जनवरी 2025 में पंजाब के अमृतसर जिले की गुमटाला पुलिस चौकी पर हुए ग्रेनेड हमले के मामले को लेकर शुक्रवार को एनआईए ने निर्णायक कार्रवाई करते हुए अमृतसर से सिरसा तक फैले आतंकी नेटवर्क पर बड़ा एक्शन करते हुए हरियाणा व पंजाब के विभिन्न जिलों में 15 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे मारे हैं। ये छापे अमृतसर, तरनतारन, पठानकोट, फिरोजपुर, कपूरथला, रूपनगर और हरियाणा के सिरसा में मारे गए। इन सभी स्थानों पर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) नेटवर्क से जुड़े संदिग्धों के घरों, ठिकानों और सहयोगियों से छापेमारी के दौरान एनआईए की टीमों ने मोबाइल फोन, लैपटॉप, अन्य डिजिटल डिवाइस, संदिग्ध दस्तावेज और संपर्कों से जुड़ा डेटा जब्त किया है। इन डिजिटल सबूतों से BKI की आतंकी साजिश और उसके फाइनेंसरों के नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ा जा रहा है।
जनवरी में पुलिस चौकी पर हुए इस हमले ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया था। इस हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) के सदस्य और गैंगस्टर हैप्पी पासियां ने ली थी। शुरुआत में मामला स्थानीय पुलिस के पास था, लेकिन जैसे-जैसे कड़ियां खुलती गईं, यह स्पष्ट होता गया कि यह हमला एक बड़े आतंकी और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग नेटवर्क का हिस्सा था।
एनआईए की एंट्री और जांच का टर्निंग पॉइंट
फरवरी 2025 में पंजाब पुलिस ने इस मामले में बग्गा सिंह उर्फ रिंकू को गिरफ्तार किया, जिससे प्रारंभिक सुराग मिले। लेकिन जांच में असली रफ्तार तब आई जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अप्रैल 2025 में इस केस को टेकओवर किया और इसे आतंकी साजिश के रूप में रजिस्टर किया। एनआईए ने इस हमले को सिर्फ एक घटना न मानते हुए, इसे पंजाब और उत्तरी भारत में पुलिस संस्थानों पर हमले की साजिश का हिस्सा माना।
अमेरिका से आतंकी फंडिंग : सरवन सिंह भोला की भूमिका
जांच में सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि इस ग्रेनेड हमले के लिए फंडिंग अमेरिका से की गई थी। एनआईए के अनुसार, अमेरिका में बसे सरवन सिंह उर्फ भोला ने इस हमले के लिए पैसा मुहैया करवाया। सरवन ने फंड बग्गा सिंह और मनदीप सिंह मग्गा तक पहुंचाया। बग्गा तो पंजाब पुलिस के हत्थे चढ़ गया, लेकिन मनदीप अब भी फरार है।
भोला के खिलाफ पहले से ही नार्को-टेररिज्म के मामलों में जांच चल रही है। उसने पैसे भेजकर न केवल भारत में आतंक फैलाने की कोशिश की, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा को भी चुनौती दी है। एनआईए ने सरवन सिंह भोला और उसके भाई मनदीप सिंह मक्का के कई ठिकानों पर भी तलाशी ली है।
ड्रग सिंडिकेट से आतंकवाद तक : चीता गैंग का कनेक्शन
इस पूरे केस में सबसे चौंकाने वाली कड़ी तब जुड़ी जब पता चला कि अमेरिका में बैठे भोला और मक्का कोई आम फाइनेंसर नहीं, बल्कि कुख्यात ड्रग तस्कर रंजीत सिंह उर्फ चीता के भाई हैं। चीता वही व्यक्ति है जिसे हरियाणा पुलिस और एनआईए ने पांच साल पहले सिरसा से गिरफ्तार किया था। उस पर अफगानिस्तान-पाकिस्तान रूट से आई 532 किलो हेरोइन को भारत में सप्लाई करने का आरोप था। यह ड्रग्स खेप नमक के पैकेटों में छिपाकर लाई गई थी।
सरवन सिंह भोला और मक्का उसी ड्रग सिंडिकेट से जुड़े हैं, जो अब आतंकवाद के लिए भी संसाधन जुटा रहा है। इस तरह यह मामला सिर्फ आतंकवाद का नहीं, बल्कि नार्को-टेररिज्म और आतंकी साजिशों के मेल का बन गया है।
एनआईए की रणनीति और कानूनी कदम
एनआईए इस केस को यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act), आर्म्स एक्ट, एक्सप्लोसिव एक्ट, NDPS एक्ट, और आईटी एक्ट जैसी धाराओं में दर्ज कर चुकी है। इस केस में अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क, फंडिंग चैनल, डिजिटल कम्युनिकेशन ट्रेसिंग, और स्लीपर सेल्स की पहचान के लिए साइबर फोरेंसिक एक्सपर्ट्स की मदद ली जा रही है।
एनआईए की जांच अब निम्न बिंदुओं पर केंद्रित हैः – अमेरिका में बैठे सरवन सिंह भोला और उसके सहयोगियों का पूरा नेटवर्क। – भारत में मौजूद फंड रिसीवर्स और उनके आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल। – ड्रग माफिया और आतंकी गुटों के बीच का गठजोड़। – विदेशी हैंडलर्स से संपर्क रखने वाले एजेंटों और स्लीपर सेल्स की भूमिका।
15 जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी
एनआईए ने 13 जून 2025 को इस मामले में निर्णायक कार्रवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा के 15 स्थानों पर छापे मारे। ये छापे अमृतसर, तरनतारन, पठानकोट, फिरोजपुर, कपूरथला, रूपनगर और हरियाणा के सिरसा में मारे गए। इन सभी स्थानों पर BKI नेटवर्क से जुड़े संदिग्धों के घरों, ठिकानों और सहयोगियों को निशाना बनाया गया।
छापेमारी के दौरान एनआईए की टीमों ने मोबाइल फोन, लैपटॉप, अन्य डिजिटल डिवाइस, संदिग्ध दस्तावेज और संपर्कों से जुड़ा डेटा जब्त किया है। इन डिजिटल सबूतों से BKI की आतंकी साजिश और उसके फाइनेंसरों के नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ा जा रहा है।
आतंकवाद की नई परिभाषा
आज का आतंकवाद केवल बंदूक और बम तक सीमित नहीं है। यह अब ड्रग्स, फाइनेंशियल फ्रॉड, डिजिटल नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स के जरिए चलने वाला एक संगठित उद्योग बन चुका है। गुमटाला पुलिस चौकी पर किया गया ग्रेनेड हमला इस खतरनाक सच्चाई की एक झलक है। एनआईए की जांच में यह साफ हो चुका है कि आतंक अब केवल सरहद पार से नहीं आ रहा, वह विदेशी फंडिंग, लोकल नेटवर्क और डिजिटल तकनीक के माध्यम से हमारे ही बीच फल-फूल रहा है। इस चुनौती का सामना केवल सख्त कानूनों से नहीं, बल्कि सिस्टमेटिक इंटेलिजेंस, फास्ट ट्रैक कोर्ट और वैश्विक सहयोग से ही किया जा सकता है।
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