भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज किसी वैश्विक नेता से कम ताकत नहीं रखते। इसका नजारा एक बार फिर साइप्रस में देखने को मिला। साइप्रस के राष्ट्रपति मोदी के स्वागत के लिए खुद हवाईअड्डे गए और खुद सबसे परिचय कराया। हवाईअड्डे पर उस देश में बसे भारतीय समुदाय ने मोदी का भव्य स्वागत किया और भारत माता की जय के नारे लगाए। तिरंगे और पोस्टर हाथों में लिए इन भारतवंशियों ने आपरेशन सिंदूर में भारत के शौर्य का जयघोष किया।
राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री मोदी के औपचारिक स्वागत के बाद साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने एक भव्य समारोह में भारत के प्रधानमंत्री को अपने यहां के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III” से सम्मानित किया। यह केवल एक औपचारिक सम्मान नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक कूटनीतिक स्थिति और मोदी के व्यक्तिगत नेतृत्व की अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति का ही प्रतीक है।

साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III” आमतौर पर उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने देश के साथ गहरे और स्थायी संबंध बनाए हैं या वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय योगदान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान भारत-साइप्रस संबंधों को मजबूत करने, वैश्विक नेतृत्व में उनके योगदान और “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है।
इसमें संदेह नहीं है कि इस सम्मान को राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस के उस कदम ने और विशेष बना दिया जब वे प्रोटोकॉल से हटकर स्वयं लार्नाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मोदी का स्वागत करने पहुंचे। राजनयिक दृष्टिकोण से सोचें तो यह एक असाधारण संकेत है, जो दोनों देशों के बीच गहरे विश्वास और मित्रता को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी को अब तक बीस से ज्यादा देश अपने यहां के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से सम्मानित कर चुके हैं—जैसे, रूस का “ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू”, सऊदी अरब का “किंग अब्दुल अज़ीज़ सैश” और अमेरिका का “लीजेंड ऑफ डेमोक्रेसी” सम्मान मोदी को प्राप्त हो चुका है। मोदी ने हर सम्मान को भारत के 140 करोड़ नागरिकों को समर्पित करते हुए सौजन्यता और अपनी जिम्मेदार नेता की छवि को और प्रगाढ़ ही किया है। साइप्रस में भी सम्मान स्वीकार करते हुए मोदी ने कहा कि यह सम्मान भारत की सांस्कृतिक विरासत, लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मोदी सरकार ने दिखा दिया है कि भारत अब केवल एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक निर्णायक वैश्विक शक्ति बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत कूटनीतिक शैली और भारत की “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” की भावना का आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान हो रहा है।

साइप्रस की बात करें तो यूरोपीय संघ का यह सदस्य देश भूमध्यसागरीय क्षेत्र में एक रणनीतिक महत्व रखता है। ऐसे में भारत के साथ उसके संबंधों का सुदृढ़ होना यूरोपीय राजनीति में भारत की भागीदारी को और गहरा कर सकता है। मोदी का साइप्रस दौरा भारत-यूरोप संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी आज शाम कनाडा पहुंचने वाले हैं जहां वे जी7 की बैठक में भाग लेंगे। हर बार की तरह जी7 देश भारत के प्रधानमंत्री के विचारों को जानने के लिए उत्सुक हैं विशेषकर, आज कई मोर्चों पर चल रहे सैन्य संघर्ष के माहौल के बीच। मोदी ने सदा युद्ध नहीं, शांति का मार्ग चुनने का आग्रह किया है। इसीलिए दो संघर्षरत पक्षों में दोनों पक्ष भारत के नेता की बात सुनते हैं और भारत से अपने संबंधों को विशेष महत्व देते हैं। कनाडा में भारत और हिन्दू विरोधी खालिस्तानी तत्वों के विरुद्ध वहां की सरकार कार्रवाई करे, संभवत: मोदी इस विषय पर वहां के प्रधानमंत्री कार्नी से चर्चा करेंगे। जी7 बैठक से इतर कनाडा से द्विपक्षीय सहयोग पर भी बात होने की उम्मीद है।
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