बांग्लादेश सरकार ने यह निर्णय लिया है कि अब वह 5 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश मनाएगी। 5 अगस्त को शेख हसीना देश छोड़कर जाने के लिए बाध्य हुई थीं और उसके बाद से ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और अवामी लीग के सदस्यों के साथ अत्याचार जारी है।
5 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश का निर्णय गुरुवार को सलाहकार काउंसिल की विशेष बैठक के दौरान लिया गया। bdnews के अनुसार इस बैठक की अध्यक्षता मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने की थी। इस बैठक के बाद सांस्कृतिक मामलों के सलाहकार मुस्तफा सर्वर फारुकी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा कि इस अवसर पर कई आयोजन कराए जाएंगे।
फारुकी ने कहा कि कार्यक्रम 1 जुलाई से आयोजित किए जाएंगे, लेकिन मुख्य कार्यक्रम 14 जुलाई से शुरू होंगे और 5 अगस्त तक जारी रहेंगे। फारुकी के अनुसार, इस का लक्ष्य बांग्लादेश के सभी लोगों के एक साथ आने के अनुभव को वापस लाना है, जो जुलाई-अगस्त आंदोलन के दौरान देखा था। लोगों के पास अनुभव है और उसे और मजबूत करना है।
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5 अगस्त को छात्र जनांदोलन दिवस
फारुकी ने कहा कि “इस अवसर पर कई कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। फिलहाल, हम आपको सूचित कर रहे हैं कि 5 अगस्त को छात्र-जनता जनांदोलन दिवस के रूप में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाएगा। यह अवकाश अब से हर साल मनाया जाएगा।”
टीवी लाइसेंस पर चलाई कैंची
इसके साथ ही अंतरिम सरकार ने टीवी लाइसेंस देने की प्रक्रिया में भी परिवर्तन की बात काही। मुख्य सलाहकार के प्रेस सचिव शफीकुल रहमान ने यह कहा कि बांग्लादेश बेतार और बीटीवी की स्वायत्ता पर चर्चा करने के लिए भी एक समिति का गठन किया गया।
bdnews के अनुसार, शफ़ीकुल रहमान ने कहा कि मीडिया सुधार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पहले टेलीविजन लाइसेंस दिए जाते थे, तो उनमें से ज़्यादातर लाइसेंस एक राजनीतिक दल की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए दिए जाते थे। इसी तरह लाइसेंस दिए जाते थे। वे इस बात की समीक्षा करेंगे कि भविष्य में टीवी लाइसेंस देने की नीति क्या होगी।
बांग्लादेश में इस समय कथित सुधार चल रहे हैं, मगर ये सुधार कौन सी सरकार कर रही है, यह महत्वपूर्ण है। ये सभी सुधार ऐसी सरकार कर रही है, जिसे जनता ने चुनकर नहीं भेजा है।
जिसे जनता ने चुनकर भेजा था, उस प्रधानमंत्री को देश से ही बाहर नहीं निकाल है, बल्कि वह पार्टी चुनाव प्रक्रिया में भाग ही न ले सके, यह भी सुनिश्चित किया गया है। इसका अर्थ यही निकलकर आता है कि जिस पार्टी के नेताओं ने एक ऐसे समय में देश का नेतृत्व किया था, जब वह भाषाई आधार पर तमाम अत्याचार झेल रहा था, और फिर एक नए मुल्क के रूप में लाने के लिए बलिदान दिया था, उसी पार्टी के पूरे इतिहास को उसी देश में मिटा दिया गया है।
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आवामी लीग से जुड़ी हर पहचान खत्म करने की कोशिश
फिर चाहे वह शेख मुजीबुर्रहमान का घर हो, उनके जीवन से जुड़े सार्वजनिक अवकाश हों, उन्हें राष्ट्रपिता कहना हो, या फिर देश की मुद्राओं में उनकी तस्वीर हो और अब यह नया राष्ट्रीय अवकाश जो अवामी लीग के निष्कासन का जश्न मनाने के लिए है।
एक बड़ी पीढ़ी बांग्लादेश में दो बार इतिहास बनते देख रही है। एक बार पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा किये गए अत्याचारों के कारण अपनी भाषाई अस्मिता के कारण पाया हुआ नया मुल्क, जिसमें शेख मुजीबुर्रहमान नायक थे और दूसरा अब जब उन्हीं शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत के निष्कासन पर जश्न!
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