ईरान और इस्राएल के बीच संघर्ष और तीखा होता जा रहा है। ईरान में चल रहे घटनाक्रमों ने मध्य पूर्व की राजनीति को एक बार फिर विस्फोटक मोड़ पर ला खड़ा किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तेहरान को तुरंत खाली करने निकल जाने की चेतावनी ईरान की राजधानी में हुए मिसाइलों के धमाकों की लगातार आ रहीं खबरें हालात को और भी गंभीर दिखा रही हैं।राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ईरानी नागरिकों से अपील की कि वे तेहरान को तुरंत खाली करें। उन्होंने यह भी दोहराया कि ईरान को अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर कर लेने चाहिए थे, और कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब तेहरान में जबरदस्त धमाकों की खबरें सामने आई हैं, जिससे राजधानी में दहशत का माहौल है। शहर से बाहर जाने वाले महामार्गों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं। हर तरफ आपाधापी दिख रही है।
ईरानी मीडिया और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तेहरान के पूर्व और दक्षिण-पूर्व हिस्सों में कई धमाके सुने गए हैं। साथ ही, नतांज जैसे शहरों में वायु रक्षा प्रणालियां सक्रिय कर दी गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी में अफरा-तफरी का माहौल है, लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं, लेकिन भारी ट्रैफिक के कारण सामान्यतः तीन घंटे की दूरी तय करने में 14 घंटे तक लग रहे हैं।
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह चेतावनी केवल हालात के गंभीर होने का संकेत न होकर, एक रणनीतिक दबाव बनाने की कोशिश भी हो सकती है। उनका उद्देश्य संभवतः ईरानी नेतृत्व को भयभीत कर परमाणु समझौते की ओर आने को मजबूर करना हो सकता है। इस बयान के बीच खबर है कि ट्रंप जी-7 शिखर सम्मेलन से समय से पहले लौट रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका इस संघर्ष को अत्यंत गंभीरता से ले रहा है।

इस्राएल ने ईरान पर 100 से अधिक बम गिराने का दावा किया है, जिससे पूरे क्षेत्र में भूकंप जैसे झटके महसूस किए गए हैं। ईरान के सरकारी टेलीविजन पर भी हमले की खबरें सामने आई हैं। साफ है कि इस्राएल अब केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति अपना रहा है।
उधर इस्राएल में गिरे ईरानी बमों से हुए नुकसान को देखते हुए वहां स्थित चीनी दूतावास ने अपने नागरिकों से देश छोड़ने की अपील की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संघर्ष का प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा रहा है। G7 नेताओं के संघर्ष पर संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से ट्रंप का इनकार करना दिखाता है कि अमेरिका स्वतंत्र और आक्रामक कूटनीति पर ही चलना चाहता है।
दूसरी ओर ईरान के विदेश मंत्री ने ट्रंप से अपील की है कि यदि वे वास्तव में संघर्ष रोकना चाहते हैं, तो उन्हें इस्राएली प्रधानमंत्री को फोन कर हमले रुकवाने चाहिए। क्योंकि तेहरान में धमाकों और ट्रंप की चेतावनी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ईरान-इस्राएल संघर्ष अब केवल सीमित सैन्य झड़प नहीं, बल्कि एक व्यापक क्षेत्रीय संकट बन चुका है। अमेरिका की सक्रिय भागीदारी, इस्राएल की आक्रामकता और ईरान की जिद के बीच आम नागरिकों की सुरक्षा सबसे बड़ा प्रश्न बन गई है।
ईरान—इस्राएल के बीच तनाव से उभरी परिस्थितियां न केवल मध्य पूर्व में नए समीकरणों की रचना कर सकती हैं, बल्कि ये वैश्विक राजनीति में भी एक नए मोड़ के उभरने के संकेत दे रही हैं। यदि जल्द ही इस संघर्ष का कोई कूटनीतिक समाधान नहीं निकला, तो यह और व्यापक और विनाशकारी रूप ले सकता है।
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