ब्रिटेन में पाकिस्तानी मुस्लिमों (ग्रूमिंग गैंग) द्वारा श्वेत लड़कियों के साथ किये गए बलात्कार, उन्हें नशीली दवाइयों के दलदल और साथ ही देह के बाजार में धकेलने के मामलों पर फिलहाल देशव्यापी जांच का आदेश दे दिया है, मगर अब जैसे-जैसे इस मामले पर लोग बोल रहे हैं, वैसे-वैसे कई अन्य मामले भी सामने निकल कर आ रहे हैं और ऐसी कहानियाँ सामने आ रही हैं जिन पर विश्वास करना कठिन है।
पीड़िताओं की तो संख्या है ही, मगर सबसे महत्वपूर्ण है उन योद्धाओं के नाम सामने आना, जिन्होंने किसी भी चीज की परवाह न करते हुए बस केवल न्याय की बात की। जिन्होंने उन बच्चियों के लिए न्याय की मांग की, जिन्हें बाल वैश्या बनाकर पेश किया गया। 11-12 साल की बच्चियों के विषय में यह कहा गया कि ये तो अपनी मर्जी से ही सब कर रही हैं। यह हजारों श्वेत लड़कियों के लिए एक बहुत भयानक दु:स्वप्न था, जिसे उन्होंने झेला और अभी तक झेल रही हैं।
कौन हैं एन क्रीएर
समय-समय पर उनकी आवाज कई लोग बने और ऐसी ही एक महिला का नाम है एन क्रीएर, जो यॉर्कशायर सीट से लेबर की सांसद रह चुकी हैं। जब वर्ष 2014 में उन्हें रोथेरहोम में लड़कियों के साथ हुए इन अत्याचारों का पता चला था, तो वे बहुत दुखी हुई थीं। वर्ष 2014 की गार्जियन की रिपोर्ट एक सांसद के संघर्ष की कहानी बताती है। एन ने रोथेरहोम की लड़कियों के विषय में कहा था कि “रोथेरहोम में जो कुछ भी हुआ है, उसने मुझे आंसुओं से भर दिया है!”
The story of what happened to brave Labour MP Ann Cryer, who was cancelled by her Party after she exposed the scandal of the rape gangs of Keighley in 2002, was covered in The Guardian over 10 years ago. Yet, here we are, debating whether it ever happened. https://t.co/TMOKOHSFxE
— Joe Rich (@joerichlaw) January 6, 2025
उन्होंने कहा था कि यह बहुत दुख की बात है कि इनमें से कई लड़कियां बच सकती थीं। अगर उन्हें यह पता होता कि रोथेरहोम में क्या हो रहा है, तो वे इस बड़े स्तर पर फैली समस्या को समझ सकती थीं, नहीं तो उन्हें ऐसा लग रहा था कि यह तो स्थानीय समस्या है।
एन क्रीएर ने उठाई थी ग्रूमिंग गैंग के खिलाफ आवाज
दरअसल, जब वे यॉर्कशायर की सांसद थीं, तो उनके पास ऐसी लड़कियों के मामले आए थे, जो पूरी तरह से रोथेरहोम वाले मामले के समान थे। वे 2002 में यॉर्कशायर की सांसद थीं और वे सबसे पहली ऐसी नेता थीं, जिन्होंने इन आरोपों पर बात की थी कि “एशियाई आदमियों का गैंग” श्वेत लड़कियों को निशाना बना रहा है। मगर ऐसा करने पर उनकी ही पार्टी के कुछ लोग उनके खिलाफ हो गए, उनके घर में एक पैनिक बटन लगाया गया और ब्रिटिश नेशनल पार्टी से निक ग्रिफ़िन खड़े हो गए और जिन्होंने आरोप लगाया कि वह छोटी लड़कियों को बचाने के लिए काम नहीं रही है।
एन का युद्ध तब आरंभ हुआ जब उनके पास सात ऐसी महिलाएं आईं, जिन्होंने यह दावा किया कि उनकी बेटियों को पाकिस्तान समुदाय के लड़कों द्वारा ग्रूम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं ने कहा, “लड़कियों का इस्तेमाल उनके द्वारा सेक्स के लिए किया जा रहा था और उन्हें इधर-उधर बेचा जा रहा था- वेश्याओं के रूप में नहीं, बल्कि इन लड़कों के परिवारों को बेचा जा रहा था। यह कम उम्र में सेक्स था। ये लड़कियाँ 16 साल से कम उम्र की थीं। माताओं ने कहा, ‘हम समझते हैं कि यह एक आपराधिक अपराध है, भले ही यह सहमति से हुआ हो’, जो मैंने कहा कि बिल्कुल सही था। और उन्होंने मुझसे कहा, ‘ऐसा क्यों है कि वेस्ट यॉर्कशायर पुलिस इस बारे में कुछ नहीं करती है, सामाजिक सेवाएँ इस बारे में कुछ नहीं करती हैं, जबकि हमने उन्हें हमारी बेटियों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुरुषों के नाम और पते दिए हैं?”
