आज पांच विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव के परिणाम आये हैं। भाजपा ने गुजरात की सुरक्षित कड़ी सीट जीतकर उसे अपने पाले में बनाये रखा। भाजपा कड़ी विधानसभा सीट पर बड़ी जीत दर्ज करके यह बताने में सफल रही की आनेवाले दिनों में लम्बे समय तक गुजरात की राजनीति में उसका कोई मुकबला नहीं है। उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने दो सीट गुजरात के विसावदर और पंजाब की लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है। ममता बनर्जी की पार्टी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने कालीगंज विधानसभा की सीट पर जीत को बरकरार रखा। केवल एक सीट केरल के नीलांबुर सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की।
गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट को आम आदमी पार्टी ने अपने पाले में बनाये रखा। इसके साथ ही उसने कांग्रेस के लिए राज्य की राजनीति में एक चुनौती जो आप ने 2022 के विधानसभा चुनाव में पेश की थी, उसे भी बनाए रखा। कांग्रेस का इस सीट पर मत प्रतिशत 2022 के विधानसभा चुनाव की अपेक्षा एक-तिहाई पर आ गया।
पंजाब में आप ने कांग्रेस को पछाड़ कर फिर से लुधियाना पश्चिम सीट अपने पास रख ली। इस उपचुनाव में यह स्पष्ट हो गया है कि पंजाब में आगामी विधानसभा के चुनाव में अब आप की टक्कर भाजपा नीत गठबंधन से होगी। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पंजाब में 23 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाकर इसकी पुष्टि भी कर चुकी है। भाजपा ने इस उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल से लगभग ढाई गुना अधिक मत प्राप्त करके अपने को आप की मुख्य विरोधी पार्टी बनाया। आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नीत गठबंधन आप को राज्य में सत्ता के लिए टक्कर देती दिख रही है।
पश्चिम बंगाल में कालीगंज विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने यह बता दिया है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी की राह 2026 के विधानसभा चुनाव में आसान नहीं होगी। भाजपा राज्य की जनता को स्पष्ट सन्देश देने में सफल रही है कि वह ममता बनर्जी की पार्टी से मुक्ति दिला सकती है।ॉ
केरल की नीलांबुर विधानसभा सीट वायनाड लोकसभा सीट के अंतर्गत है और यह मुस्लिम बहुल मलप्पुरम जिले में है। इस सीट पर उपचुनाव सत्तारूढ़ माकपा नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट समथिर दो बार से जीते हुए निर्दलीय विधायक पी वी अनवर के इस्तीफे के कारण हुआ। पी वी अनवर ने मुख्यमंत्री पी विजयन से आपसी मतभेदों के कारण इस्तीफा दिया था।
अनवर इस सीट पर ममता बनर्जी की पार्टी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे। वह चुनावी नियमों के कारण ममता बनर्जी की पार्टी के उम्मीदवार ना बनकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े। इसमें कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, मुख्यमंत्री पी विजयन और पी वी अनवर तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी।
इस विधानसभा उपचुनाव का परिणाम इस तथ्य की ओर इंगित करता है कि केरल की राजनीति में सोनिया गांधी के परिवार और केरल के मुख्यमंत्री के परिवारों में आपसी साठगांठ है। उपचुनाव में कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और माकपा नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट में एक प्रकार का समझौता था कि उन्हें तृणमूल समर्थित निर्दलीय पी वी अनवर को चुनाव में शिकस्त देनी है। ये दोनों गठबंधन अपने जीत से ज्यादा पी वी अनवर को चुनाव हराने के लिए प्रयासरत थे।
