Shashi Tharoor Attacks Congress Over Emergency Atrocities: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आपातकाल को लेकर अपनी ही पार्टी को घेरा है। उनका कहना है कि आपातकाल में अनुशासन के नाम पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने क्रूरता की थी। शशि थरूर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आपातकाल में इंदिरा गांधी और संजय गांधी के कामों पर भी सवाल खड़े किये हैं। उनका कहना है कि आपातकाल में अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर क्रूरता की गई थी। इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है। यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने आपातकाल को लेकर अपनी ही पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर सवाल खड़े किये हैं।
शशि थरूर (Shashi Tharoor Attacks Congress) का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सत्तावादी दृष्टिकोण ने आपातकाल के दौरान सार्वजनिक जीवन को भय और दमन की स्थिति में धकेल दिया था। उन्होंने अपने लेख में जोर देखकर लिखा है कि आज का भारत 1975 का भारत नहीं है।
इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जबरन चलाया था नसबंदी अभियान
कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor Attacks Indira Gandhi Emergency) का कहना है कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने आपातकाल में जबरन नसबंदी अभियान चलाया था। यह आपातकाल का गलत उदाहरण बना। उन्होंने कहा कि आपातकाल में संजय गांधी के नसबंदी अभियान के बाद ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और जबरदस्ती की गई थी। नई दिल्ली में भी झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त किया गया था। इससे हजारों लोग बेघर हुए थे। इंदिरा गांधी ने उस वक्त उन बेघरों के कल्याण पर कोई ध्यान नहीं दिया था।
गौरतलब है कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाकर हजारों लोगों की पुलिस-प्रशासन की सहायता के जरिए नसबंदी करा दी थी। इतना ही नहीं, नसबंदी का विरोध करने वालों पर पुलिस ने गोली तक चलाई थी जिसमें कई लोगों की मौत भी हुई थी। यह भारत के इतिहास में एक काला अध्याय था जिसे कांग्रेस पर कलंक के तौर पर देखा जाता है।
शशि थरूर ने कहा- आज का भारत 1975 का भारत नहीं है
शशि थरूर ने मलयालम अखबार में प्रकाशित एक लेख में आपातकाल को लेकर कांग्रेस और इंदिरा गांधी पर हमला बोला है। उन्होंने इस लेख में 25 जून 1975 और 21 मार्च 1977 के बीच प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले युग को याद करते हुए इस क्रूरता भरा युग बताया है। उन्होंने कहना है कि आपातकाल में हुई क्रूरता को सही नहीं ठहराया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह एक बहुमूल्य विरासत है जिसे निरंतर पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए। शशि थरूर का कहना है कि आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। आज हम अधिक आत्मविश्वासी, अधिक विकसित और कई मायनों में अधिक मजबूत लोकतंत्र हैं। इसके बाद भी आपातकाल के सबक और क्रूरता अभी भी चिंताजनक रूप से प्रासंगिक हैं।
आपातकाल में न्यायपालिका भी दबाव के आगे झुक गई थी
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने अपनी ही पार्टी पर सीधा हमला करते हुए लेख में लिखा है कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने आवश्यक लोकतांत्रिक स्तंभों को खामोश कर दिया गया था और हिरासत में लोगों को यातनाएं दी गई थी। जिन लोगों ने भी आपातकाल का विरोध किया और इंदिरा गांधी के शासन की अवहेलना की थी उनको यातनाएं दी गई थी। न्यायपालिका भी इंदिरा गांधी के भारी दबाव के आगे झुक गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण और नागरिकों के स्वतंत्रता के अधिकार के निलंबन को बरकरार रखा।
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