करे तैय्यबा के विरुद्ध सबूत मिले थे परंतु अचानक केन्द्र से हिंदू आतंकवाद की ओर रुख मोड़ देने के निर्देश आ गये। पाकिस्तान ने इसका भरपूर लाभ लिया।
देश के गृहमंत्री चिदंबरम चाहते थे कि मिलिट्री इंटेलिजंस अपना सूचना तंत्र व मुखबिरों की जानकारी राजनैतिक नेतृत्व से साझा करे। इंकार करने पर उस समय के अनेक सत्ताधारी लोगों की अलगाववादियों से साठ गांठ की जानकारी कर्नल पुरोहित को होने से उन्हें मोहरा बना कर फंसाने की योजना हुयी।
इस समय मनमोहन सरकार ने देश का सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर को बनाया था जिन्होंने आदर्श सोसायटी घोटाले में फर्जीवाड़ा कर फ्लैट हासिल किया था और जिन पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद अंबिका बैनर्जी ने आय से अधिक संपत्ति के भी आरोप लगा कर जांच की मांग की थी। जनरल दीपक कपूर अभी जनवरी 2023 में राहुल गांधी जी की तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा में भी सम्मिलित थे। ऐसे सेनाध्यक्ष ने देश की मिलिट्री इंटेलिजेंस के सेवारत अधिकारी को षड़यंत्र में फंसा कर गिरफ्तारी की अनुमति दी और एक सैन्य अधिकारी ही नहीं अपितु भारतीय सेना की भी अंतर्राष्ट्रीय बदनामी करवायी।
साध्वी प्रज्ञाजी के समान ही कर्नल पुरोहित पर थर्ड डिग्री टाॅर्चर की पराकाष्ठा की गयी। यहां तक की झूठा एनकाउंटर कर मार डालने की भी योजना बनायी। कर्नल पुरोहित ने देश के प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत से निष्पक्ष जांच की गुहार लगायी जिन्होंने सेना की टीम गठित कर जांच कराई और उन्हें निर्दोष पा कर सेना में ससम्मान रिइंस्टेट किया।
वर्तमान घटनाचक्र में विशेष अदालत से सभी बरी हुये हैं।
आज मैं समाचारों में पढ़ रहा हूं कि गवाह पलटने से अभियोजन सिद्ध नहीं हुआ। हमारे बयान तोड़ मरोड़ कर मनगढ़ंत बयान एटीएस ने लिखे ।
क्या उन झूठी बातों के पक्ष में हम बयान देते ?
जो हुआ था वही बताया।
आरएसएस कार्यकर्ता चाणक्य बख्शी ही नहीं उस समय के निष्पक्ष एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर भी यही कह रहे हैं और पचमढ़ी के मो. सगीर और मुश्तकिम भी यही गवाही दे कर आये हैं।
ये भी समझ में नहीं आया कि 323 में से 37 गवाह मुकरे तब भी 284 गवाह कुछ सिद्ध न कर सके। अभियोजन आरंभ होने से लेकर छ: वर्ष तक दो गृह मंत्री चिदंबरम जी और शिंदे जी इस प्रकरण के माध्यम से हिंदू और भगवा आतंकवाद को साबित करने का पुरजोर प्रयास करते रहे पर झूठ के पुलिंदे में से न कुछ निकलना था न कुछ निकला। यह पुन: सिद्ध हुआ कि सत्य प्रताड़ित हो सकता है पर पराजित नहीं होता।
सत्यमेव जयते।।
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