नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में 12 आरोपियों को बरी किए जाने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 24 जुलाई को सुनवाई करेगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा था कि सरकार हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देगी। साल 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में सिलसिलेवार 7 बम धमाकों में कुल 189 लोगों की मौत और 820 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
हाई कोर्ट ने 21 जुलाई को फैसला सुनाते हुए 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में 12 आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया था। सितंबर, 2015 में निचली अदालत ने 5 को मौत की सजा और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस सजा को आरोपियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने सभी 12 को बरी करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार धमाके
11 जुलाई 2006 को मुंबई लोकल ट्रेन के सात कोचों में सिलसिलेवार धमाके हुए थे, जिसमें 189 यात्रियों की मौत हो गई और करीब 824 लोग घायल हो गए थे। यह फैसला 19 साल बाद आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एटीएस (ATS) ने मामले की जांच की और मकोका व यूएपीए (UAPA) जैसी कड़ी धाराओं में 13 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि 15 अन्य फरार बताए गए। इनमें से कुछ लोगों के पाकिस्तान में होने की बात कही गई। आरोपियों में कमाल अहमद अंसारी (2021 में कोरोना से मौत), तनवीर अहमद अंसारी, फैसल शेख, एहतशाम सिद्दीकी, नावेद हुसैन खान, आसिफ खान, मोहम्मद माजिद शफी, शेख आलम शेख, मोहम्मद साजिद अंसारी, मुजम्मिल रहमान शेख, सोहैल मेहमूद शेख, जमीर अहमद शेख के नाम शामिल हैं, लेकिन कोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते उन्हें रिहा करने को कहा।
टिप्पणियाँ