पुलिस बनाती थी बहाने
एन आरोप लगाती हैं कि पुलिस के पास इन आदमियों के खिलाफ कदम न उठाने के सौ बहाने थे। ये बच्चियाँ सहमति देने के लिए बहुत छोटी थीं, मगर पुलिस यह लगातार कहती रही कि वह मुकदमा नहीं उठाएगी, क्योंकि इन लड़कियों के पास कोई सबूत नहीं है। उन्होंने आगे कहा था कि इन लड़कियों को लगता था कि ये लड़के उनके साथ शादी करेंगे। मगर इनमें से अधिकतर लड़के तो पहले से ही पाकिस्तान में अपनी कज़िन्स के साथ निकाह में थे।
उन्हें बहुत गुस्सा आया जब पुलिस और सोशल सर्विस वालों ने उनकी बात नहीं सुनी। कीघले में उन्होंने पाकिस्तानी समुदाय का भी साथ लेने का प्रयास किया। उन्होंने पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम सांसद, जो उनके मित्र भी थे, उनसे कहा कि वे मस्जिद के इमामों से बात करें और इन 35 नामों के साथ बात करें और इन कथित अपराधियों को सजा दिलवाएं।
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जब इमामों से उन्होंने बात की कि एन चाहती हैं कि वे इन परिवारों के पास जाकर यह कहें कि यह जो भी कुछ हो रहा है, वह इस्लामिक नहीं है। तो ऐसे में उन बुजुर्गों का कहना था, “एन के पास जाकर कहो कि इससे हमें कुछ लेना-देना नहीं है।“ फिर उन्होंने चैनल 4 न्यूज से कहा कि वह इसका कवरेज करें और उसके बाद उन 35 में से 5 लोगों को जेल हुई। एन का कहना है कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से कई सांसदों ने बधाई दी कि उन्होंने इस मुद्दे को लगातार उठाए रखा।
एन का कहना था कि वह ऐसी कहानियाँ सुनने वाली अकेली राजनीतिज्ञ नहीं हो सकतीं। वह कहती हैं कि मुझे लगता है कि पूरे देश में ऐसे पार्षद और सांसद रहे होंगे जो जानते थे कि क्या हो रहा है, लेकिन वे डरे हुए थे। नस्लवादी कहलाने से डरना एक वास्तविक डर है। कोई भी व्यक्ति नस्लवादी कहलाना नहीं चाहता, खासकर वह व्यक्ति जो नस्लवादी नहीं है। उन्हें नस्लवादी कहा गया था, उन पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए मगर वे अपनी लड़ाई से नहीं डिगीं। वर्ष 2014 की इस रिपोर्ट में उन्होंने कहा था कि “मैं अब लगभग 75 वर्ष की हो चुकी हूँ, मैं इन सब से बाहर आ चुकी हूँ। लेकिन यह भावना अभी भी बनी हुई है कि लोगों ने मेरे बारे में इस तरह गलत राय बनाई, जो कि कितनी गलत थी।”
यह अभी तक अबूझ प्रश्न है कि हजारों श्वेत लड़कियों के इस प्रकार शोषण पर लोग इस प्रकार मौन क्यों रहें और इतना ही नहीं एक विशेष राजनीतिक वर्ग ने इस मामले और पीड़ा को पूरी तरह से नकारने का ही प्रयास किया? क्या केवल अपने पाकिस्तानी मुस्लिम वोट बैंक के कारण अपनी ही लड़कियों को चाइल्ड प्रास्टिट्यूट तक कहलवाया दिया?
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