कांग्रेस ने इस देश में हमेशा से ही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की है। उसका रवैया हमेशा से ही हिंदूओं और भगवा के प्रति पक्षपातपूर्ण रहा है। 2008 के मालेगांव बम विस्फोट के बाद कांग्रेस नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदू और सनातन को बदनाम करने के लिए जिस तरह से ‘भगवा आतंकवाद’ के झूठ को प्रचारित और प्रसारित किया था, उससे साफ है कि उसकी मंशा क्या थी? दरअसल, कांग्रेस महाराष्ट्र के मालेगांव की एक मस्जिद के बाहर हुए बम धमाके के तारे सीधे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जोड़कर, संघ पर शिकंजा कसने की अपनी पुरानी ख्वाहिश को पूरा करना चाहती थी। हिंदुओं और दक्षिणपंथियों से एक खास तरह की घृणा की मानसिकता से ग्रसित कांग्रेस, मालेगांव बम धमाके के बहाने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत को गिरफ्तार करना चाहती थी।
यह बात महाराष्ट्र एटीएस (ATS) के एक पूर्व पुलिस अधिकारी महबूब मुजावर के उस बयान के बाद साफ हो गई है, जिसमें उन्होंने कहा कि मालेगांव बम विस्फोट के बाद, उनके ऊपर संघ प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का दबाव बनाया गया था। जिस समय यह विस्फोट हुआ था, उस समय केंद्र और महाराष्ट्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार थी। केंद्र में गृह मंत्री कांग्रेस नेता शिवराज पाटिल थे और महाराष्ट्र में गृहमंत्री आरआर पाटिल। शरद पवार यह कह भी चुके थे कि आतंकी घटनाओं में सिर्फ मुस्लिमों की जांच होती है, हिंदू संगठनों की नहीं। आखिर क्यों?
इस ‘आखिर क्यों’ नहीं वाली मंशा ने ही हिंदू संगठनों से जुड़े हुए लोगों को आतंकवादी बनाने के लिए एक सुनियोजित षडयंत्र रचा। पहले हिंदू और भगवा आतंकवाद को मीडिया के माध्यम से प्रचारित और प्रसारित करवाया, फिर इस झूठ को कथित विमर्श के केंद्र में लाने की कोशिश हुई। जिसमें कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता कूदे और उन्होंने भगवा आतंकवाद पर बात करना शुरू कर दिया। इसमें कांग्रेस का साथ वामपंथी बुद्धिजीवियों ने भी दिया, क्योंकि हिंदुओं और सनातन के प्रति अपनी नफरत के प्रदर्शन का इससे बेहतर उनके लिए कोई समय नहीं हो सकता था।
मालेगांव बम विस्फोट पर आये फैसले के बाद कांग्रेस और उसके विचार के मूल में जिनकी जड़े हैं, उन वामपंथियों का कुचक्र ढह गया। हिंदूवादी संगठनों के साथ ही देश के साधु-संतों और इस मामले की जांच से जुड़े एटीएस का हिस्सा रहे महबूब मुजावर भी खुश दिखे। उन्होंने साफ कहा कि इस पूरे मामले की जांच ही फर्जी थी। उनके अधिकारियों ने इस मामले में उन्हें संघ प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। इससे कांग्रेस का वो सांप्रदायिक चेहरा उजागर हो गया जिसे वो हमेशा से ही छिपाती रही है। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या हिंदू आतंकवाद के झूठ को प्रचारित करने वाले कांग्रेस देशवासियों से माफी मांगेगी। क्या हमेशा देश के विरुद्ध जाकर बयानबाजी करने वाले पी चिदंबरम देश से माफी मांगेंगे? मालेगांव बम विस्फोट के फैसले के बाद बीजेपी ही नहीं, बल्कि हिंदूवादी संगठन, साधु-संत और आम भारतीय नागरिक भी कांग्रेस से सालों तक एक झूठ को प्रचारित करने के लिए माफी मांगने की बात कहने लगा है। जैसे ही एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित सहित सभी आरोपियों को बरी किया कई साधु-संतों ने कांग्रेस पर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की बात तक कह डाली।
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