प्रतीकात्मक तस्वीर
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को विदेशी आतंकी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित किया है। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक छद्म समूह है, और इस कदम को भारत ने आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका सहयोग के एक मजबूत कदम के रूप में सराहा है।
पिछले साल 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की खूबसूरत बैसरन घाटी में पांच हथियारबंद आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे, साथ ही एक ईसाई पर्यटक और एक स्थानीय मुस्लिम भी शामिल थे। आतंकियों ने एम4 कार्बाइन और एके-47 जैसे घातक हथियारों का इस्तेमाल किया। यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में सबसे भयानक आतंकी घटनाओं में से एक माना जा रहा है। टीआरएफ ने शुरू में इस हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए बाद में अपना बयान वापस ले लिया। संगठन ने दावा किया कि यह हमला भारत सरकार की उस नीति के खिलाफ था, जिसमें गैर-कश्मीरियों को कश्मीर में डोमिसाइल सर्टिफिकेट देकर बसाने की अनुमति दी गई थी।
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‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ 2019 में तब अस्तित्व में आया, जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के पुराने आतंकियों को मिलाकर बनाया गया था। टीआरएफ खास तौर पर कश्मीर में गैर-कश्मीरियों, जैसे कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों, को निशाना बनाता है। भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि टीआरएफ असल में लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा है, जिसे पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बनाया ताकि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की नजरों से बचा जा सके। टीआरएफ ने 2021 में जम्मू में भारतीय वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन हमले जैसे कई आतंकी कृत्यों की जिम्मेदारी भी ली है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस कदम की घोषणा करते हुए कहा कि टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करना ट्रम्प प्रशासन की आतंकवाद से लड़ने और पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस घोषणा के तहत टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा के साथ एफटीओ और एसडीजीटी सूची में जोड़ा गया है। इसका मतलब है कि कोई भी अमेरिकी नागरिक या संस्था टीआरएफ को किसी भी तरह की मदद नहीं दे सकती। साथ ही, संगठन की संपत्तियां जब्त की जाएंगी और इसके सदस्यों पर वीजा प्रतिबंध लगाए जाएंगे। यह कदम पाकिस्तान पर दबाव डालेगा कि वह अपने यहां चल रहे आतंकी संगठनों पर लगाम लगाए।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की। 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया गया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। इसके अलावा, भारत ने मई में सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों को 33 देशों की राजधानियों में भेजा, ताकि पाकिस्तान के आतंकवाद से रिश्तों को दुनिया के सामने लाया जाए। भारतीय दूतावास ने अमेरिका के इस कदम की तारीफ करते हुए एक एक्स पोस्ट में कहा, “टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करना भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ मजबूत साझेदारी का सबूत है। हमारी आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति है।”
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पहलगाम हमले के मामले में टीआरएफ के सरगना शेख सज्जाद गुल को इसका मुख्य साजिशकर्ता बताया। इसके अलावा, तीन अन्य आतंकियों की पहचान की गई: लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख हाफिज सईद और उसका सहयोगी सैफुल्लाह खालिद कसूरी, जो पाकिस्तान में हैं, और हाशिम मूसा, जो दक्षिण कश्मीर के जंगलों में छिपा है। मूसा पहले पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप का पैरा-कमांडो था और 2023 में भारत में घुसपैठ के बाद से कई हमलों में शामिल रहा है। एनआईए ने दो स्थानीय कश्मीरियों को भी गिरफ्तार किया है, जो इस हमले में शामिल थे।
पहलगाम हमले की निंदा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, यूरोपीय संघ और कई वैश्विक संगठनों ने की थी। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में इस हमले का जिक्र करते हुए आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को तीन सबसे बड़ी बुराइयों के रूप में बताया था। ऐसे में अमेरिका का यह कदम न केवल भारत के साथ उसके रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करता है।
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