ब्रिटेन की राजधानी लंदन के मेयर सादिक खान को हाल ही में ब्रिटेन के राजा ने “नाइटहुड” की उपाधि दी है। लेकिन राजा का यह कदम ब्रिटेन में तीखे विवाद और आलोचना का विषय बन गया है। लंदन में रहने वालों ने सादिक का यह सम्मान दिए जाने का विरोध किया है और कहा है कि जिसकी करतूतों को स्टारमर सरकार ने कुछ समय पहले खूब खरी—खोटी सुनाई थी, जिसे एक नाकारा मेयर बताया था, अब अचानक वह इतना ‘कामयाब’ कैसे हो गया कि उसे नाइटहुड जैसा सम्मान दे दिया गया? बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर सादिक को यह सम्मान दिए जाने की तीखी आलोचना करते हुए इसे अफसोसजनक बताया है। सादिक खान के मेयर रहते हुए लंदन आज कट्टर मजहबी तत्वों का गढ़ बनता जा रहा है। फिलिस्तीन के समर्थन में ब्रिटेन की राजधानी में हुए सप्ताहांत विरोध प्रदर्शनों में लाखों मुसलमानों द्वारा लंदन की सड़कों और जनजीवन को पंगु बना दिए जाने की तस्वीरें खूब छपी थीं। ब्रिटेन की तत्कालीन गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने पुलिस पर इन हिंसक तत्वों के विरुद्ध कोई कदम न उठाने की भर्त्सना की थी। लंदन में हिन्दू बहुत इलाकों में मुस्लिम अराजक तत्वों की अराजकता पर कोई रोक नहीं लगाई गई। इस सबके पीछे मेयर सादिक खान का ही हाथ बताया गया था।
दरअसल, ब्रिटेन में नाइटहुड एक प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान है, जो आमतौर पर उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने समाज, राजनीति, कला, विज्ञान या सार्वजनिक सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया हो। 54 साल के सादिक खान, जो 2016 से लंदन के मेयर हैं और पहले मुस्लिम व्यक्ति हैं जिन्होंने यह पद संभाला, को यह सम्मान गत 11 जून को उनके ‘सार्वजनिक जीवन में योगदान’ के लिए दिया गया। लेकिन उसके बाद से ही यह विवाद का विषय बना हुआ है।

जैसा पहले बताया, सादिक खान को यह सम्मान दिए जाने पर को लेकर सोशल मीडिया और ब्रिटिश नागरिकों के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कई लोगों ने सवाल उठाया कि क्या सादिक खान वास्तव में इस सम्मान के योग्य हैं! आलोचकों का कहना है कि उनके कार्यकाल में लंदन में अपराध दर तेजी से बढ़ी है, विशेषकर चाकूबाजी, बलात्कार और चोरी जैसे अपराध बहुत बढ़ गए हैं। कुछ यूज़र्स ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि “एक शहर को बर्बाद करने के बाद नाइटहुड मिलना कैसा लगता है?” वहीं, कुछ ने इसे “ब्रिटेन की न्यायिक और सम्मान प्रणाली में दोहरी नीति” का उदाहरण बताया है।
विरोध का एक पहलू यह भी है कि सादिक खान पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम हैं। कुछ आलोचकों ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने लंदन में ‘कट्टर इस्लामी तत्वों को खुली छूट’ दी है, जिससे वहां सांप्रदायिक तनाव और अपराध बढ़े हैं। सादिक खान इन आरोपों को कितना भी फर्जी बताएं लेकिन आज लंदन की जनसांख्यिकी पूरी तरह बदल चुकी है। अप्रवासी मुसलमानों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ी है। कई इलाकों में बड़ी बड़ी मस्जिदें खड़ी हो चुकी हैं। स्कूलों में ‘इस्लामी कायदे’ पढ़ाने का जोर डाला जाता है। राजनीतिक और सामाजिक माहौल इतना दूषित हो चुका है कि हर जगह मुसलमान सिर्फ अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं।

कई लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि यदि सादिक खान को नाइटहुड मिल सकता है, तो यह पूर्व मेयर बोरिस जॉनसन या केन लिविंगस्टोन को क्यों नहीं मिला? यह बहस ब्रिटेन में सम्मान प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है। इसके अलावा, कुछ आलोचकों ने यह भी कहा कि सादिक खान ने लंदन में ‘ग्रूमिंग गैंग्स’ और ‘एंटी-सेमिटिज्म’ जैसे मुद्दों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे।
दूसरी तरफ, सादिक खान ने नाइटहुड मिलने पर राजा का आभार व्यक्त किया और इसे ‘कल्पना से परे’ बताया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके लिए नहीं, बल्कि उन मूल्यों के लिए है जिनका वह प्रतिनिधित्व करते हैं—जैसे ‘समानता, विविधता और सार्वजनिक सेवा’। उन्हें नाइटहुड दिए जाने पर उठे विवाद पर उनका मानना है कि यह ‘ब्रिटेन की सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण की गहराई को उजागर करते हैं’। सादिक का कहना है कि यह बहस केवल एक व्यक्ति के सम्मान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ब्रिटेन की पहचान, न्याय प्रणाली, और विविधता के प्रति उसके दृष्टिकोण पर भी सवाल उठाती है।

लंदन के मेयर सादिक खान को 2018 में जिन्ना का देश यानी पाकिस्तान ‘यूके-पाकिस्तान संबंधों को मजबूत करने’ और ‘सामुदायिक सामंजस्य को बढ़ावा देने’ के उनके प्रयासों के सम्मान में देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार सितारा-ए-पाकिस्तान दे चुका है।
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