केरल की राजनीति में छह-सात सालों में कई संदेश निकलकर आए हैं। 1982 के बाद चुनाव दर चुनाव केरल में कांग्रेस पार्टी नीत यूडीएफ और माकपा नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट में सत्ता की अदल-बदल की परम्परा रही है, जो 2021 में टूट गई और पी विजयन के नेतृत्व में एलडीएफ ने सत्ता में वापसी की। 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन काफी हैरान करने वाला रहा,
क्या कहती है केरल की राजनीति
कांग्रेस पार्टी का 2021 का केरल विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन इस तथ्य को इंगित करता हैं कि कांग्रेस ने पूरे मनोयोग से चुनाव नहीं लड़ा। तब जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 96 विधानसभा की सीटों पर बढ़त बनाई थी, वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में 84 सीटों पर बढ़त बनाई। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इतना अंतर आश्चर्यजनक है।
केरल की 140 विधानसभा की सीटों में 60 ऐसी सीटें हैं जिन पर एलडीएफ ने 2021 के चुनाव में जीत हासिल की, जबकि 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस/यूडीएफ ने ऐसी सीटों पर बढ़त बनाई। इतना बड़ा राजनीतिक बदलाव बहुत कम देखने को मिलता है।
इस प्रदर्शन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि गांधी परिवार और पी विजयन के परिवारों के बीच आपसी राजनीतिक साठगांठ है। जिसमें जहां गांधी परिवार को खुद के लिए वायनाड लोकसभा की सीट और केरल से लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन चाहिए वहीं विजयन को अपनी कुर्सी बचाए रखनी है।
पी विजयन को केंद्र में कोई दावा नहीं बनता है, वही ओमान चांडी के निधन के बाद गांधी परिवार का केरल की राजनीति में केवल लोकसभा की सीट जितने और वायनाड की सीट को बनाये रखने भर से रह गया है। पी विजयन और गांधी परिवार में अपने परिवार को राजनीति में आगे बढ़ाने के मुद्दे पर एका हैं। जहा सोनिया गांधी को अपने संतानों को राजनीति में आगे बढ़ाना हैं, वही पी विजयन को अपने दामाद मोहम्मद रियास को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाना है। वर्तमान में मोहम्मद रियास पी विजयन मंत्रिमंडल में पर्यटन मंत्री हैं, कम्युनिस्ट पार्टियों में अपने परिवार को बढ़ावा देने का यह नया प्रयोग है।
भाजपा केरल में त्रिपुरा जैसा प्रदर्शन दोहरा सकती है
भाजपा आगामी 2026 के केरल विधानसभा चुनाव में विजयन और गांधी परिवार के आपसी साठगांठ को उजागर करके वर्ष 2018 में त्रिपुरा वाला जैसा प्रदर्शन दोहरा सकती है। केरल में माकपा की सरकार है और कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है। भाजपा त्रिपुरा की तरह ही केरल में दोनों पुराने विरोधियो को किनारे करके सत्ता की और अग्रसर दिख रही है। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में केरल के एक सीट जितने के साथ ही 11 विधानसभा की सीटों पर बढ़त बनाकर दोनों गठबंधनों को अपनी शक्ति का एहसास करा चुकी है।
क्या कहते हैं आंकड़े
भाजपा ने पूर्व में असम में 2011 में 5 सीटों से 2016 में 60 सीटों तक का सफर करके अपने बूते सरकार बनाने में सफल हुई थी। हरियाणा में 2009 में 4 सीटों की भाजपा ने 2014 में 47 सीट जीतकर सरकार बनाई। त्रिपुरा में 2013 में एक भी सीट न जीत सकने वाली भाजपा ने 2018 में 36 सीट जीतकर स्पष्ट बहुमत से अपनी सरकार बनाने में सफल हुई थी। ओडिशा में 2019 में 23 सीट जीतने वाली भाजपा ने वर्ष 2024 में 78 सीट जीतकर सरकार बनाने में सफल हुई थी। पश्चिम बंगाल में 2016 में 3 सीट जीतने वाली भाजपा ने 2021 में 77 सीट जीतने में सफल हुई थी।
(डिस्क्लेमर – स्वतंत्र लेखन। लेख में लेखक के निजी विचार हैं, जरूरी नहीं कि पाञ्चजन्य उससे सहमत हो )
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