सीरिया में राष्ट्रपति असद का शासन समाप्त होने के बाद कट्टरपंथी मजहबी गतिविधियां बढ़ रही हैं। एक दौर के अल्पसंख्यकों के हत्याकांड के बाद अब सीरिया में ड्रूज़ समुदाय के लोगों की हत्याएं जारी हैं।
लगातार तीन-चार दिनों तक जारी दमन के बाद अब कुछ ठहराव आया है, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि लगभग एक हजार हत्याएं हो चुकी हैं। यह और भी हैरान करने वाली बात है कि हर बार की तरह इस बार भी मीडिया से विमर्श गायब रहा। बात चाहे ईराक में आईएसआईएस के आतंकियों के हाथों मारे गए यजीदी समुदाय के लोगों की हो, बांग्लादेश में कट्टरपंथी मजहबी ताकतों के हाथों मारे गए हिंदू समुदाय के लोगों की हो, या फिर सीरिया में मारे जा रहे ड्रूज़ समुदाय के लोगों की, मीडिया में एक अजीब सन्नाटा छाया हुआ है।
यह सन्नाटा तब टूटता है जब गाजा में हमला होता है, जब किसी गैर मुस्लिम देश द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देने से इंकार किया जाता है, या फिर किसी गैर – मुस्लिम देश में किसी मुस्लिम पर कथित अत्याचार होते हैं। यदि इन सबसे इतर कुछ हो रहा है तो मुख्यधारा मीडिया की नींद नहीं खुलती है।
मगर अब सोशल मीडिया है, इसलिए जो कुछ भी मीडिया छिपाना चाहता है, वह सब बाहर आ जाता है। उसने यह हत्याएं छिपानी चाहीं, यह छिपाना चाहा कि आखिर ये हत्याएं कौन कर रहे हैं, कौन सी विचारधारा इन हत्याओं का कारण है, मगर अब वह छिपा नहीं सका। अब सब शीशे की तरह साफ है।
कौन हैं ड्रूज़ और क्यों हो रही हत्या
पूरे विश्व में मीडिया कथित अल्पसंख्यकों का राग अलापता है। वह कहता है कि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होते हैं। मगर वह यह नहीं बताता कि अल्पसंख्यक की परिभाषा उसकी नजर में क्या है? विश्व मे दूसरे नंबर पर काबिज इस्लाम उनके लिए अल्पसंख्यक है, परंतु हिन्दू, यजीदी और ड्रूज़ जैसे समुदाय उसके लिए अल्पसंख्यक नहीं हैं।
बांग्लादेश में हिन्दू बामुश्किल वहां की जनसंख्या का 9 प्रतिशत हैं, परंतु शेख हसीना की सरकार जाने के बाद जिस प्रकार से हिंदुओं की हत्याएं हुईं, उनपर बात नहीं हुई। बौद्ध मत के धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ की गई, मगर यह सब खबरें नहीं बनीं।
अब जब सीरिया में ड्रूज़ समुदाय के लोगों को मारा गया तो भी अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार हो रहे का राग गाने वाला समुदाय गायब है। सीरिया के स्वेइदा में रहने वाले ड्रूज़ समुदाय के लोग शिया मुस्लिमों से निकली हुई शाखा है। ऐसा माना जाता है कि यह दसवीं या ग्यारहवीं शताब्दी में अपने मत और विश्वास के आधार पर अलग हो गया। वे अपनी परंपराओं में बहुत अलग हैं। सत्य और सत्य की खोज पर बल देते हैं। गलत विश्वासों को त्यागने पर भी बल देते हैं।
ड्रूज़ समुदाय के लोग इजरायल के बहुत करीब हैं। हालांकि पूरे विश्व में इनकी आबादी केवल और केवल दस लाख के करीब है। और उसमें भी वे लोग दक्षिणी सीरिया के अतिरिक्त इजरायल, लेबनान और जॉर्डन में निवास करता है।
मगर अरबों की जनसंख्या वाले संसार में मात्र दस लाख लोगों वाला समुदाय मीडिया के लिए शायद अल्पसंख्यक समुदाय नहीं है और यही कारण है कि इतने भयावह वीडियो आने के बाद भी विमर्श में सन्नाटा पसरा है। यह सन्नाटा इसलिए है क्योंकि ड्रूज़ को मारने वाले लोग इस कदर अल्पसंख्यक हैं कि उनकी अल्पसंख्यक पीड़ा के आगे मीडिया को हर पीड़ा बौनी नजर आती है।
सोशल मीडिया पर भयावह वीडियो
पिछले तीन-चार दिनों से पूरे सोशल मीडिया पर हाथ में अत्याधुनिक हथियार लहराते हुए वे कथित लड़ाके दिख रहे हैं जो ड्रूज़ लोगों की हत्या के अभियान पर जा रहे हैं। एक वीडियो में स्वेइदा के अस्पताल में ड्रूज़ नर्स हमलावर सैनिकों से रहम की भीख मांग रही है, मगर दूसरे वीडियो में सैनिक “अल्लाह ओ अकबर” का नारा लगा रहा है और लाशों के ढेर अस्पताल में लगे हैं।
Massacre of Druze in #Syria at the National Hospital of Suwayda.
In the first video, a Druze nurse is pleading for help as regime soldiers are about to overrun the hospital.
In the second video, a regime soldier films the results of the capture and proclaims that “God is… pic.twitter.com/ibLzinnhiU
— Joshua Landis (@joshua_landis) July 16, 2025
एक वीडियो में दिखाया जा रहा है कि परिवार के पुरुषों को छत से कूदने के लिए विवश किया जा रहा है। जब वे छत से नहीं कूदे तो उन पर गोलियां चला दी गईं। एक लड़की का भी रोते हुए वीडियो एक्स पर वायरल है, जिसमें वह कह रही है कि उसके समुदाय के साथ आखिर क्या हो रहा है?
अब लगभग हजार हत्याओं के बाद कहा जा रहा है कि वहां से कबायली लड़ाकों को स्वेइदा और उसके आसपास के क्षेत्रों से हटा दिया गया है। ये कबाइली लड़ाके बदूनी सुन्नी लड़ाकों के समर्थन में सीरिया के कई हिस्सों से स्वेइदा पहुंचे थे। पिछले चार दिनों से अधिक चले इस खूनी खेल में कितना खून बह चुका है, इस विषय में विमर्श पूरी तरह से सन्नाटे में है।
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