विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की बेटी साइमा वाजेद को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। साइमा पर बांग्लादेश सरकार की ओर से भ्रष्टाचार, जालसाजी और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए हैं। संभवत: इसी का संज्ञान लेते हुए साइमा को लंबी छुट्टी पर जाने को कहा गया है। दक्षिण एशियाई राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की पारदर्शिता के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की बेटी साइमा वाजेद को जनवरी 2024 में ही WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय निदेशक नियुक्त किया गया था। मानसिक स्वास्थ्य और ऑटिज़्म के क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा चुका है। उल्लेखनीय है कि उनकी नियुक्ति में भारत सहित कई देशों ने समर्थन दिया था, जिससे यह एक राजनयिक उपलब्धि मानी गई थी।
बांग्लादेश के भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने साइमा पर शैक्षणिक योग्यता में जालसाजी, झूठे दावे, और सत्ता के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोपों के अनुसार, उन्होंने बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी में मानद पद का दावा किया, जिसे विश्वविद्यालय ने खारिज कर दिया। साइमा पर शुचोना फाउंडेशन के माध्यम से लगभग 2.8 मिलियन डॉलर की फंडिंग में अनियमितता का भी आरोप है।

WHO ने साइमा को 11 जुलाई 2025 से अनिश्चितकालीन छुट्टी पर भेजने का फैसला लेने के संदर्भ में कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है। संगठन के महानिदेशक तेद्रोस घेब्रेयेसस ने कर्मचारियों को ईमेल के माध्यम से इस निर्णय की जानकारी दी। उनकी जगह डॉ. कैथरीना बोहेम को प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया है।
उधर बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस निर्णय का स्वागत किया और इसे जवाबदेही की दिशा में पहला कदम बताया। प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि साइमा को उनके पद से हटाना और विशेषाधिकारों को रद्द करना आवश्यक था, ताकि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की विश्वसनीयता बहाल हो सके।
इसमें आश्चर्य नहीं है कि यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ भी अनेक गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमे दर्ज किए गए हैं। हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में एक विशेष ट्रिब्यूनल ने दोषी ठहराया है। वर्तमान में शेखी हसीना निर्वासन में हैं। यही वजह है कि उनकी बेटी साइमा पर बांग्लादेश सरकार की कार्रवाई को कुछ विश्लेषक राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में भी देख रहे हैं, क्योंकि ये आरोप यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद लगाए गए हैं।
डब्ल्यूएचओ के इस कदम को देखकर अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर राजनीतिक प्रभाव होना सही नहीं है। इससे उनकी पारदर्शिता पर सवाल उठता है। राजनीतिक प्रतिशोध के लिए साइमा के विरुद्ध बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा दुष्प्रचार किये जाने का असर इस अंतरराष्ट्रीय संगठन पर क्यों पड़ना चाहिए? डब्ल्यूएचओ जैसी संस्था द्वारा इस प्रकार की कार्रवाई करना उस पर सवालिया निशान तो लगाता ही है। उसे यह चिंता तो करनी ही होगी कि उसके निर्णयों की निष्पक्षता बनी रहे। कुछ लोग हैं जो साइमा को लंबी छुट्टी पर भेजने के निर्णय को न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान मान रहे हैं। लेकिन इसे राजनीतिक दबाव का नतीजा मानने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है।
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